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घरौनी क्या है ? घरौनी से नागरिकों को होने वाले लाभ क्या है ?

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नमस्कार मित्रों,

आज के इस लेख में हम जानेंगे कि " घरौनी क्या होती है ? " हम आप सभी ग्रामीण इलाके से सम्बन्ध रखते है , क्योकि गांव से निकल के ही शहर को आते है। भले ही गांव से शहर को आ जाये किंतु गांव में हमारी पुश्तैनी संपत्ति अभी भी है जो हमे हमारे पिता से , पिता को उनके पिता से ऐसे ही वंशानुक्रम मिलती चली आ रही है। स्वामित्व योजना से पहले ग्रामीण क्षेत्र में आबादी क्षेत्र में बने मकान और भूमि का रिकॉर्ड नहीं था। अब स्वामित्व योजना के तहत भवन  स्वामी और आबादी के भूमि स्वामी को मालिकानां हक़ मिलेगा। संपत्ति पर कानूनन हक़ रखने वाला एक संपत्ति का प्रमाण पत्र मिलेगा। 

इसको विस्तार से जाने क्या है ?  


घरौनी क्या है ? घरौनी से नागरिकों को होने वाले लाभ क्या है ?



घरौनी क्या है ?

घरौनी जैसे कि इसके नाम से ही ज्ञात हो रहा है कि इसका सम्बन्ध घर से है। स्वामित्व योजना के अंतर्गत देश के प्रत्येक राज्य के प्रत्येक जिले में प्रत्येक ग्रामीण के आबादी क्षेत्र में स्थापित मकान , भूमि  के विवरण से सम्बंधित तैयार किया गया दस्तावेज घरौनी कहाँ जायेगा।इस घरौनी को ग्रामीण आवासीय अभिलेख कहते है।  इस घरौनी दस्तावेज में माकन से सम्बंधित सभी विवरण का उल्लेख होता है , जो कि उस मकान के स्वामित्व के प्रमाण का साक्ष्य प्रकट करता है।  


घरौनी को सरल शब्दों में समझे >

कृषिक भूमि से सम्बंधित विवरण प्रकट करने वाली खतौनी। जो कि कृषिक भूमि के भूमिधर , भूमिधरों के नाम का उल्लेख होता है।  खसरा , खतौनी नंबर व् भूमि क्षेत्रफल का विवरण का उल्लेख होता है। यदि किसी ने उक्त भूमि में किसी प्रकार का ऋण लिया हो तो उसका भी विवरण दर्ज होता है।  कृषिक भूमि की खतौनी वैसे ही आबादी में बने मकान व् भूमि की घरौनी है।  जो आबादी क्षेत्र के मकान व् आबादी क्षेत्र की भूमि से सम्बंधित विवरण का दस्तावेज।  

घरौनी में  किन -किन चीजों के विवरणों का उल्लेख होगा ? घरौनी का फॉर्मेट। 

स्वामित्व योजना के अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्रों की आबादी के मकानों व् भूमि से सम्बंधित तैयार दस्तावेज जो कि घरौनी प्रमाण पत्र  है जिसमें निम्न विवरण का उल्लेख मिलेगा ;-
  1. जिला, तहसील, ब्लॉक, ग्राम पंचायत, थाना, ग्राम कोड, सर्वेक्षण वर्ष, अभिलेख संख्या। 
  2. आबादी गाटा संख्या। 
  3. भू खंड संख्या। 
  4. श्रेणी। (निजी / व्यक्तिगत /पारिवारिक भवन एवं भोमियां )
  5. उप श्रेणी। (पक्का मकान )
  6. आयाम वर्गमीटर में। 
  7. भूखंड का क्षेत्रफल वर्गमीटर में। 
  8. भुजाओं की संख्या। 
  9. भुजाओं की लंबाई।  
  10. नजरी नक्शा। 
  11. पूर्व चौहद्दी। 
  12. पश्चिम चौहद्दी। 
  13. उत्तर चौहद्दी। 
  14. दक्षिण चौहद्दी। 
  15. भू- स्वामियों के नाम। 
  16. संयुक्त परिवार की दशा में सभी भाइयो (हिस्सेदारों ) के नाम और हिस्सा।  
  17. भू-स्वामी का पता। 
  18. भू-स्वामी का हिस्सा। 
  19. ग्राम पंचायत प्रस्ताव संख्या एवं तिथि। 
  20. सहायक लेख अधिकारी। 
  21. मुद्रित तिथि। 
  22. मुद्रित आईडी। 
  23. सेवा प्रभार।
  24. क्यू आर कोड। 
  25. डिजिटल हस्ताक्षर।  
  26. 13 अंकों का एक विशिष्ट पहचान अंक। अगले पांच अंक ग्रामीण क्षेत्र के आबादी के मकान व् भूमि नंबर को दर्शाएंगे और अखिरीके दो अंक उसके संभावित विभाजन को दर्शाएंगे। 
घरौनी कैसे तैयार की जाती है ? 

स्वामित्व योजना के अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्र की आबादी वाले क्षेत्र में बने आवासीय मकान व् भूमि की घरौनी तैयार करने के लिए पंचायती राज मंत्रालय भारत सरकार , राज्य के राजस्व विभाग और भारतीय सर्वेक्षण विभाग के सहयोग से ड्रोन सर्वेक्षण तकनीक का उपयोग करते हुए , ग्रामीण आबादी के आवसीय अधिकार तैयार करना है। 

घरौनी बनने में ये प्रक्रिया अपनाई जाती है :-
  1.  ग्रामीण क्षेत्रों की आवासीय भूमि की पैमाइश ड्रोन तकनीक के द्वारा की जाएगी जिससे उक्त भूमि का सर्वेक्षण और मापन का कार्य पूर्ण होगा। 
  2. भारतीय सर्वेक्षण विभाग द्वारा ड्रोन के माध्यम से ग्राम की सीमा के भीतर आने वाली प्रत्येक संपत्ति का डिजिटल रूप से नक्शा बनाया जायेगा तथा प्रत्येक राजस्व खण्ड की सीमाओं का निर्धारण किया जायेगा। 
  3. राजस्व विभाग द्वारा सटीक मापन के आधार पर गांव के प्रत्येक घर का संपत्ति कार्ड बनाया जायेगा।  
घरौनी से नागरिकों को होने वाले लाभ क्या है ? 
  1. ग्रामीण क्षेत्र के आबादी वाले हिस्से में रहने वाली नागरिकों को उनके आवास का या आबादी भूमि का मालिकाना हक़ प्राप्त होगा। 
  2. संपत्ति के स्पष्ट आंकलन एवं स्वामित्व का निर्धारण होने से उनके मूल्य में वृद्धि होगी। 
  3. ऋण और अन्य वित्तीय लाभ प्राप्त करने के लिए अपनी संपत्ति को एक वित्तीय परिसंपत्ति के रूप में प्रयोग करने में सक्षम बनाते हुए ये अधिकार प्रदान करना। 
  4. ग्रामीण नियोजन हेतु सटीक भूमि अभिलेखों और जीआईएस नक्शों का निर्माण। 
  5. संपत्ति से सम्बंधित उत्त्पन्न होने वाले विवादों को कम करना। 
  6. संपत्ति कर का निर्धारण। 



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