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नमस्कार मित्रों ,
आज के इस लेख में हम जानेंगे कि भारत में रोगी के अधिकार व् रोगी की जिम्मेदारियाँ क्या है ? भारत में जितने भी सरकारी या निजी चिकित्सालय है जिनमे किसी भी प्रकार के भर्ती होने वाले रोगी हो उन चिकित्सालय का एक उद्द्श्य होता है कि रोगी जल्द स्वस्थ हो और अपने दैनिक कार्यो में व्यस्त हो इसके लिए रोगी को अच्छा व् पूर्ण चिकित्सा उपचार प्राप्त हो ऐसा होने के लिए जरुरी है गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा प्रदान करना।
सरकारी या निजी चिकित्सालय रोगियों की गुणवत्तापूर्वक देखभाल प्रदान करने के भरसक प्रयास कर रहे और सफल भी हो रहे है और निरंतर प्रयास किये जा रहे है।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और अंतर्राष्ट्रीय रोगी चार्टर से रोगियों के अधिकारों का एक दस्तावेज़ तैयार किया है जिनमे रोगियों के अधिकार और रोगियों की जिम्मेदारियों का उल्लेख किया गया है।
भारत में रोगियों के अधिकारों का उल्लेख करने वाले कुछ कानून है जिनका पालन करना सरकारी व् निजी सभी चिकिस्तालयों को अनिवार्य है।
- भारतीय संविधान 1950 .
- भारतीय न्याय संहिता 2023
- भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023
- औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम 1940
- नैदानिक स्थापन (पंजीकरण और विनियमन ) अधिनियम 2010
- भारतीय चिकित्सा परिषद (व्यावसायिक आचरण , शिष्टाचार और नैतिकता ) विनयम 2002
भारत में रोगी के अधिकार और रोगी की जिम्मेदारियाँ क्या है ?
स्वास्थ और परिवार कल्याण मंत्रालय और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में रोगियों की उचित देखभाल हो और उचित उपचार प्राप्त हो इसके सम्बन्ध में रोगी अधिकारों का चार्टर जारी किया। जिसमे मुख्य दो बातों का उल्लेख है :-
- रोगी के अधिकार।
- रोगी और तीमारदारों की जिम्मेदारियों।
रोगी के अधिकार।
1.सूचना का अधिकार।
- प्रत्येक रोगी को उसके रोग से सम्बंधित रोग की प्रकृति , कारण , अंतिम / पुष्टि निदान , प्रस्तावित जाँच और प्रबंधन तथा संभावित जटिलताओं के बारे में पर्याप्त सही जानकारी प्राप्त करने का अधिकार है , ऐसी जानकरी रोगी को उसकी समझ की भाषा में समझाया जाये की वह समझ सके।
- रोगी के रोग का उपचार करने वाले चिकित्सक का कर्तव्य होना चाहिए कि वह यह सुनिश्चित करे कि रोग से सम्बंधित जानकारी रोगी को उसके समझ और ज्ञात भाषा में सरलतापूर्वक प्रदान की जाये और यह जानकरी रोगी को चिकित्सक द्वारा स्वयं या उसके सहायकों के माध्यम से प्रदान की जा सकेगी।
- प्रत्येक रोगी और उसके द्वारा नामित उसकी देखभाल करने वाले व्यक्ति को साक्ष्य के आधार पर उपचार में लगने वाली अपेक्षित धनराशि के बारे में जानकारी प्राप्त करने का अधिकार है।
- चिकित्सालय प्रबंध का कर्तव्य है कि वह रोगी की शारीरिक स्थिति य उपचार की दशा में परिवर्तन होने वाली किसी भी अतिरिक्त धनराशि के बारें में लिखित रूप में सूचित करें।
- चिकिस्तालय प्रबंध का कर्तव्य है कि रोगी को या उसके द्वारा नामित देखभालकर्ता व्यक्ति को लिखित में प्रदान करें।
