कृषि भूमि सीमा सम्बन्धी विवाद होने पर क्या करे ? सीमा विवाद सम्बन्धी प्रार्थना पत्र के निपटारे की प्रक्रिया ?
नमस्कार मित्रों,
आज के इस लेख में हम जानेंगे कि " कृषि भूमि की सीमा सम्बन्धी विवाद होने पर क्या करे ? यानी कृषि भूमि की सीमा के सम्बन्ध में किसी प्रकार का कोई विवाद उत्त्पन होता है, तो उसके लिए क्या करना चाहिए ? आज इस लेख में इस विषय के बारे में विस्तार से जानेंगे।
देश में लगभग 57 % प्रतिशत जनसँख्या कृषि पर निर्भर है, इनका जीवन व्यापन कृषि करके ही व्यतीत होता है। इन सभी के अपने निर्धारित सीमा के खातेदार है, इन्ही खातों ( कृषि भूमि ) में कृषिक फसलों को बोया व् काटा करते है। समस्या तब आती है, जब कृषि भूमि के सीमा को लेकर विवाद उतपन्न होता है। ये विवाद उत्पन्न होने के निम्न कारण हो सकते है।
- कृषि भूमि के खातेदार द्वारा अपने खाते की निगरानी नहीं की जाती है।
- बहुत से लोग है जो अपनी कृषि भूमि को काफी लब्मे समय तक देखने तक नहीं जाते है।
- अगल बगल के खातेदारों द्वारा पास की कृषिक भूमी की सीमा में परिवर्तन कर अपने कृषि भूमि की सीमा को आगे बढ़ाना।
- कृषि भूमि की सीमा को लेकर विवाद उत्पन्न होने के अन्य कारण।
कृषि भूमि की सीमा के सम्बन्ध में विवाद को लेकर कर कृषिक भूमि के भूमिधरों / खातेदारों के मन विभन्न प्रकार के सवाल उठा करते है, जैसे की :-
- कृषि भूमि की सीमा विवाद होने पर क्या करे ?
- कृषि भूमि की सीमा विवाद निपटारे के लिए आवेदन ?
- कृषि भूमि की सिमा विवाद निपटारे आवेदन के लगने वाले दस्तावेज़ ?
- कृषि भूमि की सीमा विवाद निपटारे की प्रक्रिया ?
इन सभी को विस्तार से समझे।
कृषि भूमि सीमा विवाद होने पर क्या करे ?
कृषि भूमि सीमा विवाद उत्पन्न होने पर उस उक्त कृषि भूमि से हितबद्ध व्यक्ति ( उत्तर प्रदेश के निवासी ) द्वारा उत्तर प्रदेश भू राजस्व संहिता 2006 की धारा 24 उपधारा 1 के तहत कृषि भूमि सीमा विवाद के निपटारे के लिए एक निर्धारित ढंग से अपने क्षेत्र की तहसील के उप जिलाधिकारी महोदय के समक्ष आवेदन पत्र प्रस्तुत कर सकेगा। उक्त आवेदन के साथ उक्त कृषि भूमि से सम्बंधित दस्तावेजों की प्रमाणित प्रतिलिपि दाखिल करनी होगी। आवेदन के साथ निर्धारित शुल्क अदा करना होगा।
आदेवन का निस्तारण।
उत्तर प्रदेश भू राजस्व संहिता 2006 की धारा 24 के तहत , उप जिलाधिकारी के समक्ष, कृषि भूमि सीमा विवाद के निपटारे के लिए प्रस्तुत आवेदन का निर्धारण वर्तमान सर्वेक्षण नक्शों के आधार पर या जहाँ उत्तर प्रदेश जोत चकबंदी अधिनियम 1953 के उपबंधों के अनुसार उसका पुनरीक्षण करा दिया है , वहां उन नक्शों के आधार पर सीमा विवाद का निस्तारण किया जायेगा, किन्तु यदि ऐसा न हो तो वास्तविक कब्जे के आधार पर सरसरी जाँच द्वारा कृषि भूमि सीमा विवाद का निस्तारण कर सकता है।
वास्तविक कब्ज़ा किस पक्ष का है , इसके समाधान न होने पर क्या होगा ?
