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राज्य विधिक परिषद द्वारा किये जाने वाले कार्य क्या है ? function of state bar council in india

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नमस्कार मित्रों,

आज के इस लेख में हम जानेंगे कि " अधिवक्ताओं के सम्बन्ध में राज्य विधिक परिषद द्वारा किये जाने वाले कार्य क्या है ?"

अधिवक्ताओ के सम्बन्ध में पारित किया गया, अधिवक्ता अधिनियम 1961 की धारा 3 के तहत राज्य विधिक परिषद के गठन का प्रावधान करती है , जहाँ देश के सभी राज्यों में ,उस राज्य के नाम से जाने जाना वाला एक विधिक परिषद का गठन किया जायेगा। प्रत्येक राज्य में गठित उस राज्य का राज्य विधिक परिषद अपने राज्य के नामांकित पंजीकृत अधिवक्ताओं के सम्बंद में कई कार्य करता है।  

इसको विस्तार से जाने। 

राज्य विधिक परिषद द्वारा किये जाने वाले कार्य क्या है ?"


राज्य विधिक परिषद के कार्य क्या है ?

अधिवक्ता अधिनियम 1961 की धारा 6 में राज्य विधिक परिषद के कार्यो का उल्लेख किया गया है, यह कार्य निम्न प्रकार से है :-

1. अधिवक्ता अधिनियम 1961 की धारा 6 उपधारा 1 के अधीन राज्य विधिक परिषद के कार्य निम्न होंगे :-
  1. राज्य विधिक परिषद अपने नामावली में अधिवक्तओं के रूप में पंजीकृत व्यक्तियों के नाम दर्ज करेगा। 
  2.  राज्य विधिक परिषद द्वारा ऐसी नामावली को तैयार करना और बनाये रखना, यानी ऐसी नामावली का रख रखाव रखेगा जिसमे अधिवक्ताओं के नाम दर्ज है। 
  3. राज्य विधिक परिषद अपनी नामावली में दर्ज पंजीकृत अधिवक्तओं के विरुद्ध दुराचार के मामले प्राप्त करना, इन मामलो में विचार करना व् ऐसे मामलों का समाधान करना। 
  4. राज्य विधिक परिषद द्वारा अपने नामवाली में दर्ज पंजीकृत अधिवक्तओं के अधिकारों, विशेषाधिकारों और हितों की रक्षा करना।  
  5. राज्य विधिक परिषद धारा 6 की उपधारा 2 के खंड क और धारा 7 की उपधारा 2 के खंड क के अंतर्गत निर्धारित रीति से एक या अधिक निधियों का गठन निर्धन, निःशक्त, या अन्य अधिवक्ताओं के लिए कल्याणकारी स्कीमों के संचालन के लिए वित्तीय सहायता देने के लिए करेगी। 
  6. राज्य विधिक परिषद द्वारा विधि सुधार को बढ़ावा देना और समर्थन करना। 
  7. राज्य विधिक परिषद विधिक विषयों पर प्रख्यात विधि-शास्त्रियों द्वारा परिसंवाद का संचालन करेगा और वर्ताओं का आयोजन करना और विधिक रुचि की पत्र -पत्रिकाएं और लेख प्रकाशित करेगा। 
  8. राज्य विधिक परिषद निर्धारित रीति से निर्धनों यानी आर्थिक कमजोर वर्ग के व्यक्तियों को विधिक सहायता देने जे किये आयोजन करना। 
  9. राज्य विधिक परिषद विधिक परिषद की निधियों का प्रबंध करेगा और उनका विनिधान यानी निवेश करेगा।
  10. राज्य विधिक परिषद द्वारा अपने सदस्यों के निर्वाचन की व्यवस्था की जाएगी। 
  11. धारा 7  उपधारा 1 के खंड झ के अधीन दिए गए निर्देशों के अनुसार विश्वविद्यालयों में जाना और उनका निरीक्षण करना , जहाँ ऐसे विश्वविद्यालयों को मान्यता देना, जिनकी विधि की उपाधि यानी डिग्री अधिवक्ता के रूप में नामांकित किये जाने के लिए योग्य होगी और उस प्रयोजन के लिए विश्वविद्यालयों में जाना और निरीक्षण करना , या राज्य विधिक परिषदों को ऐसे निर्देशों के अनुसार जो वह इस सम्बन्ध में दे, विश्वविद्यलयों में जाने देना और उनका निरीक्षण कराना होगा। 
  12. अधिवक्ता अधिनयम द्वारा या उसके अधीन राज्य विधिक परिषद को प्रदान किये गए सभी कार्यों का पालन करना होता। 
  13. ऊपर पहले बताये गए सभी कार्यों का पालन करने के लिए आवश्यक अन्य सभी कार्य करने होते है। 
2. धारा 6 की उपधारा 2 के अधीन राज्य विधिक परिषद निर्धारित रीति से एक या अधिक निधियों का गठन निम्नलिखित प्रयोजन के लिए कर सकेगा :-
  1. राज्य विधिक परिषद  निर्धन यानी आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग, निःशक्त या अन्य अधिवक्ताओं के लिए कल्याणकारी स्कीमों का संचालन के लिए वित्तीय सहायता देने के एक या अधिक निधियों का गठन कर सकेगा। 
  2. इस सम्बन्ध में बनाये गए नियमों के अनुसार विधिक सहायता या सलाह देने के लिए एक या अधिक निधियों का गठन कर सकेगा। 
  3. राज्य विधिक परिषद, विधि पुस्तकालयों कोई स्थापना करने के लिए एक या अधिक निधियों का गठन कर सकेगा। 
3. धारा 6 की उपधारा 3 के तहत राज्य विधिक परिषद निर्धन, निःशक्त और अन्य अधिवक्ताओं के लिए कल्याणकारी स्कीमों  वित्तीय सहायता देने लिए, विधिक सहायता या सलाह देने के लिए या विधि पुस्तकालयों की स्थापना करने के लिए इन सभी प्रयोजन या इनमे से किसी प्रयोजन के लिए अनुदान ,दान या उप्कृतियाँ प्राप्त कर सकेगी, जो कि उपधारा 2 के अधीन गठित समुचित निधि या विधियों में जमा की जाएगी। 

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