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वसीयत क्या है और कैसे लिखी जाती है How to write a Perfect will

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नमस्कार मित्रों,
आज के इस लेख में आप सभी को " वसीयत क्या है और कैसे लिखी जाती है " इसके बारे में सम्पूर्ण जानकारी विस्तार से बताने जा रहा हु।

क्योकि वसीयत एक ऐसा अहम दस्तावेज है, जिसे प्रत्येक को अपने जीवनकाल में बनवा लेनी चाहिए क्योकि यदि किसी व्यक्ति की एक या अधिक संताने है ,तो संपत्ति के सम्बन्ध में किसी बात को लेकर किसी प्रकार का कोई विवाद उत्पन्न न हो और न्यायालय का चक्कर काटना न पड़े। 

तो चलिए वसीयत के बारे में विस्तार से जाने।  

वसीयत क्या होती है ?
वसीयत एक ऐसा अहम दस्तावेज है जिसके जरिये व्यक्ति अपनी संपत्ति का पूर्ण अधिकार अपने किसी को देता है। जहाँ वह इस बात को वसीयत में लिखता है कि यदि किन्ही कारण वश जैसे बीमारी, या अन्य कारण उसकी मृत्यु हो जाती है तो उसकी सम्पूर्ण चल व् अचल संपत्ति पर सम्पूर्ण अधिकार उस व्यक्ति का होगा जिसके नाम यह वसीयत नामा लिखा गया है। 

वसीयत नामा उस प्रत्येक व्यक्ति को अपने जीवन काल में बना लेना चाहिए जिसके पास अपनी स्वयं की संपत्ति है और उसके एक या एक से अधिक संतान है। वसीयत नामे में किस बच्चे को संपत्ति में कितना हिस्सा देना है इस बात का जिक्र स्पष्ट व् पूर्ण रूप से लिख देना चाहिए, यह इसलिए की उसकी मृत्यु के बाद संतानो में संपत्ति को लेकर आपसी विवाद उत्पन्न न हो और न्यायालय का चक्कर लगाना पड़े। 

वसीयत मात्र लिख देने से व्यक्ति का उसकी संपत्ति से अधिकार नहीं हट जाता है जब तक कि वसीयतकर्ता की मृर्त्यु नहीं हो जाती है। व्यक्ति अपने जीवन काल में अपने द्वारा लिखी गयी वसीयत में जितनी बार चाहे परिवर्तन कर सकता है, लेकिन उस वसीयत पर नहीं किया जा सकता जिसको उसने अपने जीवन काल के अंतिम पलों में आखिरी बार लिखा है। 

Vasiyat kaise likhe ? ( How to write a Perfect will)

वसीयत क्यों है जरुरी  ?
वसीयत का लिखा जाना क्यों है जरुरी इस बात को निम्न बिंदुओं से समझ सकते है। 
  1. वसीयत नामा इसलिए जरुरी है ताकि उसकी मृत्यु के बाद परिवार में संपत्ति के सम्बन्ध में किसी बात को लेकर भाइयों के मध्य कोई विवाद उत्पन्न न हो।
  2. उस व्यक्ति की दशा में जिसकी कोई संतान या वारिस नहीं है और उसने अपने रिश्तेदार में किसी व्यक्ति के नाम वसीयत नहीं की है तो ऐसे में उसकी मृत्यु के बाद वह संपत्ति राज्य सरकार को चली जाती है।  
  3. यदि वारिस है तो ऐसे में उसकी चल या अचल सम्पति उसके वारिस के नाम हो जाती है। 
  4. यदि वसीयत बनाये बिना व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तो ऐसे में उसकी संपत्ति के बटवारे को लेकर कानूनी कार्यवाही करनी पड़ती है।
  5. यदि किसी व्यक्ति द्वारा संपत्ति को लेकर दीवानी न्यायालय में झूठा, फर्जी वाद दायर कर उस संपत्ति पर अपना दावा किया जाता है तो ऐसे में उस संपत्ति के मालिक द्वारा अपनी संपत्ति को अपनी संपत्ति साबित करने के लिए न्यायालय में उस वसीयत को साक्ष्य के रूप में दाखिल किया जाता है। 
वसीयत किन चीजों, वस्तु , समपत्ति की, कि जा सकती है ?
वसीयत उन सभी चीजों, वस्तुओं और संपत्ति की, कि जा सकती है जिनको व्यक्ति ने स्वयं प्राप्त की है जैसे :-
  1. स्वयं खरीदी या पूर्वजों से प्राप्त चल या अचल संपत्ति,
  2. घरेलु सामान,
  3. आभूषण - सोना, चाँदी, हिरा, मोती अन्य रत्न,
  4. बैंक खाते में जमा धन राशि,
  5. प्रोविडेंट फण्ड ,
  6. शेयर,
  7. भवन,
  8. प्लाट,
  9. जमीन,
  10. कृषि भूमि,
वसीयत कौन कर सकता है ?
वसीयत वह प्रत्येक व्यक्ति कर सकता है जिसने स्वयं या अपने पूर्वजों से चल या अचल सम्पति प्राप्त की है। वसीयतकर्ता का मानसिक व् शारीरिक रूप से स्वस्थ होना अनिवार्य है।  

