नमस्कार मित्रों,
आज के इस लेख में हम जानेंगे कि " उत्तर प्रदेश में म्युटेशन चार्ज क्या है ? " यानी उत्तर प्रदेश में भूमि नामांतरण की दर क्या है ?
जब भी कोई व्यक्ति भूमि खरीदता है , तो उसकी रजिस्ट्री होती है और उसके नाम ट्रांसफर होती है , इसके बाद जो मुख्य कार्य होता है वह है म्युटेशन यानी दाखिल खरिज करवाना जिसका तात्यपर्य है कि जिस व्यक्ति से भूमि ली है खतौनी में उसके नाम को ख़ारिज करा कर अपने नाम को दाखिल कराना। इन सब में कानूनी कार्यवाही लगती है और दाखिल ख़ारिज की निर्धारित शुल्क का भुगतान करना होता है।
उत्तर प्रदेश में म्युटेशन चार्ज / दाखिल ख़ारिज फीस कितनी है ?
उत्तर प्रदेश नगर नियोजन और विकास ( नामांतरण प्रभार निर्धारण , उद्द्ग्रहण और संग्रहण ) नियमावली , 2022 के नियम 5 के तहत नामांतरण प्रभारों की दरें / म्युटेशन चार्ज / दाखिल ख़ारिज फीस के सम्बन्ध में प्रावधना किया गया है, कि म्युटेशन में लगने वाला चार्ज किस अनुपात में लगेगा।
1. पट्टाघृत समपत्ति के मामले में नामांतरण प्रभार संपत्ति के वर्तमान मूल्य के एक प्रतिशत के समतुल्य होंगे।
किसी विधिक वारिस के नाम से नामांतरण के मामले में या रजिस्ट्रीकृत वसीयत के मामले में नामांतरण प्रभार दर पांच हजार रूपये मात्र ( 5000/-) होंगे।
2. अन्य सम्पत्तियों के मामल में जैसे कि पूर्व स्वामित्व ,दान विलेख मामलें में नामांतरण प्रभार निम्नानुसार होंगे :-
जिला मजिस्ट्रेट के सर्किल दर के अनुसार संपत्ति का मूल्य नामांतरण प्रभार दर
- समपत्ति का मूल्य 5 लाख रुपए 1000 /- रूपये
- संपत्ति का मूल्य 5 लाख रूपये से अधिक किन्तु 10 लाख तक 2000 /- रूपये
- संपत्ति का मूल्य 10 लाख रूपये से अधिकत किन्तु 15 लाख तक 3000 /- रूपये
- संपत्ति का मूल्य 15 लाख रूपये से अधिक किंतु 50 लाख तक 5000 /- रूपये
- संपत्ति का मूल्य 50 लाख रूपये से अधिक 10000 /- रूपये
एक या एक से अधिक मध्यवर्ती विक्रय हो और सम्बंधित मध्यवर्ती क्रेताओं के नाम से नामांतरण न की गयी हो , तो प्रत्येक मध्यवर्ती विक्रय -विलेख पर इस नियमावली के अनुसार उपरोक्त लिखित दरों में 25 प्रतिशत दर से अतिरिक्त नामांतरण प्रभार का भुगतान करना होगा।
प्रश्नगत संपत्ति के सम्बन्ध में कोई बकाया होने या कोई धनराशि देय होने की स्थिति में नामांतरण प्रभारों सहित उसका भुगतान नामांतरण आवेदन प्रस्तुत करते जायेगा।
3. समाचार पत्र में विज्ञापन के प्रकाशन का शुल्क वास्तविक खर्चे के अनुसार होगा और उसका भुगतान प्राधिकरण द्वारा जारी मांग पत्र के 10 दिन के भीतर किया जायेगा।
अनुकल्पिक रूप में आवेदक प्राधिकरण द्वारा इस निमित्त निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार अपने निजी लागत पर समाचार पत्र में विज्ञापन सीधे प्रकाशित करा सकता है, लेकिन उक्त विज्ञापन इस नियामवली से संलग्न अनुलग्न में दिए गए प्रारूप के अनुसार प्रकाशित किया जायेगा।



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