- रोगी के उपचार पूर्ण होने पर, रोगी को उपचार के दौरान लगने वाली धनराशि का एक विस्तृत बिल , भुगतान के स्त्रोत या भुगतान के तरीके का ध्यान का ध्यान दिए बिना बिल के लिए स्पष्टीकरण प्राप्त करने और किसी भी भुगतान के लिए रसीद प्राप्त करने का अधिकार है।
- रोगी और रोगी की देखभाल करने वाले व्यक्ति को रोगी का अलग अलग उपचार करने वाले की पहचान और चिकित्सीय व्यवसाय की स्थिति जानने का अधिकार है कि उनकी देखभाल करने के लिए प्राथमिक रूप से कौन सा डॉक्टर / सलाहकर जिम्मेदार है, यह कर्तव्य चिकित्सालय प्रबंध का होगा कि ऐसी जानकारी सभी मरीजों और उनकी देखभाल करने वाले व्यक्ति को नियमित रूप से लिखित में रसीद के साथ प्रदान करें।
2.रोगी शिक्षा का अधिकार।
- मरीजों को उनकी स्थिति और स्वस्थ जीवन शैली से सम्बंधित प्रमुख तथ्यों , उनके अधिकारों और जिम्मेदारियों , मरीजों के लिए उचित आधिकारिक रूप से उनके लाभ के लिए बीमा योजनाओं , धर्मार्थ चिकित्सालय के मामले में उचित अधिकारों और शिकायतों के निवारण की मांग करना के ढंग के बारें शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार है।
- मरीज जिस भाषा को समझे या शिक्षा चाहते है , चिकित्सालय प्रबंधन और उपचार करने वाले चिकित्सिक अधिकारी का यह कर्तव्य है की वे प्रत्येक मरीज को मानक प्रक्रिया के अनुसार उस भाषा में सरलता से शिक्षा प्रदान करें जिसे मरीज अच्छे से समझे और समझने में आसान तरीके से संवाद कर सके।
3.दूसरी राय का अधिकार।
- प्रत्येक रोगी और उसके देखभालकर्ता की पसंद के किसी योग्य चिकित्सक से रोग के संबंध में दुरी राय लेने का अधिकार है।
- चिकित्सालय प्रबंधन का कर्तव्य है कि वह रोगी के दूसरी राइ लेने के अधिकार का सम्मान करे और रोगी देखभालकर्ता को बिना किसी अतिरिक्त लागत या देरी के ऐसी राय लेने के लिए आवश्यक सभी रिकॉर्ड और जानकारी प्रदान करें।
- चिकित्सालय प्रबंधन का यह कर्तव्य है कि वह सुनिचित करें कि रोगी/देखभालकर्ताओं द्वारा दूसरी राय लेने के किसी भी निर्णय से उपचार करने वाले चिकित्सालय द्वार प्रदान की जा रही देखभाल की गुणवत्ता पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ना चाहिए , जब तक कि रोगी उस चिकित्सालय की देखभाल में है।
- चिकित्सालय या सेवा प्रदाताओं द्वार अपनाई गयी किसी भी तरह की भेदभावपूर्ण प्रथा मानवाधिकार का उललंघन माना जायेगा।
4.सूचित सहमति का अधिकार।
- प्रय्तेक रोगी को यह अधिकार है की किसी भी संभावित खतरनाक परीक्षण या उपचार जैसे आक्रामक जाँच , शल्य चिकित्सा ,कीमोथेरपी से पहले रोगी से सूचित सहमति ली जानी चाहिए, जिसमे कुछ जोखिम हो सकते है।
- यह सुनिश्चित करना चिकित्सालय प्रबंध का कर्तव्य है कि सभी सम्बन्धित चिकित्सा अधिकारी / डॉक्टरों को सूचित सहमति लेने के लिए उचित दिशा निर्देश दिए जाये।
- एक उचित निति अपनाई जाये और सूचित सहमति प्राप्त करने के प्रोटोकॉल के साथ सहमति प्रपत्र अनिवार्य रूप से रोगियों को प्रदान किये जाएँ।
- संभावित खतरनाक परीक्षण , उपचार का संचालन करने वाले प्राथमिक उपचार करने वाले डॉक्टर का यह कर्तव्य है कि वह रोगी और डेस्कःभाल करने वालों को प्रक्रियामे शामिल मुख्य जोखिमों के बारें में समझाए और जानकरी देने के बाद डॉक्टर केवल तभी आगे बढ़ सकता रोगी/ देखभाल करने वलए द्वारा लिखित रूप में सहमति दी गयी हो या ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक एक्ट रूल 2016 के तहत सूचित सहमति पर बताए गए तरीके से।
