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दाखिल ख़ारिज कब होता है / भूमि के कब्जे में परिवर्तन कब होता है और दाखिल ख़ारिज के लिए आवेदन कौन करता है ?

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नमस्कार मित्रों,

आज के इस लेख में आप सभी को यह बताने जा रहा हु कि " दाखिल ख़ारिज कब होता है ?" यानी किसी भूमि के सम्बन्ध में उक्त भूमि के कब्जे में परिवर्तन कब होता है। 

उत्तर प्रदेश राज्य की बात करे तो यहाँ पर भूमि के सम्बन्ध में उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता , 2006 लागु होती है, भूमि के सम्बन्ध में राजस्व संहिता के तहत कार्य होता है।  भूमि के कब्जे के परिवर्तन के बाद दाखिल ख़ारिज की प्रक्रिया अपनाई जाती है।  

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दाखिल ख़ारिज का एक सीधा सा मतलब है कि भूमि से सम्बंधित दस्तावेज खतौनी में एक व्यक्ति का नाम खरिज कर उस भूमि को क्रय करने वाले व्यक्ति का नाम खतौनी में दाखिल किया जाना है।  

  1. दाखिल ख़ारिज कब होता है 
  2.  दाखिल ख़ारिज के लिए आवेदन कौन करता है ?  
विस्तार से समझे इन दोनों को। 

1. दाखिल ख़ारिज कब होता है / भूमि के कब्जे में परिवर्तन कब होता है ?

भूमि के कब्जे में परिवर्तन होने की परिस्थितयाँ  दो प्रकार की होती है, इन्ही परिवर्तन होने के बाद दाखिल खारिज की प्रकिया अपनाई जाती है।  भूमि के कब्जे में परिवर्तन होने का मतलब यह है की अभी उक्त भूमि किसके कब्जे में भी यानी अधिकार में अब बाद में किसके कब्जे में हो गयी। भूमि के कब्जे में परिवर्तन दो प्रकार से होता है जो की निम्न प्रकार से है :-
  1. उत्तराधिकार के द्वारा,
  2. अंतरण के द्वारा।   
1. उत्तराधिकार के द्वारा। 

यदि कोई व्यक्ति उत्तराधिकार के द्वारा किसी भूमि पर कब्ज़ा प्राप्त करता है, तो उस भूमि का मालिक वह व्यक्ति हो जाता है जिसे उत्तराधिकार के नाते वह भूमि मिली। उत्तराधिकार के नाते मिलनी वाली भूमि के दस्तावेज में उसका नाम चढ़वाना होता है,जिसके लिए उसे दाखिल  ख़ारिज की प्रक्रिया अपनानी पड़ती है, जिसके लिए उन्हें अपने क्षेत्र की तहसील में आवेदन करना होगा। 

आवेदन पर आदेश होने के बाद प्रमाणित नकल कानूनगों के समक्ष प्रस्तुत करनी होती है, वह नामांतरण रजिस्टर नंबर 10 में आदेश के तहत कब्ज़ा पाने वाले का नाम अंकित कर लेखपाल को  आदेशित करता है कि वह खतौनी में उक्त आदेश के तहत नाम अंकित करे। 

भूमि के दस्तावेज यानी खतौनी में नाम चढ़वाना आवश्यक है, जिससे यह सपष्ट हो जाता है कि उसक भूमि का वर्तमान में कौन मालिक है।  

उदहारण :-  एक पिता के चार पुत्र, अब ये चारों पुत्र इस पिता की संपत्ति के उत्तराधिकारी हुए। पिता की किसी कारण, उम्र, बीमारी या आकस्मिक निधन हो जाता है, तो उसकी संपत्ति में चारों पुत्रों का बराबर का हिंसा होगा , क्योकि वे चारों उत्त्तराधिकारी हुए। अब भूमि के सम्बन्ध में चारों के द्वारा कब्ज़ा पाने के लिए दाखिल ख़ारिज की प्रक्रिया अपनानी होगी। उसके बाद खतौनी में चारों भाइयों का नाम चढ़ जाता है। 

2. अंतरण के द्वारा।  

यदि कोई व्यक्ति अंतरण के द्वारा किसी भुमि पर कब्ज़ा प्राप्त करता है तो,उस भूमि का मालिक वह व्यक्ति होता है, जिसको भूमि अंतरित की जाती है।  

जब कोई व्यक्ति अपनी भूमि किसी को बेचता या दान में देता है तो, उस भूमि से सम्बंधित सभी अधिकारों  व्यक्ति भूमि खरीदने वाले को अंतरित करता है।  यानी उस भूमि से सम्बंधित सभी अधिकार उस भूमि को लेने वाले के हो जाते है, जिसे कहते है उस भूमि पर उस खरीदने वाले का कब्ज़ा है। 

भूमि के दस्तावेज खतौनी में नाम चढ़वाना अति आवश्यक है। ऐसे में कब्ज़ा पाने वाले को दाखिल ख़ारिज के लिए उस क्षेत्र की तहसील में आवेदन करना होता है। उक्त आवेदन पर आदेश होने के बाद खतौनी में नाम चढ़ जाता है।  उसके लिए आदेश की प्रमाणित नकल कानूनगों के समक्ष प्रस्तुत करनी होती है वह नामांतरण रजिस्टर नंबर 10 में कब्ज़ा पाने वाले का नाम अंकित करता है । कानूनगो लेखपाल को आदेशित करता है कि वह खतौनी में आदेश के तहत नाम अंकित करे। 

2. दाखिल ख़ारिज के लिए आवेदन कौन करता है ?

दाखिल ख़ारिज के लिए आवेदन उस व्यक्ति द्वारा किया जाता है जिसको भूमि पर उत्तराधिकार या अंतरण द्वारा कब्ज़ा मिलता है। दाखिल ख़ारिज के लिए आवेदन उस क्षेत्र की तहसील में किया जायेगा जहाँ पर उक्त भूमि स्थिति है।  
 दाखिल ख़ारिज के आवेदन के समय भूमि से सम्बंधित लगने वाले सभी दस्तावेज लगाने होते है।  





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