उप जिलाधिकारी के द्वारा कृषि भूमि सीमा विवाद के निपटारे के लिए उक्त कृषि भूमि के वर्तमान नक़्शे के आधार पर या जोट चकबंदी अधिनियम के उपबंधों के अधीन नक़्शे के आधार पर या वास्तविक कब्जे के आधार पर सरसरी जाँच जाँच के दौरान , उप जिलाधिकारी अपना समाधान नहीं कर सका कि किस पक्ष का कब्ज़ा है या यदि यह दिखाया गया हो कि विधिपूर्ण अध्यासी को सदोष बेदखल करके कब्ज़ा प्राप्त किया गया है, तो उपजिलाधिकारी निम्न दो स्थितियों के आधार पर निर्धारण होगा :-
- प्रथम स्थिति में, उपजिलाधिकारी , संक्षिप्त जाँच द्वारा यह अभिनिशित करेगा की संपत्ति का सर्वाधिक हक़दार व्यक्ति कौन है और ऐसे व्यक्ति को कब्ज़ा देगा।
- द्वितीय स्थिति में, उपजिलाधिकारी सदोष बेदखल किये गए व्यक्ति को कब्ज़ा दिलाएगा और उस प्रयोजन के लिए ऐसे बल का प्रयोग कर या करवा सकेगा जैसी आवश्यकता हो और उसके बाद सीमा का निर्धारण इसके अनुसार करेगा।
आवेदन के निस्तारण से सम्बंधित कार्यवाही कब तक समाप्त होगी ?
उत्तर प्रदेश भू राजस्व संहिता 2006 की धारा 24 की उपधारा 3 के तहत कृषि भूमि सीमा विवाद से सम्बंधित प्रत्येक कार्यवाही उप जिलाधिकारी द्वारा आवेदन की तिथि से जो संभव हो तीन माह के भीतर समाप्त कर ली जाएगी।
उपजिलाधिकारी के आदेश के विरुद्ध अपील कहाँ और कब होगी ?
उत्तर प्रदेश भू राजस्व संहिता 2006 की धारा 24 उपधारा 4 के तहत उपजिलाधिकारी के आदेश से व्यथित कोई व्यक्ति ऐसे आदेश की तिथि से 30 दिनों के भीतर आयुक्त के समक्ष अपील प्रस्तुत कर सकता है। अपील में जो आदेश होगा , ऐसा आदेश आयुक्त का अंतिम आदेश होगा।
सीमा विवाद सम्बन्धी प्रार्थना पत्र के आवेदन व् निपटारे की प्रक्रिया।
कृषि भूमि सीमा सम्बन्धी विवाद के निपटारे के लिए प्रार्थना पत्र कैसे देना होगा ?
