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जल प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण केंद्रीय बोर्ड के कार्य एवं शक्तियाँ

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नमस्कार मित्रों,
आज के इस लेख में आप सभी को "जल प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण के अधीन गठित केंद्रीय बोर्ड के कार्य एवं शक्तियाँ" क्या है ? इसके बारे में बताने जा रहा हु।  

बढ़ते जल प्रदूषण की रोकथाम के लिए जल प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण अधिनियम के अधीन केंद्रीय सरकार द्वारा केंद्रीय बोर्ड का गठन किया गया जिसका मूल कार्य जल प्रदूषण का निवारण करना और साथ ही साथ जल प्रदूषण को नियंत्रित करना, क्योकि जल के प्रदूषित होने से पर्यावरण के साथ साथ मानव जीवन को भी खतरा है। 
जीवन जीने के लिए जल का महत्व क्या है, इसको तो आप सभी भली भांति जानते ही है, तो आज से एक प्रतिज्ञा ले की जल को प्रदूषित से बचाएंगे।
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जल प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण के अधीन गठित केंद्रीय बोर्ड के कार्य एवं शक्तियाँ क्या है ? इस सवाल का जवाब आप सभी को मालूम होना चाहिए, खास कर LLB के छात्रों को क्योकि एग्जाम में इस विषय पर प्रश्न अवश्य आता है। 

तो, अब हम आपके सवालों के जवाब देना शुरू करते है। 

जल निवारण एवं नियंत्रण अधिनयम 1974,  के अधीन केंद्रीय बोर्ड का गठन कैसे होता है ? 

जल प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण अधिनियम, 1974 की धारा 3 के तहत केंद्रीय बोर्ड का गठन केंद्रीय सरकार द्वारा किया जाता है। इस जल केंद्रीय बोर्ड में निम्नलिखित व्यक्ति, पदाधिकारी एवं सदस्य होंगे:-
  1. बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में वह व्यक्ति नियुक्त होगा जिसे जल प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण हेतु  विशेष अनुभव हो। 
  2. केंद्रीय सरकार द्वारा नियंत्रित कम्पनी या निगम में से अधिकतम 2 सदस्य होंगे। 
  3. पांच शासकीय अधिकारी होंगे जो कि केंद्रीय सरकार द्वारा नामित किये जायेंगे। 
  4. राज्यों में से बोर्ड के पांच सदस्य लिए जायेंगे। 
  5. कृषि, व्यापार, मत्स्य या अन्य उद्योग में से अधिकतम 13 सस्दय होंगे और गैर सरकारी सदस्य के रूप में नामित होंगे। 
  6. एक पूर्णकालिक सचिव होगा जो कि जन-स्वास्थ्य से सम्बंधित विशेष योग्यता रखता हो, इस प्रकार केंद्रीय परिषद के गठन का तरीका निम्न है :-
  • अध्यक्ष,
  • +पांच सस्दय केंद्रीय सरकार का प्रतिनिधित्व करने वाले,
  • +पांच सस्दय राज्य परिषदों के सस्दयों में से,
  • +तीन कृषि, मत्स्य उद्योग, व्यापार आदि का प्रतिनिधित्व करने वाले,
  • +एक सदस्य सचिव,
  • =अध्यक्ष 
  • +15 सदस्य 
  • +1 सचिव से गठित होगा। 
उक्त प्रकार से गठित बोर्ड एक निगमित निकाय के रूप  करेगा जिसे सरकार द्वार शक्तियाँ तथा कार्यों का विवरण दिया जायेगा। 

जल बोर्ड एक निगमित निकाय होगा। 

जल केंद्रीय बोर्ड एक ऐसा निगमित निकाय होगा जो कि :-
  1. केंद्रीय बोर्ड का शाश्वत उत्तराधिकारी होगा,
  2. केंद्रीय बोर्ड का सामान्य मुद्रा होगी,
  3. केंद्रीय बोर्ड जो कि संविदा करने के लिए सक्षम होगा,
  4. केंद्रीय बोर्ड को संपत्ति अर्जन, धारण और उपयोग करने की शक्ति होगी,
  5. केंद्रीय बोर्ड जो अपने नाम से वाद ला सकेगा या जिस पर वाद लाया जा सकेगा। 

जल बोर्ड के सस्दयों का सेवा काल कितना होगा ?

जल प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण अधिनियम, 1974 की धारा 5 के प्रावधानों के तहत सचिव के कार्यकाल को छोड़कर प्रत्येक सस्दय अपने नामांकन तिथि से 3 वर्ष तक के लिए पद धारण करेंगे, तथा जब तक पद का उत्तराधिकारी उस खली पद को धारण नहीं करता है तब तक वह पद धारण किये रहेंगे। 

जल बोर्ड के सदस्यों के सेवाकाल से मुक्ति कैसे होगी ?

