नमस्कार मित्रों,
आज के इस लेख में हम जानेंगे की " प्रोटेस्ट पिटीशन क्या होती है " , " what is Protest Petition ? " प्रोटेस्ट पिटीशन जिसे विरोध याचिका के नाम से भी जाना जाता है, इसका सम्बन्ध आपराधिक घटना की पुलिस रिपोर्ट से है जिसका विरोध शिकायतकर्ता या पीड़ित पक्ष द्वारा किया जाता है जब वह इस रिपोर्ट से व्यथित होते है। इस प्रोटेस्ट पिटीशन के सम्बन्ध में लिखा नहीं मिलेगा परन्तु इस प्रोटेस्ट पिटीशन को न्यायिक व्यवहार में मान्यता प्राप्त है। भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 के प्रावधानों के तहत मजिस्ट्रेट को न्यायिक शक्तियाँ प्रदान की गयी है जिसका उपयोग करते हुए वह न्यायोचित कदम उठा सके ताकि शिकायतकर्ता या पीड़ित व्यक्ति को न्याय मिल सके।
प्रोटेस्ट पिटीशन को विस्तार से समझते है।
प्रोटेस्ट पिटीशन क्या है ?
जब भी कोई असंज्ञेय अपराध यानी गंभीर पकृति का अपराध घटता है , तो अपराध की सूचना पुलिस थाने के भारसाधक अधिकारी को लिखित या मौखिक रूप से दी जाती है ,तो पुलिस अधिकारी भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 की धारा 173 के संज्ञेय अपराध की सूचना मिलने पर प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कर आपराधिक घटना का धारा 175 के तहत पुलिस अधिकारी अन्वेषण करते है।
पुलिस अधिकारी द्वारा अन्वेषण करने पर दो निष्कर्ष निकलते है :-
- भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 की धारा 189 के तहत साक्ष्य पर्याप्त न होने पर अभियुक्त को छोड़ा जाना जिसे क्लोज़र रिपोर्ट भी कहते है।
- भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 की धारा 190 के तहत साक्ष्य पर्याप्त होने पर मामले को मजिस्ट्रेट के समक्ष भेजना जिसे फाइनल रिपोर्ट भी कहते है।
दोनों ही दशा में व्यथित व्यक्ति यानी पीड़ित व्यक्ति द्वारा रिपोर्ट के असंतुष्ट होने पर मजिस्ट्रेट के समक्ष प्रोटेस्ट पेटिशन दायर कर पुलिस रिपोर्ट को चुनौती दी जा सकती है।
1. धारा 189 के तहत जब अभियुक्त के खिलाफ पर्यात्प साक्ष्य नहीं मिलते या संदेह का उचित आधार नहीं होता , तो पुलिस अधिकारी क्लोज़र रिपोर्ट लगा के व्यक्ति को बंधन पत्र या जमनातपत्र निष्पादित कर छोड़ देगा।
2. धारा 193 के तहत अन्वेषण के समाप्त होने जाने पर पुलिस अधिकारी अन्वेषण की रिपोर्ट की एक कॉपी सूचना देने वाले व्यक्ति या पीड़ित व्यक्ति को देगा और सक्षम क्षेत्राधिकार वाले न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष फाइनल रिपोर्ट दाखिल की जाती है, जो की अपराध का संज्ञान लेने के लिए अधिकृत करती है।
अब जब सूचना देने वाले व्यक्ति या पीड़ित व्यक्ति को पुलिस अधिकारी द्वारा आपराधिक घटना के अन्वेषण की रिपोर्ट मिलती ही , रिपोर्ट अध्यन करने पर सूचना देने वाले व्यक्ति या पीड़ित व्यक्ति को अन्वेषण के निष्कर्षों से असंतुष्ट है , जैसा घटना घटित हुई जो सूचना दी गयी जैसी परिस्थिति थी वैसा कुछ रिपोर्ट में उल्लेख नहीं है या रिपोर्ट सुसंगत नहीं है , तो सुचना देने वाला व्यक्ति या पीड़ित व्यक्ति पुलिस अधिकारी की रिपोर्ट को प्रोटेस्ट पेटिशन के जरिये चुनौती दे सकता है।
व्यथित व्यक्ति / पीड़ित व्यक्ति भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 की धारा 175 (3 ) के अधीन मजिस्ट्रेट के समक्ष परिवाद प्रस्तुत कर पुलिस की रिपोर्ट को चुनौती दे सकेगा। इस परिवाद के साथ सभी सुसंगता दस्तावेज प्रस्तुत करने होंगे जो यह विश्वास करने का कारण हो की पुलिस की रिपोर्ट सुसंगत नहीं है , मजिस्ट्रेट के समाधान हो जाने पर आपराधिक घटना की अतिरिक्त अन्वेषण करने का आदेश पुलिस अधिकारी को दे सकेगा।
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