वसीयत कब बना लेनी चाहिए है  ?
  1. वसीयत प्रत्येक व्यक्ति को अपने जीवनकाल में  बना लेनी चाहिए। 
  2. वसीयत प्रत्येक को अपनी 60 वर्ष की उम्र प्राप्त कर लेने के बाद बना लेनी चाहिए। 
  3. यदि व्यक्ति किसी सरकारी या गैर सरकारी नौकरी से सेवानिवृत्त हो चुका है तो ऐसे में सेवानिवृत्त के बाद वसीयत बना लेनी चाहिए। 
  4. यदि व्यक्ति किसी गंभीर या लाईलाज बीमारी से ग्रस्त है तो मृत्यु से पहले वसीयत बना लेनी चाहिए।  
वसीयत कैसे लिखी जाती है?
वसीयत लिखे जाने का कोई एक निश्चित प्रपत्र यानी फॉर्म नहीं होता है, कोई भी व्यक्ति अपनी वसीयत स्टाम्प पेपर पर लिखवा कर उसे पंजीकृत करवा सकता है। ऐसा इसलिए क्योकि एक पंजीकृत वसीयत कानूनी जनरो में वैध मानी जाती है और अधिक प्रभावशाली होती है।  वैसे तो पहले कई लोग अपनी वसीयत सादे पन्ने पर गावं के प्रधान से लिखवा किया करते थे और अपने निकटतम दो साथियों की गवाही भी करवा लिया करते थे।   

वसीयत के सम्बन्ध  में  यह स्पष्ट करना है । 
वसीयत के सम्बन्ध में एक और बात स्पष्ट करना है कि वसीयत दो प्रकार की होती है :-
  1. पंजीकृत 
  2. अपंजीकृत। 
अपंजीकृत वसीयत एक सामान्य जन द्वारा कि जाती है और दूसरी जिसे privileged वसीयत कहते है। यह केवल विशिष्ट व्यक्तियों द्वारा ही की जाती है अर्थात थल सेना, वायु सेना, नव सेना के जवानो द्वारा थल, जल, आकाश में लिखी जाती है चाहे यह कागज पर लिखी जाये या यह किसी कपडे पर यह अन्य किसी चिन्हो द्वारा लिखकर वसीयतकर्ता अपनी इच्छा से व्यक्त करे।  बिना किसी साक्ष्य के प्रमाण के मानी जाएगी। 

दूसरा तथ्य पंजीकृत वसीयत को लेकर यह स्पष्ट है कि यदि विवाद नहीं होता है तब पंजीकृत वसीयत मान्य होती है परन्तु विवाद की स्थिति में पंजीकृत वसीयत को भारीतय उत्तराधिकार 1925 की धारा 63 में दिए गए प्रावधान के तहत और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 68 के अनुसार सत्यापन करने वाल किसी एक गवाह द्वारा सिद्ध नहीं किया जाता तब तक पंजीकृत वसीयत साक्ष्य में ग्राह्य नहीं की जासकती है।  

