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असली सोने के गहनों की पहचान कैसे करे ? BIS hallmark प्रमाणित सोना क्या है ?


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नमस्कार मित्रों,

आज के इस लेख में हम जानेंगे कि असली सोने की पहचान कैसे करे ? असली सोने के गहनों की पहचान कैसे करे ? 

सोना - जो कि अमूल्य है, इसकी कीमत का आकलन लगा पाना बहुत ही मुश्किल है, क्योकि सोने के दाम में उतार -चढ़ाव बना रहता है। भारत में सोना अधिकतर व्यक्ति तीज -त्यौहार जैसे दिवाली, विवाह, सगाई, धनतेरस, नवरात्र, या आवश्यकता अनुसार खरीदते है। लेकिन हर कोई यह चाहता है, जो सोना वह ले रहे है, जितने भी कैरट का हो सोना शुद्ध हो यानी सोना असली होना ही चाहिए , क्योकि वे इसके लिए उतनी राशि देते है, जितने का वह होता है।  

BIS hallmark


असली सोने के गहनों की पहचान कैसे करे ? 


भारत सरकार ने सोने के असली होने के सम्बन्ध में वर्ष 2016 को भारतीय मानक ब्यूरो अधिनियम 2016 पारित किया। जो कि सोने की शुद्धता को लेकर मानकता और हॉलमार्क चिन्ह निर्धारित करता है, यह चिन्ह हॉलमार्क के नाम से जाना जाता है। सोने के आभूषणों में बने हॉलमार्क उसके शुद्धता की गारंटी देता है। 

यह अधिनियम सोने के आभूषणों के शुद्ध होने के सम्बन्ध में बिक्री हेतु जौहरी को प्रमाणपत्र जारी करता है, की जो इस बात का सूचक होता है कि उपरोक्त सोना यानी सोने के आभूषण / सामग्री भारतीय मानक ब्यूरो से प्रमाणित है।  

उपभोक्ता होने के नाते आपको उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत कुछ अधिकार दिए गए है, उन्ही में से एक है , जानने का अधिकार / जानकारी प्राप्त करने का अधिकार।  जो वस्तु / सामग्री आप बाजार से ले रहे है, उससे सम्बंधित जानकारी प्राप्त करने का अधिकार है और दूकानदार को उस सामग्री के सम्बन्ध में पूछे जाने वाली जानकारी के बारे में सूचना देना दूकानदार का कर्तव्य है।  

भारतीय मानक ब्यूरो अधिनियम 2016 के तहत सोना लेने से पहले प्रत्येक व्यक्ति को यह मुख्य 5 चिन्ह अवश्य देखने चाहिए जो कि निम्न प्रकार से है :-
  1. भारतीय मानक ब्यूरो हॉलमार्क। 
  2. शुद्धता की श्रेणी। 
  3.  परख और हॉलमार्क केंद्र।
  4. हॉलमार्क के अंकन का वर्ष। 
  5. ज्वैलर आइडेंटिफिकेशन मार्क।  
इन सभी को विस्तार से समझेंगे, ताकि सोने के असली होने की परख हो सके।  

1. भारतीय मानक ब्यूरो हॉलमार्क - BIS - Beuro of Indian Standard 

BIS hallmark प्रमाणित सोना

सोने के आभूषण लेते समय भारतीय मानक ब्यूरो हॉलमार्क चिन्ह अवश्य देखे, यह हॉलमार्क सोने की शुद्धता की गारंटी देता है।  

भारतीय मानक ब्यूरो अधिनियम, 2016 की धारा 16 हॉलमार्क के सम्बन्ध में प्रावधान करती है। हॉलमार्क बहुमूल्य धातु (सोना, चांदी, प्लेटिनम, पलैडियम) की वस्तु के सम्बन्ध में एक ऐसा मानक चिन्ह यानी कोई आकृति, छाप, सिरा, लेबल, टिकट, चित्ररूपण, नाम, हस्ताक्षर, शब्द, अक्षर, अंक, कोई संयोजन है, जो कि उचित भारतीय मानक के अनुसार उस वस्तु में बहुमूल्य धातु की अनुपातिक अंतर्वस्तु को उपदर्शित करता है। यह हॉलमार्क सोने की शुद्धता को प्रदर्शित करता है। 

