- एक दत्तक ग्रहण कब वैध होगा ?
- कब एक हिन्दू पुरुष बच्चे को गोद लेने के लिए सक्षम होगा ?
- कब एक हिन्दू महिला बच्चे को गोद लेने के लिए सक्षम होगी ?
- कौन व्यक्ति गोद देने के लिए सक्षम होगा ?
- यदि माता पिता जीवित हो तो क्या दत्तक देने में दोनों का सामान अधिकार होगा ?
- यदि माता-पिता दोनों की मृत्यु हो गयी हो दत्तक देने के लिए कौन सक्षम होगा ?
- संरक्षक को दत्तक देने की अनुमति देने से पहले न्ययालय किन बातों पर ध्यान देगी ?
- दत्तक लिया जाने वाला व्यक्ति कौन होगा ?
- दत्तक ग्रहण के सम्बन्ध में अन्य शर्ते क्या है ?
- हिन्दू दत्तक ग्रहण तथा भरण पोषण अधिनियम 1956 की धारा 5 के तहत किसी हिन्दू के द्वारा कोई दत्तक ग्रहण यानी बच्चे को गोद लिया जा रहा है तो इस अधिनियम के प्रारंभ होने के बाद इस अधिनियम में लिखित प्रावधानों के अनुसार ही दत्तक ग्रहण किया जायेगा। यदि अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन होता है तो किया गया कोई भी दत्तक ग्रहण शून्य होगा।
- धारा 5 उपधारा 2 के तहत दत्तक ग्रहण के प्रावधानों के उल्लंघन पर दत्तक ग्रहण जो शून्य है, गोद लिए जाने वाले व्यक्ति का गोद लेने वाले व्यक्ति के परिवार में कोई अधिकार नहीं होगा जो अधिकार वह गोद लिए जाने के कारण प्राप्त करता और न ही वह अपने जन्म लेने वाले परिवार में किसी भी अधिकार से वंचित होगा जो उसे जन्म लेने वाले परिवार से मिलते।
- गोद लेने वाले व्यक्ति बच्चा गोद लेने में सामर्थ्य होना चाहिए व् बच्चा गोद लेने का अधिकार भी रखता है,
- गोद देने वाला व्यक्ति का गोद देने में सक्षम होना चाहिए ,
- जिस बच्चे को गोद लिया जा रहा है वह गोद लेने के लिए सक्षम होना चाहिए,
- बच्चा गोद लेते समय इस अधिनियम में वर्णित अन्य शर्तों का उल्लंघन नहीं होना चाहिए,
- व्यस्क होना चाहिए,
- मानसिक स्थिति स्वस्थ होनी चाहिए,
- दत्तक ग्रहण द्वारा पुत्र या पुत्री को लेने में सक्षमता का होना अनिवार्य है,
- यदि पत्नी जीवित हैं तो बच्चे को गोद लेने से पहले पत्नी की सहमति अनिवार्य है,
- यदि पत्नी ने पूर्ण रूप से सन्यास ले लिया हो या हिन्दू धर्म छोड़कर कर कोई अन्य धर्म अपना लिया हो या सक्षम क्षेत्राधिकर वाले न्यायालय द्वारा पत्नी के सम्बन्ध में यह घोषित कर दिया गया हो कि उसकी मानसिक स्थिति सही नहीं है, तो इन परिस्थितियों में पत्नी की सहमति आवश्यक नहीं है।
- व्यस्क होनी चाहिए,
- मानसिक स्थिति स्वस्थ होनी चाहिए,
- दत्तक ग्रहण द्वारा पुत्र व् पुत्री को लेने में सक्षमता का होना अनिवार्य है,
- यदि पति जीवित है तो उसकी सहमति पर ही वह किसी पुत्र व् पुत्री को गोद ले सकेगी,
- यदि पति ने पूर्ण रूप से सन्यास ले लिया हो या अंतिम रूप से संसार त्याग दिया हो या हिन्दू धर्म छोड़कर किसी अन्य धर्म को अपना लिए हो या सक्षम क्षेत्राधिकार वाले न्यायालय द्वारा उसके सम्बन्ध में यह घोषित कर दिया गया हो कि उसकी मानसिक स्थिति सही नहीं है,तो इन परिस्थितयों में पति की सहमति आवश्यक नहीं है।
- पुत्र व् पुत्री की आयु क्या है और उनमे समझ-भूझ कितनी है,
- दत्तक दिए जाने के सम्बन्ध में पुत्र व् पुत्री की इच्छा क्या है इस पर विचार करके न्यायालय अपना यह समाधान कर लेगा कि दत्तक दिया जाना पुत्र व् पुत्री के लिए कल्याणकारी होगा या नहीं,
