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न्यायालय की अवमानना सिविल अवमानना और आपराधिक अवमानना क्या है

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 नमस्कार दोस्तो,
आज के इस पोस्ट में आप सभी को न्यायालय की अवमानना के बारे  बताने जा रहा हु।  न्यायालय का अवमान अधिनियम 1971, की धारा  2 (क) में न्यायालय की अवमान को दो भागो में बाटा गया है, जो की पहला सिविल अवमानना और दूसरा आपराधिक अवमानना है।
न्यायालय की अवमानना :- सिविल अवमानना और आपराधिक अवमानना।
  1. न्यायाधीश का निरादर करना,
  2. न्यायाधीश के चेतावनी देने के बाद भी उपद्रव करना,
  3. न्यायालय के दिए गए आदेश का जानभूझकर कर पालन न करना, 
  4. न्यायाधीश से अभद्र तरीके से बात करना,
  5. न्यायाधीश के समक्ष से बात करना,
  6.  न्यायाधीश को जूता दिखाना अन्य,
  7. न्यायालय को कलंकित करना,
  8. न्यायालय की प्रक्रिया को क्षति पहुँचाना,
  9. न्यायालय की कार्यवाही में हस्तक्षेप करना,
  10. न्यायालय में हंगामा करना आदि। 
अधिनियम की धारा 2 (ख)   सिविल अवमानना :-  न्यायालय के किसी निर्णय, डिक्री, आदेश, रिट, अथवा अन्य किसी प्रक्रिया की जानभूझकर की गयी अवज्ञा या उसका उल्लंघन करना न्यायालय की अवमानना कहा जायेगा। 

अधिनियम की धारा 2 (ग) आपराधिक अवमानना :- न्यायालय की किसी बात के  प्रकाशन से है, वह चाहे लिखित हो या मौखिक हो या चिन्हित हो या चित्रित हो या किसी अन्य तरीके से हो, जो की न्यायालय की अवमानना करता है।  
न्यायालय की अवमानना के लिए दण्ड का प्रावधान।  
न्यायालय अवमान अधिनियम की धारा  12 में न्यायालय के अवमानना के लिए दण्ड का प्रावधान करती है।  इस अधिनियम की उपधारा (1) के अनुसार जो कोई न्यायालय की अवमानना करता है या करेगा उसे सादे कारावास से दण्डित किया जायेगा जो की छह महीने की कारावास की सजा हो सकती है, या जुर्माने से दण्डित किया जा सकता है जो की दो हजार रुपया या इन दोनों सजा से दण्डित किया जा सकता है।  

9 comments:

  1. सर मैंने सर्विस रिकॉर्ड में जन्मतिथि सुधार के लिए हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी जिसका आदेश कोर्ट से सुधार के लिए आया था और हमने वह आदेश विभाग में जमा कर दिया था जिसमें कोर्ट ने तीन महीने के अंदर सुधार करने को कहा था आज तीन महीने से ज्यादा समय हो चुका है लेकिन अभी तक कोई सुधार नही हुआ सुधार करने के लिए पैसे की मांग करते है क्या हम विभाग पर कंटेप्ट लगा सकते है और कंटेप्ट लगाने का खर्चा कितना आयेगा प्लीज सर सलाह दे

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    1. अपने वकील को तुरंत देरी किये, न्यायालय में प्रार्थना पत्र देने कहिये, आपका काम तत्काल होगा, और मामले में अवमानना की कार्यवाही भी त्वरित होगी.
      कोर्ट में अर्जी का फीस आपके वकील बतायेंगे.

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  2. एक व्यक्ति द्वारा संभागायुक्त न्यायालय में चल रहे प्रकरण में संभागायुक्त द्वारा दिए गए स्थगन को अवैध रूप से दिया गया लिखकर अधीनस्थ sdm न्यायालय में दूसरे पक्ष के लिए सिकायत की गई है एसडीएम एवं कलेक्टर द्वारा स्थल जांच संबंधी निर्देश भी दे दिया गया है। क्या ये अवमानना प्रकरण के योग्य है, किसके विरूद्ध होगा कोई पूर्व निर्णय यदि इस संबंध में हो तो जानकारी दे

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  3. Sir court se sty laga huaa hai or usake baadh v dusara pati court ka odar ko nahi maan raha hai mai Kya karu policy ke pass jata hu to bolta hai ki court ka mamala hai court ko Jake bolo sab poolic dipat Mila huaa hai sir mai Kya karu ap please sir my help you sir

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    1. अपने वकील से बोलो वो न्यायालय मे इसके संबंध मे लिखित प्रार्थना पत्र दे ।

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  4. सर मैंने एनजीटी में जनहित याचिका दायर किया आदेश भी हो चुके हैं लेकिन उसमें प्रशासन अभी तक आदेशों की पालना नहीं करवा पा रहा है कंटेम भी लगा चुके हैं रिपीटेशन भी दायर कर चुका हूं पर अभी प्रशासन आंखें बंद करके बैठा हुआ है इनमें प्रशासन के खिलाफ क्या कार्रवाई हो सकती है इसकी आप उचित भाई जरूर दें मोबाइल नंबर है 7877777648 munna lal jaipur

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  5. महोदय मैं काशी दास दुबे मकरोनिया सागर में निवास करता हूं सागर जिले के अंतर्गत मेरी भूमि, संपत्ति स्थित है इसी संपत्ति को लेकर न्यायालय तृतीय व्यवहार न्यायाधीश वर्ग 2 सागर के द्वारा डिक्री मेरे पक्ष में पारित की जिस की अपील जिला न्यायाधीश सागर एवं हाई कोर्ट जबलपुर में की गई जो मेरे पक्ष में पारित की गई निष्पादन की कार्रवाई जिला कलेक्टर सागर को करना थी उनके द्वारा तहसीलदार सागर को उक्त कार्रवाई करने के लिए नियुक्त किया गया जिसमें नायब तहसीलदार सागर 2 द्वारा गलत तरीके से मेरा हिस्सा समाप्त कर अन आवेदक को लाभ पहुंचा दिया जिसकी शिकायत मैंने कलेक्टर सागर को एवं कमिश्नर सागर को इसकी शिकायत की जो कलेक्टर द्वारा जांच करने पर सही पाई गई एवं कलेक्टर के द्वारा निष्पादन के लिए तहसीलदार को पुनः आदेश कर दिया कमिश्नर सागर द्वारा नायब तहसीलदार के यह कह देने पर की मेरे से डिक्री की निष्पादन में त्रुटि हो गई है मुझे माफ कर दिया जाए यह मेरी प्रथम गलती है इस पर कमिश्नर महोदय ने उन्हें माफ कर दिया चूकी अबमानना सिविल न्यायालय की डिक्री एवं आदेश की हुई है क्या मैं अब मानना की कार्रवाई कर सकता हूं और किस न्यायालय में प्रस्तुत कर सकता हूं कृपया मार्गदर्शन करने की कृपा करें/काशी दास दुबे मकरोनिया चौराहा सागर, मोबाइल/9425626311

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    1. आपकी समस्या का समाधान हुआ ?

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    2. यदि समस्या का समाधान नहीं हुआ है तो, डिक्री / आदेश पारित करने वाले न्यायालय के समक्ष इसके संबंध मे प्रार्थना पत्र प्रस्तुत करो ।

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