वसीयत लिखने से पहले ध्यान देने वाली बातें।  
  1. वसीयतनामा जिस भी व्यक्ति के ;लिखना हो उस व्यक्ति की स्पष्ट सम्पूर्ण जानकारी। 
  2. यदि आप किसी फर्म, कंपनी या किसी फैक्ट्री के सह खातेदार है तो आप अपने हिस्से की वसीयत कर सकते है। 
वसीयत लिखने से पहले यह तैयारी अवश्य कर ले।  

1.संपत्ति की सूची बना ले- वसीयत बनाने से पहले यह अत्यंत आवश्यक होता है कि व्यक्ति को उन सभी संपत्ति की एक सूची बना लेनी चाहिए जिनको वह स्वयं या अपने पूर्वजों से प्राप्त करता है।  ये सम्पति चल व् अचल कोई भी हो सकती है। 
  1. भवन,
  2. प्लाट,
  3. जमीन,
  4. कृषि भूमि,
  5. आभूषण,
  6. अन्य समपत्ति जो हो। 
2.वारिसों की सूची बना ले - वसीयत लिकझने से पहले यह अधिक जरुरी काम है कि उन सभी वारिसों की एक सूची बना ले जिनको आप अपनी संपत्ति में हिस्सा देना चाह रहे है। 

3.संपत्ति की हिस्सेदारी- वसीयत लिखने में संपत्ति की हिस्सेदारी का सवाल बहुत अहम होता है कि किस किसको कितना हिस्सा देना है। यह वसीयत में स्पष्ट व् सटीक लिखा होना चाहिए। क्योकि इसी बात को लेकर अधिकतम विवाद उत्पन्न होता है।

4. दो गवाहों की व्यवस्था - वसीयत लिखे जाने के बाद उस वसीयत की गवाही के लिए दो व्यक्ति की आवश्यकता होती है। जिसमे ये दो गवाह यह घोषणा करते है की यह वसीयत वसीयतकर्ता के स्वयं ज्ञान व् जानकारी के आधार पर लिखी  