5.भेदभाव न करने का अधिकार।
- प्रत्येक रोगी को अपनी बीमारी या बीमारी की स्थिति जीएम HIV स्थिति या अन्य आवश्यक स्थिति शामिल है , धर्म , जाति , जातीयता , लिंग, आयु, यौन अभिविन्यास , भाषाई या भौगोलिक, सामाजिक मूल शामिल है इनके आधार पर बिना किसी भेदभाव के उपचार प्राप्त करने का अधिकार है।
- चिकित्सालय प्रबंधन का कर्तव्य है की वह यह सुनिचित करे कि चिकित्सालय की देखरेख में किसी व्यक्ति के साथ किसी भी प्रकार का भेदभावपूर्ण व्यव्हार न हो।
- चिकित्सालय प्रबंधन को अपने सभी चिकित्सा अधिकार / डॉक्टरों को और कर्मचारियों को नियमित भेदभाव न किये जाने के बारे में जानकारी प्रदान करें।
6.रिकॉर्ड और रिपोर्ट का अधिकार।
- प्रत्येक रोगी या उसकी देखभाल करने वाले व्यक्ति को इंडोर पेशेंट रिकॉर्ड यानी चिकित्सालय में भर्ती रोगी के उपचार सम्बंधित चिकित्सीय दस्तावेज के रिकॉर्ड , जाँच की रिपोर्ट भर्ती किये जाने की अवधि के दौरान 24 घण्टे के भीतर और उपचार होने पर छुट्टी के बाद 72 घंटे भीतर इन मूल प्रतियों को प्राप्त करने का अधिकार है।
- चिकित्सीय दस्तावेज की फोटोकॉपी प्राप्त करने के लिए उचित शुल्क का भुगतान करने बाद रोगी को उपलब्ध कराया जा सकता है या रोगियों को अपनी लागत पर फोटोकॉपी कराये जाने की अनुमति दी।
- चिकित्सालय प्रबंध का यह कर्तव्य है कि रोगी के उपचार से सम्बंधित रिकॉर्ड और रिपोर्ट को उपलब्ध कराये और जिम्मेदार चिकित्सालय कर्मचारियों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दे इनका पालन बिना किसी चूक के किया जाये।
7.सुनवाई और निवारण की मांग करने का अधिकार।
- चिकित्सालय में भर्ती प्रत्येक मरीज और उनकी देखभाल करने वाले डॉक्टर या चिकित्सालय से मिलने वाली या मिली स्वास्थ सेवा के बारें में फीडबैक देने , टिपणी करने या शिकायत दर्ज कराने का अधिकार है।
- इसमें फीडबैक देने , टिपणी करने या शिकायत दर्ज कराने के बारेम में सरल और उपयोगकर्ता के अनुकूल तरीके से जानकरी और सलाह दिए जाने का अधिकार शामिल है।
- मरीजों और देखभाल करने वालों को इस चार्टर में उल्लिखित किसी भी अधिकार के उल्लंघन के कारण पीड़ित होने पर निवारण की मांग करने का अधिकार है।
- यह चिकित्सालय या स्वास्थ सेवा प्रदाता द्वारा इस उद्देश्य के लिए नामित किसी अधिकारी के पास शिकायत दर्ज करके और सरकार द्वारा गठित गए आधिकारिक तंत्र जैसे कि मरीज अधिकार न्यायाधिकरण फोरम या नैदानिक प्रतिष्ठान नियामक प्राधिकरण के पास शिकायत दर्ज करके किया जा सकता है।
- सभी शिकायतों को पंजीकरण संख्या प्रदान करके पंजीकृत किया जायेगा और शिकायत समाधान की स्थिति का पता लगाने के लिए एक मजबूत ट्रैकिंग और ट्रेसिंग तंत्र होना चाहिए।
- मरीज और देख्बाहल करने वालों को अपनी शिकायतों का निष्पक्ष और त्वरित निवारण पाने का अधिकार है।
- शिकायत प्राप्त होने की तिथि से 15 दिनों के भीतर शिकायत का परिणाम लिखित रूप में प्राप्त होना चाहिए।
- प्रत्येक चिकित्सालय और नैदानिक प्रतिष्ठानों का कर्तव्य है कि वह एक आंतरिक निवारण तंत्र स्थापित करे और साथ ही आधिकारिक निवारण तंत्र का पूर्ण अनुपालन और सहयोग करें , जिसमे सभी उचित जानकारी उपलब्ध कराना और रोगी अधिकार चरते या लागु मौजूदा कानूनों के अनुसार निवारण निकाय के आदेशों के अनुसार पूर्ण रूप से करवाई करना शामिल है।