उत्तर प्रदेश भू राजस्व संहिता 2006 की धारा 24 उपधारा 1 के तहत उपजिलाधिकारी के समक्ष सीमा सम्बन्धी विवाद के निपटारे लिए प्रार्थना पत्र दाखिल किये जाने वाली प्रक्रिया के सम्बन्ध में उत्तर प्रदेश भू राजस्व संहिता नियमावली 2016 के नियम 22 में प्रावधान किया गया है।
नियम 22 उपनियम 1 के तहत उत्तर प्रदेश भू- राजस्व अधिनियम की 24 उपधारा 1 के अंतर्गत खातेदार एक या एक से अधिक समीपवाले वाले गाटों के सीमा सम्बन्धी विवाद निपटारे के प्रत्येक प्रार्थना की दो प्रतियाँ उपजिलाधिकारी को प्रस्तुत करेगा, और उसमें जिसमे निम्न लिखित विवरण अंक्ति किये जायेंगे , जो की इस प्रकार से है :-
क. गाटा का विवरण :-
- गाटा संख्या, खातेदार का नाम, पिता / पति का नाम, ग्राम / तहसील का नाम।
- यदि एक से अधिक खातेदार है, तो सभी की विशिष्टियां उल्लिखित की जाएँगी, चालू वर्तमान खतौनी भी आवेदन पत्र के साथ लगाईजाएँगी ।
ख. समीपवाले गाटों का विवरण :-
- गाटा संख्या, खातेदार का नाम ,पिता/ पति का नाम , ग्राम / तेहसील का नाम।
- यदि एक से अधिक खातेदार है तो सभी की विशिष्टियाँ उल्लिखित की जाएँगी।
- चालू वर्तमान खतौनी भी आवेदन पत्र के साल लगाई जाएँगी।
उपनियम 2 :- यदि खतौनी में खाता अलग है, लेकिन भू -चित्र में विभाजन नहीं है तो , तो भू चित्र में उप विभाजन कराया जाना आवश्यक होगा।
उपनियम 3 :- यदि सीमांकित किये जाने गाटा / गाटों से ग्राम पंचायत / राज्य सरकार की किसी संपत्ति की सीमा जुड़ी है ,तो अध्यक्ष भुमि प्रबंधक समिति / ग्राम प्रधान और राज्य को इसके सम्बन्ध में पक्षकार बनाया जायेगा।
उपनियम 4 :- समीप वाले गाटों की सीमा का सीमांकन के लिए आवेदन किये जाने पर बाहरी सीमा का ही सीमांकन किया जायेगा।
उपनियम 5 आवेदक को गाटा/ सम्बंधित गाटों के सीमांकन के लिए राजकीय कोषगार में 1000 रु/- की फीस जमा करनी होगी। आवेदन पत्र के साथ चालान, रसीद की प्रतिलिपि भी लगाई जाएगी।
उपनियम 6 - सीमांकन के लिए आवेदनपत्र प्राप्त होने के उसी दिन या अगले कार्यदिवस उपजिला अधिकारी राजस्व न्यायालय कम्प्यूटरीकृत प्रबंधन प्रणाली ( आर ० सी ० सी ० एम ० एस ० ) पर वाद दर्ज करेगा। कम्प्यूटरीकृत प्रणाली से नोटिस की तीन प्रतियां जारी की जाएँगी और तहसीलदार के माध्यम से राजस्व निरीक्षक को प्रदान क जाएगी।
उपनियम 7 - राजस्व निरीक्षक , लेखपाल या ने किसी के मांध्यम से उपनियम 1 में जैसे उल्लिखित सम्बंधित खातेदार / खातेदारों को नोटिस तामील करेगा। खातेदार के व्यस्क पारिवारिक सदस्य को तामील की जाएगी। सीमांकन की सूचना भूमि प्रबंधक समिति के अध्यक्ष को भी प्रदान की जाएगी।
उपनियम 8 - यदि राजस्व निरीक्षक सूचना भेजते समय या स्थलीय सीमांकन से पहले किसी अन्य प्रभावित व्यक्ति को इस सम्बन्ध में पक्षकार बनाना चाहता है , तो राजस्व निरीक्षक ऐसा कर सकता है।
उपनियम 9 - राजस्व निरीक्षक या कोई अन्य पदाधिकारी सीमांकन हेतु दिनांक नियत करने के बाद और सभी सम्बंधित खातेदारों को सूचित करने के बाद जैसी स्थिति हो भूखंड या भूखंडों का सीमांकन करेगा। सीमांकन करते समय यदि कोई प्रभावित खातेदार इस सम्बन्ध में पक्षकार न हो तो ऐसा खातेदार राजस्व निरीक्षक द्वारा इस सम्बन्ध में स्थानीय पक्षकार बनाया जायेगा तथा राजस्व निरीक्षक अपनी सीमांकन आख्या में इसका उल्लेख करेगा। सीमांकन उपजिलाधिकारी द्वारा इस सम्बन्ध में किये गए आदेश के दिनांक से एक माह के भीतर पूर्ण किया जायेगा।