वसीयत कैसे लिखी जाती है - एक प्रारूप से जाने 

वसीयतनामा   बिनामालयती 
मै की (वसीयतकर्ता का नाम, उम्र) पुत्र ( वसीयतकर्ता के पिता का नाम) निवासी (वसीयतकर्ता का निवास स्थान) हु। वसीयतकर्ता की कोई संतान या पुत्र नहीं है वसीयतकर्ता की पत्नी वर्षो पूर्व वसीयतकर्ता को छोड़कर कही चली गयी है वसीयतकर्ता को उसका पता नहीं है (यदि संतान है तो उसकी जानकारी यदि नहीं है तो नहीं , यदि पत्नी साथ है तो उसकी जानकारी यदि नहीं तो) वसीयतकर्ता बुढ़ापे व् कमजोरी की अवस्था (यहाँ आप वसीयतकर्ता की स्थिति अनुसार कारण लिख सकते है ) में  पहुंच गया वसीयतकर्ता की इस बुढ़ापे व् कमजोरी में ( उस व्यक्ति का नाम  जिसको वसीयत लिखी जा रही है ) जो कि वसीयतकर्ता की रिश्ते में नातिन/नाती/पुत्र  लगती है /(यहाँ वसीयतकर्ता का वसीयत जिसके नाम लिखी जा रही जो रिश्ता हो )अपने परिवार सहित वसीयतकर्ता के साथ रहकर वासियाकर्ता की देख रेख बड़ी लगन से करती / करता है वसीयतकर्ता (उस व्यक्ति का नाम जिसके नाम वसीयत लिखनी है ) उपरोक्त  की सेवा से बहुत ही राजी व् खुश रहता है तथा उम्मीद करता है कि  ख़ुशी वसीयतकर्ता की सेवा बिना किसी अहसान के बदले जैसे पहले किया करती है वैसे ही लगातार किया करेगी / किया करेगा। तथा वसीयतकर्ता की मृत्यु के बाद वसीयतकर्ता का क्रिया कर्म धर्मानुसार करेगी तथा वसीयतकर्ता के मकान को आबाद रखेगी वसीयतकर्ता की दिली मंशा है कि वह अपनी समस्त चल अचल संपत्ति जरिये वसीयत (उस व्यक्ति का नाम जिसको वसीयत करनी है ) दे दूँ।  लिहाजा मानसिक व् शारीरिक स्वस्थ, चित्त बुध्दि होश व् हवास खुद बिना किसी जोर दबाव नाजायज के वसीयतनामा इनके हक़ में बनाम (उस व्यक्ति का नाम उम्र पता पिता / पति का नाम जिसको वसीयत की जा रही है) के तहरीर करके वसीयत करता हु व् लिख देता हु कि जब तक वसीयतकर्ता जिन्दा व् सलामंत है अपनी समस्त संपत्ति का मालिक स्वयं रहेगा वसीयतकर्ता की मृत्यु के बाद वसीयतकर्ता के समस्त चल व् अचल संपत्ति जो इस समय है एवं आगे जो होगी की स्वामी।/ स्वामिनी व् मालिक मालकिन (जिसके नाम वसीयत लिखी जा रही उसका  नाम ) उपरोक्त होंगे / होंगी संपत्ति वसीयती की दाखिल ख़ारिज वसीयतकर्ता की मृत्यु के बाद (जिसके नाम वसीयत  उसका नाम ) उपरोक्त अपने नाम करा लेवे वसीयतकर्ता की मृत्यु के बाद संपत्ति वसीयती का ( उसका नाम जिसके नाम वसीयत लिखी जा रही है ) उपरोक्त के अलावा अगर कोई व्यक्ति किसी वक्त किसी किस्म का दावेदार हो तो दावा उसका अधिकारी समक्ष पेश  उसके मुकाबले वसीयत का अधिकार झूठा, नाजायज रद्द हो।  लिहाजा यह वसीयतनामा बिनामालयती बख़ुशी लिख दिया कि प्रमाण रहे और समय पर काम आवे।  मेरी यह वसीयत प्रथम व् अंतिम है। 

वसीयतकर्ता के हस्ताक्षर 
वसीयत लिखी जाने की तिथि 

दो गवाहों की नाम हस्ताक्षर के साथ 


यह सब लिख जाने के बाद एक बार वसीयतकर्ता स्वयं एक बार पढ़ ले कोई त्रुटि हो गयी हो या कुछ छूट गया हो तो सामिल व् सही कर ले। 

उसके बाद वसीयतनामे को रजिस्ट्री कार्यालय से पंजीकृत करवा ले क्योकि पंजीकृत वसीयत कानूनी मान्य होती है। 



2 comments:

  1. hello sir

    mera naam rakesh kumar hai hum ek 100 gaj k makan mai rehte hai jo ki mere dada ji k naam per tha un ki death k baad humne is ka intkal un ke bachon k naam kerva diya jo k 3 bhai or ek behan hai, per ye makan hum ne banaya hai or 15 saal se yahan reh rahe hai dada ji k naam per hone k vaja se ye ab 4 hison mai bant gaya hai hum ise apne naam kervana chahte hai per meri jo behn hai vo ise mere naam kervane ko mana ker rahi hai us k kehna hi k na muje is mai hissa chiye or na hi mai ise kisi k naam kervoungi esi situation mai hum kya kerin. meri behan married hai us k pass apna 300 gaj k makan hai hi jo us k naam hai or un ka pati haryana roadways mai driver hai permanet hai. hume samaj nahi a raha ki hum kya kerin ku ki humara jo plot hai vo MC k under ata hai or abhi tak us ki passing nahi hui

    thank you

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    Replies
    1. बटवारे का मुकदमा दायर करो ।

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