8.आपातकालीन चिकित्सा और देखभाल का अधिकार।
- भारतीय उच्च न्यायालय के आदेशानुसार, सरकारी और निजी क्षेत्र के सभी चिकित्सालयों का यह कर्तव्य है कि वे बुनयादी आपातकालीन चिकित्सा सेवाएं प्रदान करें और घायल व्यक्तियों को आपातकालीन सेवा प्राप्त करने का अधिकार है।
- ऐसी आपातकालीन सेवा बिना किसी भुगतान / अग्रिम मांग के प्रारम्भ की जानी चाहिए और भुगतान की क्षमता की परवाह किये बिना रोगी को बुनियादी आपतकालीन सेवा प्रदान की जानी चाहिए।
- चिकित्सालय प्रबंध का कर्तव्य है की वह अपने चिकित्सा अधिकारी / डॉक्टर और कर्मचारियों के जरिये ऐसी आपातकालीन सेवा का प्रावधान सुनिश्चित करें , जो रोगियों की गुणवत्ता और सुरक्षा से समझौता किये बिना आपातकालीन सेवा प्रदान की जाए।
9.गोपनीयता , मानवीय गरिमा और निजता का अधिकार।
- चिकित्सालय में भर्ती सभी मरीजों / रोगियों को उनके रोग से सम्बंधित किसी भी जानकरी के सम्बन्ध में गोपनीयता का अधिकार है और चिकिस्ता अधिकारी /डॉक्टर का यह कर्तव्य है की वे उनकी स्वास्थ्य स्थिति और उपचार योजना के बारें में जानकारी को पूर्णरूप से गोपनीयता के साथ रखें। जब तक की कोई विशेष परिस्थितियों में दूसरें की सुरक्षा के हित में या सार्वजानिक स्वास्थ के कारण ऐसी जानकारी देना आवश्यक न हो।
- महिला मरीजों की शारीरिक परीक्षण पुरुष चिकित्सक द्वारा किये जाने के दौरान किसी अन्य महिला का उपस्थिति होने का अधिकार उसे प्राप्त है।
- महिला मरीजों के उपचार के मामलें में ऐसी महिला परिचारकाओं की उपस्थिति सुनिचित करना चिकित्सालय प्रबंध का कर्तव्य है।
- चिकित्सालय प्रबंध का कर्तव्य है की वह यह सुनिचित करें की उसका स्टाफ का हर एक कर्मचारी हर परिस्थिति में हर एक मरीज की मानवीय गरिमा को बनाए रखें।
- मरीज से सम्बंधित सभी डाटा को सुरक्षित रखा जाना चाहिए और डाटा लीक या चोरी होने से बचाया जाना चाहिए।
10.मानकों के अनुसार सुरक्षा और गुणवत्तापूर्ण देखरेख का अधिकार।
- प्रत्येक रोगी चिकित्सालय परिसर में सुरक्षा और संरक्षा का अधिकार है।
- रोगी को आवश्यक स्वच्छता , संक्रमण नियंत्रण उपायों , BIS /FSSAI मानकों के अनुसार सुरक्षित पेयजल और स्वच्छता सुविधाओं वालें वातावरण में देखभाल प्राप्त करने का अधिकार है।
- चिकित्सालय प्रबंधन का कर्तव्य है कि वह अपने परिसर रोगियों की सुरक्षा सुनिश्चित करें जिसमे स्वच्छ परिसर और संक्रमण नियंत्रण के प्रावधान शामिल है।
- रोगी को राष्ट्रीय चिकित्सा प्रत्यायन बोर्ड (NABH ) या इसी तरह के वर्तमान में स्वीकृत मानकों , मानदण्डों और मानक दिशानिर्देश के अनुसाए गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ देखभाल प्राप्त करने का अधिकार है।
- रोगी को उचित कौशल और पेशवर तरीके से चिकित्सा नैतिकता के सिद्धांतों के साथ पूर्ण सामंजस्य में देखभाल और उपचार प्राप्त करने का अधिकार है।
- रोगी और देखभालकर्ता को कथित चिकित्सा लापरवाही या सेवा वितरण में जानबूझकर की गयी कमी के कारण हुई क्षति के मामले में निवारण की मांग करने का अधिकार है।
