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किसी वाद में न्यायालय के समक्ष किसी बच्चे या किशोर की आयु का निर्धारण कैसे करें ?

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नमस्कार मित्रों, 

आज के इस लेख में हम जानेंगे कि किसी वाद में न्यायालय के समक्ष किसी बच्चे  या किशोर की आयु का निर्धारण कैसे करें ? कैसे किसी बच्चे की उम्र का पता लगाया जाये की वह बच्चा बालिग या नाबालिग है ? 

अक्सर प्रत्येक अधिवक्ता को इस स्थिति से गुजरना पड़ता है जब उनके सामने किसी बच्चे की उम्र को साबित करने की चुनौती आती है। 

ऐसे वह बच्चा पीड़ित या अभियुक्त क्यों न हो। जब किसी बच्चे को दण्डित या न्याय दिलवाने की प्रक्रिया न्यायालय के समक्ष आती है , तो अधिवक्ता को उस बच्चे की उम्र को साबित करना होता है। भारत में कई ऐसे कानून है जिनमे ऐसे अपवाद है जो किसी बच्चे द्वारा किये गए कार्य को अपराध तो मानता है , परन्तु दण्डित किये जाने से मुक्ति प्रदान करता है। 

भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 82 व् 83 बालक द्वारा किये गए अपराध से सम्बंधित अपवाद है। .

how to determine the age of child or person किसी व्यक्ति / बच्चे की आयु का निर्धारण कैसे होगा ?



किसी बच्चे या किशोर की आयु का निर्धारण कैसे होगा ? /  किसी बच्चे  या किशोर की उम्र कैसे मालूम करें ? 

किसी भी बच्चे की आयु का निर्धारण इन तरीको से किया जा सकता है :-
  1. दस्तावेज। 
  2. चिकत्सा। 

1. किसी बच्चे या किशोर की उम्र का निर्धारण इन दस्तावेजों से किया जा सकता है :-

किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण ) नियम 2007 के नियम 12 में उम्र निर्धारण के लिए प्रक्रिया निर्धारित की गयी है।  नियम 12 इस प्रकार है। 

नियम 12 के अधीन आयु निर्धारण में अपनाई जाने वाली प्रक्रिया का उल्लेख किया गया है , नियम 19 में निर्दिष्ट समिति कानून का उल्लंघन करने वाले ऐसे किसी बच्चो या किशोर से सम्बंधित प्रत्येक मामले उम्र निर्धारणकी जाँच न्यायालय या बोर्ड या जैसा भी मामला हो समिति द्वारा साक्ष्य प्राप्त करके आयोजित की जाएगी। 
  1. मैट्रिकुलेशन या समकक्ष प्रमाणपत्र यदि उपलब्ध हो, 
  2. उस स्कूल से जन्म प्रमाणपत्र जिसमे प्रथम बार भाग लिया था, जिसमे प्ले ग्रुप के अलावा ,
  3. किसी निगम या नगर नपालिका प्राधिकरण या पंचायत द्वारा दिया गया जन्म प्रमाण पत्र।
इन उपरोक्त दस्तावेजों की अनुपस्थित में एक विधिवत गठित मेडिकल बोर्ड से चिकिस्ता राय मांगी जाएगी , जो किशोर की उम्र की घोषणा करेगा या बच्चा। 

यदि उम्र का सटीक अनुमान नहीं किया जा सकता है तो न्यायालय इस बोर्ड या जैसा भी मामला हो , समिति उनके द्वारा दर्ज किये जाने वाले कारणों के आधार पर यदि आवश्यक समझा जाये तो एक वर्ष के अंतर के भीतर उसकी उम्र को कम मानते हुए , बच्चे या किशोर को लाभ दे सकती है।  

2. मेडिकल / चिकित्सा 

किसी बच्चे की उम्र मालूम करने  जब चिकत्सा पद्दति का सहारा लिया जाता है , तो इनमे से इन दो  किया जाता है। 
  1. बोन ओसिफिकेशन टेस्ट। 
  2. अक्ल दाढ़ / विजडम तीथ।  
1. बोन ओसिफिकेशन टेस्ट - 

ओसिफिकेशन टेस्ट को समझने के लिए पहले इन दोनों शब्दों का अर्थ समझना जरुरी है।ओसिफिकेशन यानी हड्डी बनने की प्राकृत प्रक्रिया हड्डी का बन जाना, टेस्ट का यानी परीक्षण। 

बोन ओसिफिकेशन टेस्ट जो कि अस्थिकरण परीक्षण है जिसका उपयोग किसी व्यक्ति की कुछ निर्धारित हड्डियों का बाएं तरफ की कलाई और हाँथ का एक्स -रे लेकर " हड्डी के संलयन की डिग्री के आधार पर आयु निर्धारित करने के लिए किया जाता है। जिससे यह मालूम किया जा सकता है कि उस व्यक्ति की उम्र क्या है। 

साक्ष्य अधिनियम 1872  की धारा 45 विशेषज्ञों की राय के अधीन बोन ओसिसफिकेशन परिक्षण जिसके जरिये बच्चे या किसी किशोर की उम्र का आंकलन किया जाता है उसके परिणाम को चिकत्सा विशेषज्ञों की राय माना जाता है। 
किशोर न्याय (बच्चो की देखभाल और संरक्षण ) नियम 2007 के अधीन बच्चो या किशोर की उम्र का निर्धारण करने वाले उपरोक्त दस्तावेज़ी साक्ष्यों  जैसे मेट्रिकुलेशन प्रमाणपत्र , जन्म प्रमाण पत्र आदि के आभाव में  ओसिफिकेशन टेस्ट का उपयोग किया जा सकता है।  


2. अक्ल दाढ़ / विस्डम टीथ 

विस्डम टीथ जिसे अक्ल दाढ़ कहते है। यह अक्ल दाढ़ आमतौर पर बच्चे या किशोर 15 या 17 वर्ष की उम्र के बाद निकलते है। यह अक्ल दाढ़ मुँह में दांतों की श्रेणी के एकदम आखिरी हिस्से में निकलते है।  एक वयस्क व्यक्ति के मुँह में दांतों की कुल संख्या 32 होती है , जिसमे ऊपर और निचे की ओर एक -एक -अक्ल दाढ़ होते है।  




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