- दत्तक देने के प्रतिफलस्वरूप ऐसी किसी देनगी या पुरस्कार के सिवाय जैसा कि न्यायालय मंजूर करे, कोई देनगी या पुरस्कार-प्राप्त या प्राप्त करने के लिए करार न तो अनुमति के लिए आवेदक ने किया और न किसी व्यक्ति ने आवेदक को की है या न करने या देने के लिए ही उससे करार किया है।
2.संरक्षक - वह व्यक्ति जो बालक के शरीर की देख-भाल रखता हो उसके शरीर और संपत्ति दोनों की देख -भाल करता हो और इसमें शामिल हो।
- बालक में माता या पिता के इच्छापत्र द्वारा नियुक्त एक संरक्षक,
- एक न्ययालय द्वारा नियुक्त या घोषित एक संरक्षक।
- बालक हिन्दू हो,
- वह पहले से ही दत्तक नहीं लिया गया हो या ली गयी हो,
- वह विवाहित न हो, यदि पक्षकारो पर लागु होने वाली रूढ़ि या प्रथा यह अनुमति देती हो कि विवाहित व्यक्तियों का दत्तक लिया जा सकता है ,तो उनके विवाहित होने पर भी दत्तक लिया जा सकता है।
- उन्होंने पंद्रह वर्ष की आयु पूरी न कर ली हो, यदि पक्षकारो पर लागु होने वाली रूढ़ि या प्रथा यह अनुमति देती हो कि जिसने पंद्रह वर्ष की आयु पूर्ण कर ली हो उसे गोद लिया जा सकता है तो पंद्रह वर्ष की आयु पूर्ण होने पर भी गोद लिया जा सकता है।
- यदि दत्तक ग्रहण किसी पुत्र का है तो जिस पिता या माता ने दत्तक ग्रहण किया है यानी गोद लिया है , उस गोद लेने वाले पिता या माता का कोई हिन्दू पुत्र, पुत्र का पुत्र या पुत्र के पुत्र का पुत्र चाहे जायज हो और खून के रिश्ते से हो या दत्तक ग्रहण से हो दत्तक ग्रहण के समय जवित न हो,
- यदि दत्तक ग्रहण किसी पुत्री का है तो जिस माता या पिता ने दत्तक ग्रहण किया है, उस गोद लेने वाले माता पिता की कोई हिन्दू पुत्री, पुत्री की पुत्री चाहे वह जायज हो या खून के रिश्ते से हो या दत्तक ग्रहण से हो दत्तक ग्रहण के समय जीवित न हो ,
- यदि दत्तक ग्रहण किसी पुरुष द्वारा किया जा रहा है और गोद लिए जाने वाली नारी है तो गोद लेने वाले पुरुष व्यक्ति आयु में कम से कम 21 वर्ष बड़ा होना चाहिए।
- यदि दत्तक ग्रहण किसी महिला द्वारा किया जा रहा है और गोद लिए जाने वाला पुरष है तो गोद लेने वाली महिला आयु में कम से कम 21 वर्ष बड़ी होनी चाहिए।
- एक ही बालक को एक साथ दो या दो से अधिक व्यक्तियों द्वारा गोद नहीं लिया जा सकेगा।
मै ६० साल का और मेरी पत्नी ५० साल की है। मुझे २ लड़कियां है। मै मेरे साले को दत्तक लेना चाहता हूं जो की ४४ साल का है। मेरे साले की बीवी मर चुकी है और साले को १० साल की लड़की है। इसमें सभी की सम्मति है। क्या मै कानूनन दत्तक ले सकता हूं। कृपया मदत करे।
जवाब देंहटाएंआप यह लेख एक बार पुनः पढे वो भी ध्यान से, इसी लेख मे आपके सवाल का जवाब है जो कि स्पष्ट रूप से लिखा है । किस बालक को गोद लिया जा सकता है ? इस लाइन को पढे ।
हटाएंSir mera Naam movassir Ali mjhe meri bua ne 2001 year me notary dwara goodnaama dwara good Liya tha goodnaama notere ke fifty rs ke stamp pe likha hua he kya woh valid he plz help me 9760265676
जवाब देंहटाएंवैध है ।
हटाएंदत्तक लेने के बाद दत्तक माता पिता की मृत्यु हो गया और दत्तक पुत्र के पास दत्तक का कोई लिखित प्रमाण नहीं है उस स्थिति क्या करना चाहिए
जवाब देंहटाएंजिस समय बालक को गोद लिया गया उस समय बालक की उम्र क्या थी ?
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