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नमस्कार मित्रों,
आज के इस लेख में हम जानेंगे कि कब एक विवाहित व्यक्ति कानूनन दूसरा विवाह कर सकता है ? विवाह जो कि हिन्दू धर्म में एक पवित्र रिश्ता और वर -वधु के मध्य विवाह बड़ी ही पवित्र रीति -रिवाजों से सम्पन्न के साथ पूर्ण होता है। पति -पत्नी सात फेरे लेते सात जन्मो तक साथ निभाने का।
दो हिन्दुओं के मध्य विवाह तभी पूर्ण व् वैध माना जायेगा जब वे दोनों हिन्दू विवाह अधिनियम की धारा 5 के अधीन वर्णित विवाह की वैध शर्तों का पालन करना अति आवश्यक है।
हिन्दू विवाह अधिनियम की धारा 5 के तहत विवाह की वैध शर्ते निम्न प्रकार से है :-
- विवाह के समय लड़की - लड़का , दोनों में से किसी का भी पति -पत्नी जीवित न हो, (एक विवाह की अनुमति है। )
- विवाह के समय लड़का -लड़की स्वस्थ -चित्त हो, मानसिक स्थिति सही हो, पागलपन का दौरा न पड़ता हो ,
- विवाह के समय लड़के ने 21 वर्ष की उम्र व् लड़की ने 18 वर्ष की उम्र पूर्ण कर ली हो,
- विवाह के समय लड़का -लड़की निषिद्ध नातेदारी के भीतर न आते हो,
- विवाह के समय लड़का -लड़की सपिण्ड रिश्तेदारी के भीतर न आते हो ,
उपरोक्त 5 शर्तों के पालन पर ही दो हिन्दुओं के मध्य विवाह पूर्ण व् कानूनी रूप से वैध माना जायेगा।
कब एक विवाहित महिला - विवाहित पुरुष कानूनी रूप से पुनः विवाह कर सकते है ?
एक विवाहित व्यक्ति यानी विवाहित महिला या विवाहित पुरुष किन परिस्थितयों में कब पुनः विवाह कर सकता है, ये परिस्थितियाँ कुछ इस प्रकार से हो सकती है ?
- दोनों में से किसी का भी पति या पत्नी जीवित नहीं है।
- दोनों में से किसी के भी पति -पत्नी के मध्य विवाह विच्छेद हो गया है। इस विवाह विच्छेद के सम्बन्ध में न्यायालय द्वारा पास डिक्री का होना आवश्यक है।
- दोनों में से किसी के भी पति या पत्नी के सम्बन्ध में गत 7 वर्षो तक न सुना गया है और न ही इन 7 वर्षो तक कोई सूचना व् खबर मिली है। 7 वर्षो न सुने जाने के सम्बन्ध में उद्घोषणा वाद - declaration suit न्यायालय के समक्ष दायर किया गया है, और इसके सम्बन्ध में न्यायालय द्वारा आदेश पारित किया गया है।
Remarriage is one of the biggest cliches among Indian society. This is really an eye-opener that explains everything legal. Nice post.
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