- चिकित्सालय प्रबंधन और इलाज करने वाले डॉक्टरों का कर्तव्य है कि वह देखभाल के वर्तमान मानकों और मानक उपचारदिशानिर्देश के अनुसार गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ करें और किसी भी रूप में चिकित्सा लापरवाही या सेवा वितरण प्रणाली में किसी कमी से बचें।
11.वैकल्पिक उपचार के विकल्प चुनने का अधिकार यदि उपलब्ध हो।
- रोगी और उनके देखभालकर्ता को स्थिति के सभी पहलुओं पर विचार करने के बाद वैकल्पिक उपचार / प्रबंधन विकल्पों में से चुनने का अधिकार है यदि उपलब्ध।
- इन विकल्पों में रोगी द्वारा सभी उपबल्ध विकल्पों पर विचार करने के बाद देखभाल से इंकार करने का विकल्प शामिल है , जिसके परिणामों की जिम्मेदारी रोगी और उसके देखभालकर्ता को उठानी पड़ेगी।
- यदि कोई रोगी अपनी स्वयं अपनी जिम्मेदारी पर चिकित्सा सलाह के बिना स्वास्थ सेवा सुविधा छोड़ता है , तो रोगी के आगे के उपचार और स्थिति पर पड़ने वाले प्रभाव के बावजूद , यह निर्णय अपने आप में चार्टर में उल्लिखित विभिन्न अधिकारों के पालन को प्रभावित नहीं करना चाहिए।
- चिकित्सालय प्रबंधन का कर्तव्य है की वह रोगी को ऐसे विकल्पं के बारें में जानकारी उपलब्ध कराये और साथ ही रोगी और देखभालकर्ता द्वारा सूचित किये गए पसंद का सम्म्मान उचित रिकॉर्ड किये गए तरीके से करे और संचार और तरीके पर रोगी या उसके देखभालकर्ता से उचित अभिस्वीकृति प्राप्त करें।
12.दवाइयों या परिक्षण के लिए श्रोत चुने जाने का अधिकार।
- जब कोई दवा डॉक्टर या चिकित्सालय द्वारा निर्धारित की जाती है ,तो रोगी और उसके देखभालकर्ता को उन्हें खरीदनें के लिए अपनी पसंद की किसी भी पंजीकृत फार्मेसी चुने जाने का अधिकार है।
- जब कोई डॉक्टर या चिकित्सालय किसी विशेष जाँच की सलाह देता है , तो रोगी और उसके देखभालकर्ता को किसी भी पंजीकृत डाइग्नोस्टिक सेंटर से यह जाँच करवाने का अधिकार है, जिसके पास योग्य कर्मचारी हो और जो राष्ट्रीय प्रयोगशाला प्रत्यायन बोर्ड द्वारा मान्यता प्राप्त हो।
- प्रत्येक उपचार करने वाले चिकित्सालय और चिकित्सालय प्रबंधन का यह कर्तव्य है कि वह रोगी और उसके देखभालकर्ता को सूचित करें कि वे अपने पसंद की फार्मेसी / निदान केंद्र से निर्धारित दवाइयाँ / जाँच करवाने के लिए स्वतंत्र है।
- रोगी और देखभालकर्ता द्वारा अपनी पसंद की फार्मेसी / निदान केंद्र तक पहुंच के निर्णय से उपचार करने वाले चिकित्सक या चिकित्सालय द्वारा प्रदान की जा रही देखभाल पर किसी भी तरह से प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ना चाहिए।
13.उचित परामर्श और हस्तांतरण अधिकार जो प्रभावी वणिज्यों से मुक्त हो।
- एक रोगी की देखभाल की निरंतरता का अधिकार है और पहली स्वास्थ सेवा सुविधा में विधिवत पंजीकृत होने का अधिकार है जहाँ उपचार की मांग की गयी है साथ ही साथ किसी भी बाद की सुविधाओं में जहाँ देखभाल की मांग की जाती है।
- एक स्वास्थ सेवा सुविधा से दूसरी सवाथ सेवा सुविधा में स्थांतरित होने पर रोगी और उसके देखभालकर्ता को स्थानांतरण के औचित्य , स्थानांतरण के वैकल्पिक विकल्पों का पूरा विवरण प्राप्त होना चाहिए और यह पुष्टि की जानी चाहिए कि स्थानांतरण प्राप्त कर्म वाली सुविधा को स्वीकार्य है।