भारतीय मानक ब्यूरो अधिनियम की धारा 14 उपधारा 2 के तहत सोने के आभूषणों का व्यापार करने वाले हर लाइसेंस धारक प्रमाणित जौहरी द्वारा सोने के आभूषणों पर भारतीय मानक ब्यूरो हॉलमार्क या मानक चिन्ह से चिन्हित किये जाने के बाद ही प्रमाणित सोने आभूषणों की बिक्री की जा सकेगी। 

 
2. कैरेट में शुद्धता की श्रेणी। 

सोना या सोने के आभूषणों को लेने से पहले आपको उस सोने या सोने के आभूषणों में चिन्हित कैरेट चिन्ह को देखना चाहिए, जो की सोने की शुद्धता को अंग्रेजी के अक्षर K से प्रदर्शित करता है।   

भारतीय मानक ब्यूरो अधिनियम 2016 के तहत भारतीय मानक ब्यूरो ने सोने की शुद्धता के मानक में जनवरी 2017  में शंसोधन किया कि सोने के सभी आभूषणों में कैरेट चिन्ह चिन्हित किया जायेगा। कैरेट जैसे की :
    

             CARART                          PURITY 
  1. 23 CARAT                                958             95. 8 % शुद्धता 
  2. 22 CARAT                                916            91. 6  % शुद्धता 
  3. 21 CARAT                                875            87. 5  % शुद्धता 
  4. 18 CARAT                                750            75. 0 % शुद्धता 
  5. 17 CARAT                                708           70. 8 % शुद्धता 
  6. 14 CARAT                                585           58. 5 % शुद्धता 
  7. 9 CARAT                                  375          37. 5 % शुद्धता 
3. परख और हॉलमार्क केंद्र।  

सोने के आभूषणों को लेने से उसपर चिन्हित परख और हॉलमार्क केंद्र का चिन्ह अवश्य देखा जाना चाहिए, जो की इस बात का सूचक होता है कि सोने के आभूषणों में चिन्हित हॉलमार्क किस मान्यता प्राप्त परख और हॉलमार्क केंद्र द्वारा लागु किया गया है। 

परख हॉलमार्क केंद्र को संतोषजनक मूल्यांकन के आधार पर 3 वर्ष की अवधि तक के लिए मान्यता प्रदान की जाती है। यह मान्यता प्राप्त केंद्र केवल भारतीय मानक ब्यूरो से प्राप्त लाइसेंस धारक ज्वैलरों की वस्तु को हॉलमार्क कर सकते है। 


4. हॉलमार्क के अंकन का वर्ष। 

सोने के आभूषणों को लेने से पहले उस आभूषण पर अंकित हॉलमार्क का वर्ष अवश्य देखना चाहिए।  इससे यह जानकारी प्राप्त होती है कि सोने के आभूषण में हॉलमार्क किस वर्ष में अंकित किया गया है। 

भारतीय मानक ब्यूरो सभी सोने के आभूषणों में वर्ष को अंग्रेजी के अक्षरों से चिन्हित करता है। अब ये अंग्रेजी के अक्षर कौन से होंगे जो वर्ष को प्रदर्शित करेंगे , यह भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा ही निर्धारित किया जाता है।

हॉलमार्क के अंकन का वर्ष निम्न प्रकार से वर्षों के आधार अंकित किया जाता है।      

वर्ष                            कोड 

2000                           A

 
2011                         N


2012                       P
  

5. ज्वैलर आइडेंटिफिकेशन मार्क / आभूषण पहचान चिन्ह। 

सोना के आभूषणों को लेने से पहले उस आभूषण पर अंकित ज्वेलर आइडेंटिफिकेशन मार्क यानी सोने के आभूषण बेचने वाले प्रमाणित जौहरी का उसका अपना चिन्ह जो आभूषण में अंकित किया जाता है, उसको देखना आवश्यक है।  


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