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MACT - Motor Accident Claim Tribunal में मोटर दुर्घटना केस दायर कर मुआवजा कैसे लें ?

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नमस्कार मित्रों,

आज के इस लेख में हम जानेंगे कि " MACT - Motor Accident Claim Tribunal में मोटर दुर्घटना केस दायर कर मुआवजा कैसे लें ? "

हम कही घर से जा रहे है या घर को वापस आ रहे है , अचानक किसी अनजान वाहन की लापहरवाही के कारण टक्कर लगने से शारीरिक क्षति हो जाती है , ऐसी क्षति स्थायी या अस्थायी भी हो सकती है। वाहन से ही क्षति मोटर वाहन दुर्घटना कही जाएगी।  

इसमे सभी व्यक्ति में मन में यह सवाल जरूर उठता है कि मोटर वाहन दुर्घटना में जिस व्यक्ति को शारीरिक क्षति हुई है वह व्यक्ति इस क्षति की भरपाई के लिए मुआवजा कैसे ले ? किससे ले ? क्या करे ?  इस सवाल का एक आसान सा जवाब है। 

जिस व्यक्ति को मोटर वाहन दुर्घटना में शारीरिक क्षति हुई है , यह क्षति स्थायी या अस्थायी जो भी हो , क्षतिपूर्ति के लिए मुआवजा प्राप्त करने के लिए क्षतिग्रत व्यक्ति के परिवार में से किसी भी व्यक्ति द्वारा जिसे उक्त मोटर वाहन दुर्घटना की जानकारी हो उसे निम्न कार्यवाही जल्द से जल्द आवश्यक रूप से करनी चाहिए  जैसे कि :-

1.सर्वप्रथम मोटर वाहन से दुर्घटना होने प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करवाए।  

2. क्षतिग्रस्त व्यक्ति के परिवार में से किसी के द्वारा मोटर एक्सीडेंट क्लेम ट्रिब्यूनल के समक्ष वाद लाना। 

इन दोनों कार्यवाही को विस्तार से समझे। 
MACT - Motor Accident Claim Tribunal में मोटर दुर्घटना केस दायर कर मुआवजा कैसे लें ?



1. सर्प्रथम मोटर वाहन दुर्घटना की प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करना। 

मोटर वाहन से दुर्घटना होने पर क्षतिग्रत व्यक्ति के परिवार वाले की तरफ से या विधिक उत्तराधिकारी के तरफ से जितनी जल्दी हो सके दुर्घटना करने वाले व्यक्ति के विरुद्ध आवश्यक रूप से कानूनी कार्यवाही किये जाने के सम्बन्ध में निकटतम पुलिस स्टेशन में दुर्घटना की सूचना देते हुए प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करवानी चाहिए। 

मोटर वाहन दुर्घटना के सम्बन्ध में सूचना लिखित या मौखिक हो सकती है। साधारणतः मोटर दुर्घटना के घटने पर दुर्घटना के समय पर पुलिस को फ़ोन के माध्यम से या अन्य किसी माध्यम से सूचना हो जाती है , तो पुलिस अधिकारी मौके पर यानी दुर्घटना के स्थान पर ही वहां मौजूद लोगो की सूचना पर एक रिपोर्ट तैयार कर प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कर सकेगी। 


2. मोटर दुर्घटना में क्षतिपूर्ति का दावा मोटर एक्सीडेंट क्लेम ट्रिब्यूनल में वाद कैसे दायर करें ?