- रोगी और देखभालकर्ता को चिकित्सालय से छुट्टी के बाद किसी भी निरंतर स्वास्थ सेवा आवश्यकताओं के बारे में चिकित्सालय द्वारा सूचित किये जाने का अधिकार है।
- चिकित्सालय प्रबंधन का कर्तव्य है कि वह देखभालक में इस तरह के बदलाव के सम्बन्ध में रोगियों का उचित रेफरल और स्थानांतरण सुनिश्चित करे।
- रोगी के सभी रेफरल के सम्बन्ध में जिसमे अन्य चिकित्सालय , विशेषज्ञों , प्रयोगशालाओं या इमेजिंग सेवाओं के लिए रेफरल शामिल है , जिस सुविधा के लिए रेफरल किया जाता है उसके बारे में निर्णय पूरी तरह से रोगी के सर्वोत्तम हित द्वारा निर्देशित होना चाहिए।
- प्रक्रिया किसी भी व्यावसायिक विचार जैसे कि रिश्वत , कमीशन ,प्रोत्साहन या अन्य विकृत व्यावसायिक प्रथाओं से प्रभावित नहीं होनी चाहिए।
14.नैदानिक परीक्षणों में शामिल रोगियों के लिए सुरक्षा का अधिकार।
प्रत्येक व्यक्ति / मरीज जिसे क्लीनिकल परीक्षण में भाग लेने के लिए संपर्क किया जाता है , उसे इस परिक्षण के सन्दर्भ में उचित सुरक्षा का अधिकार है। सभी क्लीनिकल परीक्षण केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन , स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय , भारत सरकार द्वारा जारी प्रोटोकॉल और अच्छे क्लीनिकल अभ्यास दिशानिर्देशों के अनुपालन में किये जाये चाहिए , साथ ही संशोधित औषधि और प्रसाधन सामग्री अधिनियम 1940 और नियम 1945 के सभी लागु वैधानिक प्रावधानों के अनुपालन में किये जाने चाहिए जिसमे मरीजों के अधिकारों से सम्बंधित निम्नलिखित प्रावधानों का पालन भी शामिल है।
- नैदानिक परीक्षण में मरीजों की भगीदारी हमेसा सूचित सहमति पट आधरित होनी चाहिए, जो सभी प्रासंगिक जानकारी के प्रावधान के बाद दी जाती है।
- रोगी को हस्ताक्षरित सूचित सहमति फॉर्म की एक प्रति दी जानी चाहिए , जो उसे परीक्षण के बारें बुनियादी जानकारी वाला रिकॉर्ड प्रदान करती परीक्षण में उनकी भागीदारी को साबित करने के लिए दस्तावेजी सबूत भी बन जाती है।
- किसी प्रतिभागी के नैदानिक परिक्षण में भाग लेने के लिए सहमति देने या अस्वीकार करने के अधिकार का सम्मान किया जाना चाहिए और ऊके इंकार से नियमित देखभाल प्रभावित नहीं होनी चाहिए।
- रोग को परीक्षण के दौर से गुजर रही दवा / हस्तक्षेप के नाम के साथ साथ तारीख , खुराख और प्रशासन की अवधि के बारें में भी लिखित रूप से सूचित किया जाना चाहिए।
- हर समय , परीक्षण प्रतिभागी को गोपनीयता बनाये राखी जानी चाहिए और प्रतिभागी से एकत्रित की गई कोई भी जानकारी पूरी तरह गोपनीय रखी जानी चाहिए।
- परीक्षण में भाग लेने वाले प्रतिभागी जी परीक्षण में भाग लेने के दौरान किसी भी प्रतिकूल प्रभाव से पीड़ित होते है , वे प्राटोकोल घटनाओं के लिए निःशुल्क चिकित्सा प्रबंधन के हक़दार है , चाहे वे क्लीनिकल परीक्षण से सम्बंधित हो या नहीं , जो तब तक दिया जाना चाहिए जब तक किए यह स्थापित न हो जाये कि चोट नैदानिक परीक्षण से सम्बंधित नहीं है। इसके अलावा , किसी भी हानि या विकलांगता के लिए उन्हें क्षतिपूर्ति करने के लिए वित्तीय सहायता दी जानी चाहिए। मृत्यु के मामले में , उनके आश्रितों को मुआवजे का अधिकार है।
- परीक्षण की अवधि के दौरान उत्पन्न होने वाली गैर - अध्ययन / परीक्षण सम्बन्धी बिमारियों के लिए नैदानिक परीक्षण प्रतिभागियों को सहायता देखभाल प्रदान की जा सकती है। यह चिकित्सा देखभाल या सुविधाओं के सन्दर्भ के रूप में हो सकता है , जैसा भी उचित हो।