जल बोर्ड के सस्दयों में से किसी सदस्य को यदि सरकार उसके पद से हटाना चाहती है तो सर्वप्रथम सरकार उस सदस्य को कारण बताओं नोटिस देकर तथा सुनवाई का अवसर प्रदान किया उसके बाद उस सस्दय को उसके पद से हटा सकती है। 
इस प्रक्रिया के अलावा कोई भी सदस्य जिसमे सचिव को छोड़कर त्यागपत्र देकर भी पाने पद से मुक्त हो सकता है। 

जल बोर्ड का सदस्य कौन नहीं होगा ?

जल प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण अधिनियम, 1974 के तहत सस्दयों की अयोग्यताओं का प्रावधान किया गया है, निम्नलिखित दशाओं में कोई भी व्यक्ति जल बोर्ड का सदस्य नहीं होगा यदि :-
  1. यदि वह दिवालिया हो या दिवालिया घोषित किया गया हो,
  2. यदि वह व्यक्ति विकृत्तचित हो या घोषित किया गया हो,
  3. यदि वह चारित्रिक कलंक के लिए दण्डित किया गया हो,
  4. यदि वह व्यक्ति सरकार की दृष्टि से अनुपयुक्त हो,
  5. यदि वह बोर्ड के सस्दय के रूप में दो बार नामित हो चूका है,
  6. यदि वह जल प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण अधिनियम के प्रावधानों के तहत दण्डित किया गया हो,
  7. प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से ऐसी कंपनी का सस्दय हो जो कि  जल प्रदूषण से सम्बंधित संपन्न मशीनरी बनाता हो,

जल केंद्रीय बोर्ड के कार्य एवं शक्तियां क्या है ?

जल प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण अधिनियम, 1974 की धारा 16 में केंद्रीय बोर्ड के कार्यों का उल्लेख किया गया है।

  1. जल प्रदूषण के निवारण तथा नियंत्रण से सम्बंधित विषयों पर केंद्रीय सरकार को सलाह देना। 
  2. राज्य बोर्ड  क्रियाकलापों में तालमेल स्थापित करना तथा उनके बीच उत्पन्न विवादों को हल करना। 
  3. राज्य बोर्डों को तकनीकी सहयता प्रदान करना तथा उनका मार्गदर्शन करना। 
  4. राज्यों के विभिन्न क्षेत्रों की सरिताओं और कुओं में सफाई की अभिवृद्धि करना। 
  5. जल प्रदूषण की और जल निवारण, नियंत्रण व उपशमन विषयक कायों में लगे या लगाए जाने वाले व्यक्तियों के प्रशिक्षण की योजना तैयार करना। 
  6. जल प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण के बारे में जनसम्पर्क के माध्यम से व्यापक कार्क्रम बनाना। 
  7. अधिनियम की धारा 18 की उपधारा 2 के अधीन गए गए आदेश में जैसा बताया गया है राज्य बोर्ड के कार्यो का पालन करना। 
  8.  जल प्रदूषण और उसके प्रभावी निवारण एवं नियंत्रण के लिए प्रकल्पित उपायों से सम्बंधित तकनिकी और सांख्यिकी आंकड़े एकत्रित, संकलित एवं प्रकाशित करना। 
  9. मल तथा व्यावसायिक बहिःस्राव की अभिक्रिया और व्ययन से सम्बंधित निर्देशिकायें संहितायें या पथ प्रदर्शिकायें तैयार करना तथा उनसे सम्बंधित जानकारी का प्रसार करना। 
  10. सम्बंधित राज्य सरकार के परामर्श से सरिता या कुओं के लिए मानक निर्धारित करना, उनमे संसोधन या शून्य करना। 
  11. जल प्रदूषण के निवारण नियंत्रण या रोकथाम  राष्ट्रीयव्यापी कार्यक्रम की योजना बनाना और उसे निष्पादित करना। 
  12. सरिता या कुओं से जल के नमूने का या मॉल या व्यावसायिक बहिःस्राव के नमूने का विश्लेषण कराने के लिए प्रयोगशालएं स्थापित करना। 
  13. अन्य ऐसे कार्यों का पालन कलकरना जो विहित किये जाएँ।

1 comment:

  1. इसमे केंद्रीय बोर्ड के कार्य को बताया गया है शक्ति को नहीं..... कार्य और शक्ति में क्या और कैसे अन्तर है कृप्या explain करे।

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