1. मोटर दुर्घटना में मुआवजा के लिए वाद  दायर करना। 

मोटर वाहन अधिनयम 1988 की धारा 166 मोटर वाहन दुर्घटना क्षतिपूर्ति मुआवजा के लिए आवेदन से सम्बंधित है , जिसमे कहा गया है कि मुआवजा  मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण में आवेदन निम्न व्यक्ति द्वारा किया जा सकेगा :-
  1. उस व्यक्ति द्वारा जिसे दुर्घटना में क्षति हुई है। 
  2. क्षतिग्रस्त संपत्ति का स्वामी / दुर्घटना में शामिल संपत्ति का स्वामी। 
  3. जब दुर्घटना के परिणामस्वरूप मृत्यु हुई है , तब ऐसे मृतक के सभी या किसी विधिक प्रतिनिधि द्वारा। 
  4. जिस व्यक्ति को दुर्घटना में क्षति हुई है उसके द्वारा अथवा सम्यक रूप से प्राधिकृत किसी अभिकर्ता द्वारा अथवा मृतक के सभी या किसी विधिक प्रतिनिधि द्वारा। 
  5. जहाँ प्रतिकर  आवेदन में मृतक के सभी विधिक प्रतिनिधि शामिल नहीं हुए है वहां आवेदन मृतक के सभी विधिक प्रतिनिधियों की ओर या उनके फायदे के लिए किया जायेगा और जो विधिक प्रतिनिधि ऐसे शामिल नहीं हुए है उन्हें आवेदन के प्रत्यर्थीयों के रूप में पक्षकार बनाया जायेगा। 
2. दावा कब दायर नहीं किया जायेगा ?

मोटर अधिनियम की धारा 166 के परन्तुक 2 के अनुसार जहां कोई व्यक्ति धारा 149 के अधीन उपबंधित प्रक्रिया के अनुसार धारा 164 के अधीन प्रतिकर स्वीकार करता है , वहां द्वारा मोटर यान दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण के समक्ष उसकी दावा याचिका व्यपगत हो जाएगी। 

3. मोटर दुर्घटना दावा किस न्यायालय में दायर होगा यानी दावा दायरे का स्थान। 
  1. मोटर यान अधिनियम 1988  धारा 166 की उपधारा 2 के अनुसार मोटर दुर्घटना के मुआवजा  के लिए प्रत्येक , दावाकर्ता के विकल्प उस दावा अधिकरण को जिसकी उस क्षेत्र पर अधिकारिता थी जिसमें दुर्घटना हुई है उस स्थान में दावा दायर कर सकेगा ,
  2. उस दावा अधिकरण को जिसकी अधिकारिता की स्थानीय सीमाओं के भीतर दावाकर्ता निवास करता है ,
  3. जिसकी क्षेत्राधिकारिता की स्थानीय सीमाओं के भीतर प्रतिवादी निवास करता है दावा दायर किया जायेगा। 
प्रत्येक दावा ऐसे प्रारूप और उसमें ऐसी विशिष्टियाँ होगी जो विहित जाए। 

4. मोटर दुर्घटना में मुआवजा के लिए दायर वाद में प्रस्तुत किये जाने वाले अभिलेख एवं विवरण। 

मोटर यान दुर्घटना में मुआवजा के लिए प्रस्तुत वाद को सफलतापूर्वक सिद्ध करने के लिए आवश्यक यह है कि निन्मलिखित अभिलेखों एवं विवरण को प्राप्त क्र प्रस्तुत किया जाये। 
  1. प्रार्थीगण का नाम , पिता का नाम , पूरा पता , उम्र और व्यवसाय। 
  2. दुर्घटना करने वाले वाहन स्वामी व् चालक का नाम व् पता। 
  3. दुर्घटना करने वाला वाहन जिस बीमा कम्पनी से बीमाकृत हो उस बीमा कम्पनी का नाम ,पता ,बीमा पॉलिसी  प्रतिलिपि। 
  4. दुर्घटना करने वाले वाहन के वाहन पंजीकरण प्रमाण पत्र की फोटो प्रतिलिपि। 
  5. दुर्घटना करने वाले वाहन चालक ले ड्राइविंग लाइसेंस की फोटो प्रतिलिपि। 
  6. दुर्घटना की तारीख ,समय व स्थान। 
  7. प्रत्येक प्रार्थीगण का मृतक से सम्बन्ध यदि दुर्घटना में मृत्यु  हुई हो। 
  8. मृतक की आयु , आय तथा आश्रितों के नाम , पते, एवं मृतक से सम्बन्ध। 
  9. दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति की चोटों की प्रकृति एवं चोट की रिपोर्ट एवं मृत्यु दशा में पोस्टमार्टम रिपोर्ट की फोटो प्रतिलिपि। 
  10. ,मांगी गयी प्रतिकर की धनराशि और उसके लिए उपयुक्त आधार। 
5. मोटर यान दुर्घटना केस दायर करने समय बनने वाले पक्षकार। 