- परीक्षण से सम्बंधित या असंबंधित बिमारियों (सहायक देखभाल ) के लिए बीमा कवरेज की अनुमति देने और सम्बंधित आचार समिति द्वारा जहां भी आवश्यक समझा जाये। मुआवजा देने के लिए संस्थागत तंत्र स्थापित किया जाना चाहिए।
- परीक्षण के बाद , प्रतिभागियों को सर्वोत्तम उपचार विधियों तक पहुंच का आश्वासन दिया जाना चाहिए जो अध्ययन द्वारा सिद्ध हो सकता है।
कोई भी डॉक्टर या चिकित्सालय जो किसी नैदानिक परीक्षण में शामिल है , उसका यह कर्तव्य है कि वह यह सुनिश्चित करे की ऐसे परीक्षण में शामिल किसी भी व्यक्ति / रोगी के मामले में इन सभी दिशानिर्देश का पालन किया जाए।
15.चिकित्सालय से मरीज को छुट्टी देने या मृतक का शव प्राप्त करने का अधिकार।
- किसी भी मरीज को चिकित्सालय से छुट्टी लेने का अधिकार है। और उसे चिकित्सालय में प्रक्रियात्मक आधार पर नहीं रोका जा सकता जैसे कि चिकित्सालय शुल्क के भुगतान के सम्बन्ध में विवाद।
- देखभालकर्ता को चिकित्सालय में उपचार करवा चुके मरीज के शव को रखने का अधिकार है और देखभालकर्ता की इच्छा के विरुद्ध चिकित्सालय शुल्क भुगतान के बारे में विवाद/ गैर भुगतान सहित प्रक्रियात्मक आधार पर शव को नहीं रोका जा सकता है।
- चिकित्सालय प्रबंधन का कर्त्व्यव है कि वह इन अधिकारों का और किसी भी परिस्थिति में चिकित्सालय में इलाज करवा रहें किसी भी मरीज या मरीज के शव को गलत तरीके से बंधक न बनाए।
16.जैव चिकित्सा और स्वास्थ्थ अनुसन्धान में शामिल प्रतिभागियों के संरक्षण का अधिकार।
- बायोमेडिकल रिसर्च यानी जैव चिकित्सा अनुसन्धान में भाग लेने वाले प्रत्येक मरीज को शोध प्रतिभागी के रूप में सन्दर्भित किया जायेगा और प्रत्येक शोध प्रतिभागी को इस सन्दर्भ में उचित सुरक्षा का अधिकार है।
- ऐसे प्रतिभागी को शामिल करने वाले किसी भी शोध में भारतीय चिकित्सा अनुसन्धान परिषद द्वारा निर्धारित मानव प्रतिभागियों को शामिल करने वाले बायोमेडिकल और स्वाथ्य अनुसन्धान के लिए राष्ट्रीय नैतिक दिशा निर्देश 2017 का पालन किया जाना चाहिए और इसे नैतिकता समिति की पूर्व स्वीकृति के साथ किया जाना चाहिए।
- शोध प्रतिभागियों की दस्तावेज़ी सूचित सहमति ली जानी चाहिए। कमजोर आबादी से जुड़े स्झोड़ में अतिरिक्त सुरक्षा उपाय किये जाने चाहिए।
- व्यक्तियों और समुदायों के सम्म्मान के अधिकार, निजता और गोपनीयता के अधिकार की रक्षा की जानी चाहिए।
- शोध प्रतिभागी जो अपनी भागीदारी के परिणामस्वरूप किसी भी प्रत्यक्ष शारीरिक , मनोवैज्ञानिक ,समाजिक,कानूनी या आर्थिक नुकसान से पीड़ित है तो उन्हें उचित मूल्य के बाद किसी भी अस्थायी या स्थायी हानि या विकलांगता के लिए सामान रूप से क्षतिपूर्ति करने के लिए वित्तीय या अन्य सहायता का हक़दार माना जायेगा।
- अनुसन्धान से होने वाले लाभों को जब भी प्रासंगिक हो व्यक्तियों , समुदायों और आबादी के लिए सुलभ बनाया जाना चाहिए।
17.दरों के पारदर्शिता तथा जहाँ भी प्रासंगिक हो निर्धारित दरों का अनुसार देखभाल का अधिकार।
- प्रत्येक मरीज और उसकी देखभालकर्ता को चिकित्सालय द्वारा प्रदान की जा रही प्रत्येक सेवा और उपलब्ध सुविधाओं के लिए ली जाने वाली दरों की जनकारी एक प्रमुख डिस्प्ले बोर्ड और ब्रोशर पर प्राप्त करने का अधिकार है।
