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कुछ महत्वपूर्ण विधिक सूक्ति Legal Maxim / लीगल मैक्सिम की सूची अर्थ सहित।

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नमस्कार मित्रों ,

आज के इस लेख में हम लीगल मैक्सिम / legal maxim यानी विधिक सूक्ति के बारें जानेंगे। 


लीगल मैक्सिम / कानूनी सिद्धांत क्या है ? 

लीगल मैक्सिम की उत्पत्ति लैटिन शब्दों से हुई है। जिसे हिंदी में कानूनी कहावतें और वाक्यांश कहते है। ये कानून की स्थापित सिद्धांत है जो की सार्वभौमिक रूप से स्वीकार की जा रही है। 

लीगल मैक्सिम जिसका विधिक संसार में महत्वपूर्ण स्थान रखती है।  जैसे हिंदी भाषा में हमे कोई बात संक्षिप्त में कहनी होती है तो हम मुहावरों का उपयोग करते है , मुहावरों के जरिये हम बड़ी से बड़ी बात को छोटे में कह देते है।  वैसे ही हमे कोई बात जब विधिक दृष्टि से कहना होता है तो हम लीगल मैक्सिम यानी विधिक सूक्ति का उपयोग कर बड़े तथ्यों को छोटे में कह देते है। 

लीगल मैक्सिम का उपयोग विधिक क्षेत्र में होता आया है , हो रहा है और होता रहेगा। लीगल मैक्सिम कोर्ट के निर्णय में देखने को मिलेगा और जब विधिक शिक्षा प्राप्त कर रहे होंगे तो विधिक पुस्तकों में पढ़ने को मिलेगा।  जब विधिक शिक्षा पूर्ण हो जाने पर यदि किसी विधिक क्षेत्र से सम्बंधित कोई प्रतियोगिता परीक्षा देते है जैसे की जज या लोक अभियोजक या सहायक लोक अभियोजक या अन्य तो लीगल मैक्सिम से सम्बंधित सवाल पूछे जाते है।  

कुछ महत्त्वपूर्व लीगल मैक्सिम को जाने। 


कुछ  महत्वपूर्ण  विधिक सूक्ति Legal Maxim / लीगल मैक्सिम की सूची अर्थ सहित।



कुछ  महत्वपूर्ण  विधिक सूक्ति Legal Maxim / लीगल मैक्सिम की सूची अर्थ सहित। 

1.Actus non facit reum nisi mens sit rea - मात्र कार्य किसी को अपराधी नहीं बनाता यदि उसका मन अपराधी न हो। 

मात्र कृत्य किसी व्यक्ति को दोषी नहीं बनता जब तक उसका आशय ऐसा न रहा हो। 

2. Actus me invito factus non est mens actus - मेरे द्वारा मेरी इच्छा के विरुद्ध किया गया कार्य मेरा नहीं है।  

3. A verbis legis non est recendendum - विधि के शब्द से विचलन नहीं होगा। 

4. Actio non datur non damnificato -क्षतिग्रस्त ही कार्रवाई करेगा। 

5. Actio personalis moritur cum persona - कार्रवाई का व्यक्तिगत अधिकार व्यक्ति की मृत्यु के साथ समाप्त हो जाता है। 

6.Actori incumbit onus probandi - सबूत का भार वादी या अभियोक्ता पर होता है। 

7. Actus curiae neminem gravabit - न्यायालय के कार्य से किसी को हानि नहीं होती। 

8. Actus dei nemini facit injuriam -  दैवी कार्य किसी को क्षति नहीं पहुँचता / दैवी कार्य से हुई क्षति के लिए किसी को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता।  

9. ad alium diem - किसी और दिन। 

10. amicus curiae - न्याय मित्र। 

11. audi alteram partem - दूसरे पक्ष को भी सुनो। 

12. damnum sine imjuria - बिना क्षति के हानि। 

13. dolo malo pactum se non servabit - विद्वेषपूर्ण आशय से किया गया करार विधिमान्य नहीं होता। 

14. donator nunquam desinit possidere antequam donatorius incipiat possidere - दाता  का कब्ज़ा बना रहेगा  आदाता  जाये। 

15.  injuria sine damno - बिना हानि के क्षति। 

16. ad audiendum - सुनने के लिए। 

17. lis pendens - विचाराधीन वाद। 

18. mens rea - आपराधिक मनःस्थिति। 

19. locus stnadi - सुने जाने का अधिकार। 

20. mesne profits - अंतःकालीन लाभ। 

21. suo motu - स्वप्रेरणा से। 
 

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