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चोरी क्या है और चोरी करने पर सजा क्या होगी ? bns sec 303 theft

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नमस्कार मित्रों।

आज के इस लेख में हम जानेंगे कि " चोरी क्या है और चोरी करने पर सजा क्या होगी ? आजकल रोज समाचार पत्र में और टीवी न्यूज़ में , इंटरनेट , सोशल मीडिया में बस एक यही खबर सुनाई दे रहे है कि देश के हर राज्य , राज्य के हर एक शहर , शहर के हर एक गॉव, कसबे , हर एक क्षेत्र में आये चोरी की घटना घट रही है। 

ऐसे में इन चोरी की वारदात की रोकथाम के लिए देश में कानून भी है , जिसमे चोरी के अपराध के लिए सजा का प्रावधान भी है।  चोरी के सम्बन्ध में भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 303 में प्रावधान किया गया है। इसको लेकर  कई सवाल होंगे जैसे कि :-
  1. चोरी क्या है ?
  2. चोरी करने पर कौन धारा लगेगी और चोरी में सजा क्या होगी ?
  3. चोरी का अपराध जमानती है या गैर जमानतीय ?
इन सभी सवालों के जवाब आज हम जानेंगे। 

चोरी क्या है और चोरी करने पर सजा क्या होगी ? bns sec 303 theft



1. चोरी क्या है ? 

भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 303 में चोरी को परिभाषित किया गया है , जिसके अनुसार कोई भी व्यक्ति जो बेईमानी का आशय रखते हुए किसी अन्य व्यक्ति के कब्जे से उसकी सहमति के बिना चल संपत्ति को लेने के लिए हटा लेता है तब वह चोरी कही जाती है , वह व्यक्ति जिसने चल संपत्ति को लेने के इरादे से हटाया है उसने चोरी का अपराध किया है। 

चोरी के मुख्य तत्व क्या है ? 
चोरी के कुछ मुख्य तत्व है जिनके होने पर वह चोरी कही जाएगी ये निम्न है :-
  1. चल संपत्ति। चोरी का मुख्य तत्व है उसका चल संपत्ति होना यानी सम्पति का की प्रकृति ऐसी होनी कि उसे एक स्थान से दूसरे स्थान ले जाया जा सके। चल संपत्ति के अंतर्गत भूमि और वे चीजे जो भुबद्ध है या भुबद्ध किसी चीज से स्थायी रूप से जकड़ी हुई है इनको छोड़ प्रत्येक प्रकार की संपत्ति चल संपत्ति के दायरे में आती है।  
  2. बेमानी का आशय। बेईमानी का आशय से तात्पर्य है कि कोई व्यक्ति उस चल संपत्ति को अपने लाभ के लिए बेईमानी के इरादे से अपने पास रखने के लिए ऐसी जगह से हटा लेता है जो कि वह चल सम्पत्ति किसी व्यक्ति के कब्जे में थी , जो कि एक व्यक्ति को सदोष अभिलाभ हो या अन्य को सदोष हानि हो। 
  3. कब्ज़े से लेना । कब्जे से लेने का तात्पर्य यह कि ऐसी चल संपत्ति जो किसी व्यक्ति के कब्जे में है उसे उसकी सहमति से वह से हटा लेना। यानी ऐसी चल संपत्ति का किसी व्यक्ति के कब्जे में होना अनिवार्य है।  
  4. बिना सहमति। बिना सहमति का तात्पर्य यह कि चल संपत्ति को उसके मालिक के कब्जे से उसकी सहमति प्राप्त किये बिना उसे उसके स्थान से ले जाने के लिए हटाया जाना है 
चोरी के अपराध धारा 303 का उदाहरण 

1. एक व्यक्ति की भूमि में वृक्ष लगा है , अब उस वृक्ष को कि  उसके कब्जे में है और उसकी सहमति के बिना बईमानी के आशय से एक दूसरा व्यक्ति भूमि पर लगे वृक्ष को काट डालता है , यहाँ जैसे कि उस व्यक्ति ने वृक्ष को लेने के लिए उसे भूमि से अलग किया , उसने चोरी की। 