1. आवेदक / वादी - मोटर दुर्घटना वाद दायर करने वाला पक्षकार। 
2. प्रतिपक्षी -  मोटर दुर्घटना करने वाला पक्षकार। 
3. बीमा कम्पनी - दुर्घटना करने वाले मोटर यान का बीमा करने वाली बीमा कम्पनी। 
6. दावा अधिकरण में वाद दायर होना, जरिये समन सूचना , जवाब दावा। 
  1. मोटर यान दुर्घटना दावा अधिकरण के समक्ष मोटर यान दुर्घटना प्रतिकर के लिए दावा दायर होने के बाद न्यायालय द्वारा पक्षकारों को जरिये समन सूचना जाती है। 
  2. पक्षकार जिसमे दुर्घटना करने वाले व्यक्ति के पास जरिये समन सूचना ,
  3. दुर्घटना कारित करने वाले वाहन के बीमा कम्पनी को जरिये समन सूचना ,
  4. समन मिलने पर समन में लिखित तारीख को दावा अधिकरण के समक्ष प्रतिपक्षी गण को जवाब दावा दाखिल करना होता है। 
7. दावा से सम्बंधित दस्तावेजों का प्रस्तुत करना। 

दावा से सम्बंधित पक्षकार अपने अपने पक्ष को साबित करने के लिए दावा अधिकरण के समक्ष निश्चित समयावधि के भीतर मूल दस्तावेज या मूल दस्तावेज की प्रमाणित प्रति दाखिल करते है। 

8. गवाहों की जिरह। 

पक्षकारों  की वऔर उनके द्वारा गवाहों की सूची में वर्णित गवाहों की विपक्षी के अधिवक्ता द्वारा जिरह होना। 

9. मुख्य बहस। 

पक्षकारों की जिरह होने के बाद पक्षकारों के अधिवक्ता द्वारा दावा अधिकरण के समक्ष मुख्य बहस होने के बाद दावा अधिकरण मेरिट पर अपना आदेश सुनाने की एक तारीख निश्चित करता है। 

दावा अधिकरणों का अधिनिर्णय 

मोटर यान अधिनियम 1988 की धारा 168 के तहत अधिनियम की धारा 166 के अनुसार मोटर यान दुर्घटना मुआवजा के लिए प्रतिकर के लिए आवेदन  पर ,
  1. दावा अधिकरण बीमाकर्ता को आवेदन की सूचना देने और पक्षकारों जिसके अंतर्गत बीमाकर्ता भी है,  को सुनवाई का अवसर देने के बाद यथास्थ्तिति दावे की या दावों में से प्रत्येक की जाँच करेगा तथा धारा 163 उपबंधों के अधीन रहते हुए अधिनिर्णय देगा जिसमे प्रतिकर की उतनी रकम अवधारित होगी जितनी उसे न्यायसंगत प्रतीत होती है तथा वह व्यक्ति विनिर्दिष्ट होंगे जिन्हें प्रतिकर दिया जायेगा। 
  2. दावा अधिकरण अधिनिर्णय देते समय वह रकम विनिर्दिष्ट करेगा जो यथास्थिति बीमाकर्ता द्वारा या उस यान के जो दुर्घटना में ग्रस्त था स्वामी या ड्राइवर द्वारा अथवा उन सब या उनमे से किसी के द्वारा।
धारा 168 की उपधारा 2 के अनुसार दावा अधिकरण अधिनिर्णय की प्रतियां सम्बंधित पक्षकारों को शीघ्र ही और किसी भी दशा में अधिनिर्णय की तारीख से 15 दिन  के भीतर परिदत्त करने की व्यवस्था करेगा। 

मुआवजा की राशि कितने दिनों में दावा अधिकरण को जमा करनी होगी ?

धारा 168 की उपधारा 3 के अनुसार मोटर यान दुर्घटना में कोई अधिनिर्णय किया जाता है , वहां वह व्यक्ति जिससे ऐसे अधिनिर्णय के निबन्धिनो के अनुसार किसी रकम का संदाय करने की अपेक्षा की जाती है , अधिकरण द्वारा अधिनिर्णय घोषित कने की तारीख से 30 दिनों के भीतर अधिनिर्णीत समस्त रकम ऐसी रीति से जैसी दावा अधिकरण निर्दिष्ट करे जमा करेगा। 

 

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