- मरीज और उसकी देखभालकर्ता को भुगतान के समय एक विस्तृत बिल प्राप्त करने का अधिकार है।
- चिकित्सालय / क्लीनिकल प्रतिष्ठान का कर्तव्य होगा की वे स्थानीय और अंग्रेजी भाषा में प्रमुख दरों को एक प्रमुख स्थान पर प्रदर्शित करें और सभी रोगियों/देखभालकर्ता को एक पुस्तिका के रूप में दरों की विस्तृत अनुसूची उपलब्ध कराएं।
- प्रत्येक मरीज को भारत के फार्माकोपिया के अनुसार आवश्यक दवाइयां, उपकरण और प्रत्यारोपण राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (एनपीपीए ) और अन्य सम्बंधित प्राधिकरणों द्वारा निर्धारित दरों पर प्राप्त करने का अधिकार है।
- प्रत्येक मरीज को समय समय पर केंद्र सरकार और राज्य सरकार द्वार निर्धारित प्रक्रियाओं और सेवाओं के लिए दरों की सीमा के भीतर स्वास्थ्य देखभाल सेवाएँ प्राप्त करने का अधिकार है,जहाँ भी प्रासंगिक हो।
- किसी भी रोगी को रोगियों के विकल्प के अधिकार की सामर्थ्य के आधार पर दवाओं , उपकरणों और मानक उपचार दिशानिर्देश के मामले में विकल्प से वंचित नहीं किया जा सकता है।
- प्रत्येक चिकित्सालय और क्लीनिकल प्रतिष्ठानों का यह कर्तव्य है कि वह यह सुनिचित करें कि भारत सरकार और विश्व स्वास्थ संगठन के अनुसार NLEM के तहत आवश्यक दवाइयाँ , उपकरण, परतयरोपण और सेवाएँ मरीजों को ऐसी दरों पर उपलब्ध कराई जाएँ जो निर्धारित दरों या पैकेजिंग पर अंकित अधिकतम खुदरा मूल्य से अधिक न हो।
रोगी और तीमारदारों की जिम्मेदारियाँ।
रोगियों को अपने अधिकार का पूर्ण उपयोग करने के साथ -साथ उनके साथ रहने वाले उनकी देखरेख करने वाले तीमारदारों को अपनी जिम्मेदारियों का पालन करना चाहिए ताकि चिकित्सालयों में डॉक्टर और स्टाफ अपना कार्य को उचित रूप से और संतोषजनक तरीके से कर सकें।
- डॉक्टर द्वारा मरीज से उसके स्वास्थ्य सम्बन्धी पूछे गए सभी सवालों को बिना किसी प्रासंगिक जानकारी के छिपाये सभी आवश्यक जानकरी देनी चाहिए ताकि मरीज के रोग का निदान और उपचार करने में आसानी हो।
- मरीजों को चिकित्सालय में भर्ती होने के समय सभी निर्देशों का पालन करना चाहिए , चिकित्सा परिसर के कर्मचारियों और साथी मरीजों सहयोग करना चाहिए ताकि चिकित्सालय में भर्ती अन्य मरीजों को परेशानी न हो और चिकित्सालय में साफ सफाई का विशेष ध्यान देना चाहिए।
- मरीजों को जाँच उपचार और निदान परिक्षण के दौरान डॉक्टर का सहयोग करना चाहिए और उपचार से सम्बंधित लिए जाने वाले निर्णय में भाग लेने के अपने अधिकार को ध्यान में रखते हुए डॉक्टर की सलाह का पालन करना चाहिए।
- चिकित्सालय में भर्ती मरीजों व् उनके तीमारदारों को चिकित्सालय परिसर में डॉक्टर व् कर्मचारियों की मानवीय गरिमा और पेशेवर के रूप में गरिमा का सम्मान करना चाहिए।
- चिकित्सालय में शिकायत चाहे जैसी उत्त्पन हो मरीज की देख रेख करने वाले तीमारदारों को किसी भी प्रकार की हिंसा करने से अपने को रोकना चाहिए और चिकित्सालय या सेवा प्रदाता की किसी भी संपत्ति को नुकसान न पहुँचाये या नष्ट न करें।
- मरीजों को उपचार विकल्पों के सम्बन्ध में किये गए विकल्पों के आधार पर अपने कार्यों की जिम्मेदारी लेनी चाहिए।
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