नमस्कार मित्रों,
आज के इस लेख में आप सभी को "सजरा यानी वंश वृक्ष " के बारे में बताने जा रहा हु। सिविल मुकदमों में सजरा की क्या भूमिका होती है।
शजरा / वंशावली / वंश वृक्ष क्या होता है ?
शजरा / वंश वृक्ष जिसका अर्थ पूर्वजों की पीढ़ी से लेकर वर्तमान पीढ़ी तक से है। इसमें दो शब्दों का जिक्र है पहला वंश और दूसरा वृक्ष। वंश का अर्थ हुआ प्रथम पीढ़ी से आने वाली पीढ़ी तक के व्यक्ति व् वृक्ष का अर्थ हुआ पेड़ जिसकी कई अनेक शाखाएं होती है जो बढ़ती ही रहती है। वंश वृक्ष का अर्थ हुआ किसी पीढ़ी / परिवार की वह साखा जिसमे परिवार के सस्दय जो एक के बाद एक बढ़ते रहते है।
आसान शब्दों में शजरा / वंश वृक्ष एक ऐसा दस्तावेज है, जिसमे किसी वंश के प्रथम सदस्य से लेकर वर्तमान सस्दय तक का विवरण लिखित होता है।
जैसे :-
बाबा ----- पिता ------ पुत्र ----- पुत्र का पुत्र / पुत्री ऐसे ही परिवार के सदस्यों का नाम लिखा होता है। जैसे जैसे वंश बढ़ता है नाम वैसे ही बढ़ता जाता है। इसी को वंश वृक्ष कहते है।
शजरा / वंश वृक्ष तैयार यानी लिखा कैसे किया जाता है ?
शजरा / वंशावली / वंश वृक्ष कई नामो से जाना जाता है। यह तैयार कैसा होगा इसके लिए आपके पास निम्न जानकारी होनी चाहिए।
- पीढ़ी के पहला व्यक्ति का नाम यानी उस व्यक्ति का नाम जिससे वंश की शुरआत हुई। जिन्हे पूर्वजों के नाम से पुकारा जाता है।
- पीढ़ी के उस पहले व्यक्ति से कितनी संताने हुई इन प्रत्येक संतान का नाम।
- इन संतानो से कितनी संतान हुई इन प्रत्येक संतानो के नाम।
- जितनी संताने बढ़ती जाएँगी इसी क्रम में पैदा होने वाली सभी सन्तानो के नाम बढ़ते जायेंगे।
- अब वर्तमान में कितनी संताने है उसके नाम।
वंश व्रृक्ष तैयार कैसे होगा यानी लिखा कैसे जायेगा।
पिता - पिता के चार पुत्र/पुत्री - इन चार पुत्रों के चार पुत्र - इन चार पुत्रों के पुत्र जैसे जैसे वंश बढ़ेगा नाम जुड़ते जायेंगे।
पिता
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पुत्र पुत्र पुत्र (जितने पुत्र / पुत्री हो सबके नाम )
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पुत्र के पुत्र पुत्र के पुत्र पुत्र के पुत्र
इसी क्रम में वर्तमान में वंश में जितने सदस्य हो सबके नाम लिखे जायेंगे। तब जाकर एक वंश का वंश वृक्ष तैयार होगा।
वंश वृक्ष का महत्व /उपयोगिता व् भूमिका क्या होती है ?
- संपत्ति के मामले में सिविल मुकदमा दायर करते समय।
- संपत्ति के मामले में भाइयों के बीच संपत्ति के बटवारें के समय।
- सिविल मुक़दमे में वाद पत्र तैयार करते समय।
- सिविल मुक़दमे में जवाब दावा तैयार करते समय।
- अन्य न्यायिक - गैर न्यायिक कार्यवाही के समय।
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