lawyerguruji

रिट ऑफ़ habeas corpus क्या है और इसका महत्व क्या है ? What is writ of habeas corpus and its important

www.lawyerguruji.com 

नमस्कार मित्रों,
आज के इस लेख में आप सभी को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 32 और अनुच्छेद 226 के अंतर्गत संवैधानिक उपचार के रूप में प्रदान बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका / रिट के बारे में बताने जा रहा हु। संविधान में 5 याचिकाओं के बारे में बताया गया है।  संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर किये जाने का प्रावधान है और संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत उच्च न्यायालय में याचिका दायर किये जाने का प्रावधान किया गया है। जहाँ किसी भी भारतीय नागरिकों के उनके मौलिक अधिकारों का हनन होता है तो वे न्यायालय के समक्ष याचिका दायर कर अनुतोष प्राप्त कर सकते है। 

बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका को विस्तार से जाने। 


बंदी प्रत्यक्षीकरण (Habeas Corpus) याचिका क्या है ?

बंदी शब्द का अर्थ कैद करना या किसी को नजरबंद करना और प्रत्यक्षीकरण का अर्थ उस बंदी व्यक्ति को सशीर पेश करना। बंदी प्रत्यक्षीकरण का अर्थ जिस व्यक्ति को बंदी बनाया गया है यानी कैद या नजरबंद किया गया है उस व्यक्ति को सशीर पेश किया जाये। 

बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका विधिविरुद्ध बंदी बनाये गए या नजरबंद व्यक्ति के परिवार, मित्र या हित रखने वाले व्यक्ति के द्वारा किसी अधिवक्ता के जरिये उच्च न्यायालय में या उच्चतम न्यायालय के समक्ष दायर जाती है कि बंदी बनाये गए या नजरबंद किये गए व्यक्ति को न्यायालय के समक्ष हाजिर किया जाये। 

जहाँ किसी व्यक्ति को पुलिस द्वारा या किसी अन्य व्यक्ति द्वारा जिसे सरकार द्वारा गिरफ्तार करने के लिए अधिकृत किया गया है। ऐसे में जहाँ पुलिस द्वारा या अधिकृत किये गए व्यक्ति द्वारा विधिसम्मत तरीके से व्यक्ति को बंदी बनाया गया है और उस बंदी व्यक्ति को 24 घंटे से अधिक समय तक मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश नहीं किया है या विधिविरुद्ध तरीके से और व्यक्ति को बिना आधार बताये बंदी बनाया गया है और उसे छोड़ा न गया है, तो ऐसे में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका के जरिये न्यायालय से प्रार्थना की जाती है कि जिस व्यक्ति को बंदी बनाया गया है या नजरबंद किया गया है उस व्यक्ति को न्यायालय के समक्ष पेश किया जाये। 

जहाँ किसी अन्य व्यक्ति द्वारा किसी भी व्यक्ति को बंदी बनाया जाता है या नजरबंद किया जाता है तो ऐसे में उस व्यक्ति के विरुद्ध बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर कर न्यायालय से प्रार्थना की जाती है कि जिस व्यक्ति द्वारा बंदी बनाया गया या नजरबंद किया है , बंदी बनाये या नजरबंद किये गए व्यक्ति को न्यायालय के समक्ष हाजिर किये जाने का आदेश दिया जाये। 

बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका के दायर होने पर न्यायालय के समाधान हो जाने पर न्यायालय द्वारा उस व्यक्ति को जिसने किसी व्यक्ति को बंदी बनाया है या नजरबंद किया है उसको यह आदेश दिया जाता है कि बंदी बनाये गए या नजरबंद किये गए व्यक्ति को न्यायालय के समक्ष निर्धारित तिथि व् समय पर पेश करे और साथ में उन आधारों को बी बताये कि ऐसा क्यों किया गया क्या कारण है । 

यदि बंदी बनाये गए या नजर बंद किये गए व्यक्ति को क्यों बंदी या नजरबंद किया गया ऐसा कोई उचित व् पर्याप्त कारण नहीं बताया जाता है तो न्यायालय के समाधान हो जाने पर बंदी बनाये गए या नजरबंद किये गए व्यक्ति को रिहा करने का आदेश दे सकती है। 

WRIT OF HABEAS CORPUS.


बंदी प्रत्यक्षीकरण का महत्त्व ( Importance  of Writ of Habeas Corpus).
 
