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आर्मी में झूठा आरोप लगाने पर सजा क्या होगी ? क्या कहती आर्मी एक्ट की धारा 56, धारा 26 व् धारा 27

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नमस्कार मित्रों,

आज के इस लेख में आर्मी एक्ट 1950 के तहत झूठे आरोप लगाने पर सजा का प्रावधान क्या है इसके बारे में बताने जा रहा हु। 

आर्मी में साशन व्यवस्था को बनाये रखने के लिए आर्मी एक्ट 1950 पारित किया गया। यह अधिनियम सेना के ऑफिसर, सैनिक बल के अन्य व्यक्तियों पर ही लागु होता है, जब तक कि वे इस सेना का अंग होते है। सेना में साशन बना रहे जिसके तहत इस अधिनियम के अंतर्गत के कई प्रावधान बनाये गए। सेना का कोई भी व्यक्ति यदि कोई आपराधिक कार्य करेगा तो उसे सेना न्यायालय द्वारा दण्डित किये जाने का प्रावधान इसी अधिनियम में दिया गया है। यदि कोई पीड़ित है तो उचित उपचार भी प्रदान किये जाने के सम्बन्ध में प्रावधान है। 

उन्ही में से एक की बात करेंगे। 

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आर्मी एक्ट 1950 की धारा 56 क्या कहती है ?   इसी को विस्तार से जानेंगे। 

आर्मी एक्ट 1950 की धारा 56 झूठा / मिथ्या आरोप / अभियोग लगाने पर सजा क्या होगी ?

1. आर्मी एक्ट की धारा 56 के खंड क के तहत अधिनियम के अधीन कोई भी व्यक्ति जो अधिनियम के अधीन किसी भी व्यक्ति के खिलाफ कोई झूठा / मिथ्या आरोप लगाएगा, या यह विश्वास करने का कारण रखते हुए झूठे आरोप लगाएगा  कि यह अभियोग /आरोप झूठे / मिथ्या है, तो ऐसा करने वाले व्यक्ति को सेना न्यायालय द्वारा दोषसिद्धि पर पांच वर्ष कारावास की सजा या ऐसा छोटा दंड जिसका वर्णन इस अधिनियम में हो भोगना पड़ेगा। 

2. आर्मी एक्ट 1950 की धारा 56 के खंड ख के तहत अधिनियम के अधीन कोई भी व्यक्ति अधिनियम अधीन किसी भी व्यक्ति के खिलाफ अधिनियम धारा 26 व् धारा 27 के तहत शिकायत करने में कोई ऐसा कथन करता है यानी बयान करता है, जहाँ ऐसा कथन करने वाला व्यक्ति यह जानते हुए या यह विश्वास करने का कारण रखते हुए ऐसा कथन करेगा की वह जो उसने कथन किया वह मिथ्या / झूठे है या किन्ही आवश्यक तथ्यों को जानते हुए और जानबूझकर कर छिपा लेता है, जिसके कारण इस अधिनियम के अधीन किसी व्यक्ति का शील यानी चरित्र प्रभावित होता है ,तो ऐसा करने वाले व्यक्ति को सेना न्यायालय द्वारा दोषसिद्धि पर पांच वर्ष तक कारावास की सजा या ऐसा छोटा  दंड जिसका वर्णन इस अधिनियम में हो भोगना पड़ेगा। 

आर्मी एक्ट 1950 की धारा 26 व् धारा 27 क्या कहती है, इसको भी जानना आवश्यक है। 

आर्मी एक्ट 1950 की धारा 26 -अधिनियम के अधीन ऑफिसरों से भिन्न श्रेणी के व्यथित व्यक्ति यानी पीड़ित व्यक्तियों को प्राप्त उपचार के बारे में प्रावधान करती है। यदि ऑफिसर श्रेणी से अलग श्रेणी के किसी व्यक्ति के साथ अन्याय होता है तो वह इसकी शिकायत कहाँ करे ? इसका प्रावधान दिया गया है। 

1. आर्मी एक्ट 1950 की धारा 26 के तहत अधिनियम के अधीन ऑफिसर श्रेणी से अलग कोई भी व्यक्ति जो यह समझता है कि किसी वरिष्ठ ऑफीसर या अन्य ऑफिसर द्वारा उसके साथ अन्याय किया गया है तो वह उस ऑफिसर से शिकायत करेगा जहाँ वह व्यक्ति यदि किसी ट्रूप यानी सेना की टुकड़ी या कंपनी से जुड़ा नहीं है तो  उस ट्रूप या कंपनी का समादेश कर रहे ऑफिसर से  या जिस ऑफिसर के आदेश के अधीन वह सेवा कर रहा है उससे शिकायत कर सकेगा। यदि व्यक्ति किसी ट्रूप या कम्पनी से जुड़ा है तो उस ट्रूप या कम्पनी का समादेशन करने वाले ऑफिसर से शिकायत कर सकेगा। 

2. जहाँ पर शिकायत उस ऑफिसर के खिलाफ की गयी है, जो ऐसा ऑफिसर है जिससे शिकायत की जानी चाहिए, जो किसी ट्रूप या कंपनी का समादेशन कर रहा है  जिसमे शिकायत करने वाला व्यक्ति जुड़ा है या उस ट्रूप या कंपनी के ऑफिसर के खिलाफ शिकायत की गयी है जिस ट्रूप या कंपनी में शिकायत करने वाला व्यक्ति नहीं जुड़ा जिनके समादेशन या आदेश के अधीन सेवा कर रहा है, तो ऐसे में पीड़ित व्यक्ति ऐसे ऑफिसर के अगले वरिष्ठ ऑफिसर से शिकायत कर सकेगा। 

3. वह हर एक ऑफिसर जिसको पीड़ित व्यक्ति द्वारा की गयी शिकायत प्राप्त हो, शिकायतकर्ता की शिकायत का पूर्ण रूप से समाधान करने के लिए जहाँ तक संभव हो पूरी जाँच करेगा या जब आवश्यक हो शिकायत को वरिष्ठ प्राधिकारी के पास भेजेगा। 

4. ऐसी हर एक शिकायत ऐसी रीति से की जाएगी जो उचित प्राधिकारी द्वारा समय समय पर नियमित की जाये। 

5.जिस ऑफिसर से शिकायत की जानी चाहिए उस ऑफिसर के खिलाफ शिकायत उसके अलगे वरिष्ठ प्राधिकारी से की गयी जिसका निर्णय थल सेनाध्यक्ष द्वारा किया जाता है उस किसी भी निर्णय को केंद्र सरकार पुनरीक्षित कर सकेगी, लेकिन उसके अध्यधीन रहते हुए थल सेनाध्यक्ष का निर्णय अंतिम होगा।   

2. आर्मी एक्ट 1950 की धारा 27 - व्यथित ऑफिसर यानी पीड़ित ऑफिसरों को प्राप्त उपचार के बारे में प्रावधान करता है। यदि ऑफिसर के साथ अन्याय हो तो वह इसकी शिकायत किससे करे ?

कोई ऑफिसर जो यह समझता है कि उसके कमांडिंग ऑफिसर या किसी वरिष्ठ ऑफिसर द्वारा उसके साथ अन्याय किया गया है। न्याय पाने के लिए उसके द्वारा कमांडिंग ऑफिसर से समय पर किये गए आवेदन  पर ऐसा उपचार /न्याय नहीं मिलता जिसका वह स्वयं को हकदार समझता है, तो वह केंद्रीय सरकार से ऐसी रीति से शिकायत कर सकेगा जो उचित प्राधिकारी द्वारा समय समय पर नियमित की जाये। 

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