उपनियम 10 -राजस्व निरीक्षक या अन्य कोई पदाधिकारी द्वारा स्थल ज्ञाप (site memo ) सहित सीमांकन आख्या तैयार करेगा। यदि सीमांकन के सम्बन्ध में कोई आपत्तियां न हो , तो सीमांकन आख्या पर सभी सम्बंधित पक्षकार की सहमति तथा हस्ताक्षर प्राप्त करने के बाद उसे तहसीलदार के माध्यम से उपजिलाधिकारी को एक सप्ताह में सौप दिया जायेगा. राजस्व निरीक्षक द्वारा सीमांकन के सम्बन्ध में तैयार आख्या प्राप्त करने पर उपजिलाधिकारी सीमांकन आख्या की पुष्टि करते हुए आदेश पारित करेगा।
उपनियम 11 - यदि सीमांकन से प्रभावित पक्षकारों ने सीमांकन पर अपनी सहमति न दी हो या यदि सीमांकन आख्या में कोई आपत्ति हो ,तो उपजिलाधिकारी द्वारा सभी पक्षकारों को सुनवाई की तिथि नियत करते हुए नोटिस जारी की जाएगी जो नोटिस जारी किये जाने की तिथि से 15 दिन के बाद की नहीं होगी।
उपनियम 12 - उपजिलाधिकारी सभी सम्बंधित पक्षकारों की सुनवाई के बाद सीमा का सीमांकन करने के सम्बन्ध में आदेश पारित करेगा। राजस्व निरीक्षक को आदेश किये जाने के दिनांक से 2 सप्ताह के भीतर ऐसे आदेश का अनुपालन करना होगा और उपजिलाधिकारी को अपनी आख्या प्रस्तुत करनी होगी।
जहाँ भूखंड की सीमा पहचाने जाने योग्य नहीं, वहां सीमांकन की प्रक्रिया क्या होगी ?
उपनियम 13 के अधीन जहाँ गाटा। सर्वे संख्या की सीमा, भूमि के जलोढ़ या आप्लाव या भारी वर्षा के कारण या किन्ही अन्य कारण से हुई क्षति के कारण मालूम किये जाने योग्य न हो , वह पर उस ग्राम के ग्राम राजस्व समिति के अध्यक्ष के आवेदन पर या राजस्व निरीक्षक या लेखपाल पर या सभी सम्बंधित पक्षकारों द्वारा हस्ताक्षरित संयुक्त आवेदन पत्र , उपजिलाधिकारी लिखित रूप से सामान्य या विशेष आदेश द्वारा राजस्व निरीक्षक या लेखपाल को आदेश देगा कि वह वर्तमान सर्वे मानचित्र के आधार पर या जहाँ पर सम्भव हो , कब्ज़ा के आधार पर स्थल पर सीमांकन करे और यदि कोई शिकायत हो तो राजस्व ग्राम समिति के परामर्श से आपसी सहमति के आधार पर उसका समाधान करे। राजस्व निरीक्षक या लेखपाल को आदेश किये जाने के दिनांक से 2 सप्ताह के भीतर ऐसे आदेश का अनुपालन करना होगा और अपनी आख्या उपजिलाधिकारी को प्रस्तुत करेगा।
सीमांकन शांतिपूर्ण करवाने के लिए उपजिलाधिकारी क्या करेगा ?
उपनिमयम 14 के अधीन उपनियम 10, 13, या 14 के अधीन विवादित सीमा के सीमांकन के लिए आदेश पारित करते समय उपजिलाधिकारी संबंधित थाने के थानाध्यक्ष को निर्देशित कर सकता है कि वह सीमांकन के समय स्थल पर कानून व्यवस्था बनाये रखने के लिए पुलिस बल उपलब्ध कराये।
उपनियम 15 - उपजिलाधिकारी राजस्व संहिता की धारा 24 उपधारा 3 में उल्लिखित निर्धारित समय 3 माह के भीतर प्रक्रिया को पूरा करने का प्रयास करेगा और यदि प्रक्रिया भीतर पूर्ण नहीं होती है, तो उसके लिए कारण अभिलिखित किया जायेगा।
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