भारतीय संविधान देश के प्रत्येक नागरिकों को उनके मौलिक अधिकार प्रदान करता है, उसी में से एक अनुच्छेद 21 प्राण और दैहिक स्वतंत्रता के सम्बन्ध में संरक्षण प्रदान करता है। जहाँ किसी भी व्यक्ति को उसके प्राण और दैहिक स्वतंत्रता से विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अनुसार ही वंचित किया जायेगा।  जब किसी भी व्यक्ति को उसके प्राण और दैहिक स्वतंत्रता से वंचित किया जाये तो इसके उचित व् युक्तियुक्त पर्याप्त कारण होने चाहिए। 

अनुच्छेद 22 (2 ) के अनुसार बंदी या गिरफ्तार किये गए व्यक्ति को 24 घण्टे के भीतर मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया जाना आवश्यक है। 

इन्ही के उल्लंघन होने पर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका का सहारा लिया जाता है। 

बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर करने के आधार क्या हो सकते है ?  (Ground for issuing the Writ).

बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका विधि विरुद्ध किसी व्यक्ति को बंदी बनाया गया है या नजरबंद किया गया है तो ऐसे में उस व्यक्ति को न्यायालय के समक्ष पेश किया जाये इसके लिए न्यायालय के समक्ष दायर की जाती है। इस याचिका के दायर किये जाने के निम्न आधार होते है जैसे कि :-
  1. याचिकाकर्ता विधि विरुद्ध बंदी या नजरबंद हो,
  2. गिरफ़्तारी या अवरोध बिना औपचारिकता के हुआ हो,
  3. गिरफ़्तारी के आधार गलत या गिरफ़्तारी का स्थान गलत हो,
  4. गिरफ़्तारी या बंदी बनाये जाने के आधार संदेहपूर्ण  हो,
  5. गिरफ़्तारी के दौरान व्यक्ति को उसकी गिरफ़्तारी के आधार न बताये गए हो,  
  6. गिरफ़्तारी के 24 घंटे के भीतर या अधिक समय बीत जाने पर व्यक्ति को मजिस्ट्रेट के समक्ष हाजिर न किया गया ,
  7. किसी अन्य व्यक्ति के द्वारा विधिविरुद्ध किसी भी व्यक्ति को बंदी या नजरबंद किया गया है,
  8. अन्य परिस्थितिजन्य आधार हो सकते है। 
बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर करने से पहले ध्यान दे?
  1. बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर करने से पहले यह सुनिश्चित किया जाना अति आवश्यक है कि जिस व्यक्ति को बंदी बनाया गया है या नजरबंद किया गया है क्या विधि सम्मत किया गया है या विधिविरुद्ध। 
  2. जिस व्यक्ति द्वारा बंदी बनाया गया है या नजरबंद किया गया है वो क्या पुलिस अधिकारी है या कोई अन्य व्यक्ति जिसे सरकार द्वारा किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार या बंदी बनाए जाने के लिए अधिकृत किया गया है।
  3. यदि पुलिस अधिकारी या अन्य व्यक्ति जिसे सरकार द्वारा अधिकृत किया गया है इनके द्वारा किसी व्यक्ति को बंदी बनाया या नजरबंद किया गया है, ऐसे में 24 घंटे के भीतर या अधिक समय तक बंदी या नजरबंद किये गए व्यक्ति को मजिस्ट्रेट के समक्ष हाजिर न किया गया है। 
  4. क्या जिस व्यक्ति को बंदी बनाया गया या नजरबंद किया गया है उसको ऐसे बंदी बनाये जाने या नजरबंद किये जाने के कारण व् आधार बताये गए है। 
  5. क्या बंदी बनाये गए या नजरबंद किये गए व्यक्ति को किसी अन्य व्यक्ति द्वारा गैरकानूनी ढंग से ऐसा किया गया है।
बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका कौन दायर करवा सकता है ?( Who can apply).

बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका ही एक ऐसी याचिका है जो कि बंदी बनाये गए या नजर बंद किये गए व्यक्ति के परिवार, मित्र, या उस व्यक्ति के द्वारा दायर की जा सकती है तो बंदी बनाये गए या नजरबंद किये गए व्यक्ति की स्वतंत्रता में किसी भी प्रकार का हित रखता है, वह प्रत्येक व्यक्ति बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर कर सकता है। 

2 comments:

  1. Girl is missing from her in laws house from different state and mother of the girl is residing at different state what writ should be filed by the mother in her own statin which she is residing because police has lidge the case of missing in the state of in laws house and mother has a doubt that that in laws has either sold her daughter or has killed her.
    What should mother do she is poor lady

    ReplyDelete
    Replies
    1. when did you have lodge a FIR ?
      After registering FIR have you get any information from police station ?

      Delete

lawyer guruji ब्लॉग में आने के लिए और यहाँ पर दिए गए लेख को पढ़ने के लिए आपको बहुत बहुत धन्यवाद, यदि आपके मन किसी भी प्रकार उचित सवाल है जिसका आप जवाब जानना चाह रहे है, तो यह आप कमेंट बॉक्स में लिख कर पूछ सकते है।

नोट:- लिंक, यूआरएल और आदि साझा करने के लिए ही टिप्पणी न करें।

Powered by Blogger.