2. आप अपने सभी साथियों के साथ मनाली घूमने जाते है , ऐसे में शाम के समय वही पर बोन फायर के लिए तंब्बु को रेंट में लेते है। उसी समय कैंप के अस्स पास सभी लोग बैठे होते है आपका ग्रुप भी वही जमीन पर बैठ जाता है  , ऐसे में आप अपने मित्रों के पास अपना फ़ोन रख कर सामने दुकान से खाने पिने का सामान लेने जाते है , इतने में ही आपके आने से पहले वही दूर बैठा एक व्यक्ति मौका मिलने पर आपके फ़ोन को वह से उठा कर भगाता है , आपके आने फ़ोन न दिखने पर अपने मित्रों से पूछने पर उसे खोजने लगते है , तभी एक आवाज आती पकड़ो पकड़ो चोर चोर। 

उसी समय दूसरे व्यक्ति ने उस व्यक्ति को आपका फ़ोन वहाँ से उठाते देख भागते देखा , तो उसने संदेह के कारण उस व्यक्ति को पकड़ा तो उसके पास से कई फ़ोन , पर्स , नकदी और अन्य मूलयवान वस्तु मिली और आपका फ़ोन भी। 

ऐसी घटना के कारित करने के लिए उस व्यक्ति को पुलिस के हवाले करने के लिए वहाँ की भीड़ में से एक पुलिस को कॉल करके बुला लेता है और उस चोर को पुलिस के हवाले कर देते है। 

उस व्यक्ति पर आपराधिक कार्य किये जाने के अंतर्गत भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 303 के तहत कार्यवाही कर जेल भेज दिया जाता है , २४ घंटे के भीतर मजिस्ट्रेट के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है , साक्ष्य और सबूतों के आधार अपर उसे दण्डित किया जाता है। 

2. चोरी के अपराध में सजा क्या होगी ?

भारतीय न्याय संहिता की धारा 303 चोरी के सम्बन्ध में दण्डित किया जाने का प्रावधान करती है , जिसमे चोरी करने वाले व्यक्ति को कारावास या जुर्माना या दोनों से दण्डित किया जायेगा। 
  1. जहाँ कोई व्यक्ति चोरी करता है उसे 3 साल तक कारावास की सजा या जुर्माना या दोनों से दण्डित किया जायेगा। 
  2. जहाँ कोई व्यक्ति दूसरी बार या बार बार चोरी के अपराध का दोषसिद्ध पाया जाता है , ऐसे मामले में उसे ऐसे कठिन कारावास से दण्डित किया जायेगा जिसकी अवधि 1 साल तक कारावास से लेकर 5 साल तक कारावास तक की हो सकेगी और जुर्माने से भी दण्डित किया जायेगा। 
5000 मूल्य से कम चल सम्पति की चोरी पर सजा। 

जहाँ कोई व्यक्ति चल संपत्ति जिसका मूल्य 5000 रूपये से कम है और उसको पहली बार के लिए दोषसिद्धि किया गया है ,और उसने चोरी की वस्तु को वापस कर दिया या वही रख दिया जैसे थी , तो उसे सामुदायिक सेवा से दण्डित किया जायेगा। 

3. चोरी के अपराध में जमानत मिलती है या नहीं  जमानती या  गैर जमानतीय है ?

भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 303 के तहत चोरी एक गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है, यानी चोरी एक संज्ञेय अपराध है। संज्ञेय अपराध गैर जमानतीय होते है जिसका अर्थ यह है कि चोरी के मामले में चोरी करने वाले व्यक्ति को जमानत मिलने का मौका कम होता है , जमानत के लिए मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। चोरी के मामलों का विचारण कोई भी मजिस्ट्रेट कर सकता है। 

न्यायालय चल संपत्ति की वस्तु, अपराध की गंभीरता , साक्षों और प्रस्तुत गवाहों के आधार पर प्रतीत होने पर अभियुक्त को जमानत पर रिहा होने का आदेश भी दे सकती है। इसक आशय यह नहीं कि अभियुक्त सजा से मुक्त , उसे हर पेशी में आना होगा न्यायालय की कार्यवाही में सहयोग करना होगा, जब तक न्यायालय अपना आदेश न सुना दे। 

लेकिन कुछ मामले चोरी के ऐसे भी हो सकते है जिसमे चल सम्पति जिनका मूल्य 5000 रूपये से कम का होता है , ऐसे में चोरी करने वाले व्यक्ति को सामुदायिक सेवा से दण्डित किया जाता है। यह अपराध असंज्ञेय अपराध की श्रेणी में अत है , जमानतीय अपराध है और इस मामले का विचरण कोई मजिस्ट्रेट कर सकता है। 

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