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किन संपत्ति के अंतरण पर उसका लिखित और पंजीकृत होना आवश्यक है ? transfer of property

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नमस्कार मित्रों,

आज के इस लेख में हम जानेंगे कि किन संपत्ति के अंतरण पर उसका लिखित और पंजीकृत होना आवश्यक है ? संपत्ति अंतरण यानी ऐसा कार्य जिसके द्वारा कोई जीवित व्यक्ति  अधिक जीवित व्यक्ति को  स्वयं को अथवा स्वयं और एक या अधिक अन्य जीवित व्यक्ति को वर्तमान भविष्य में संपत्ति हस्तांतरित करता है। 
transfer of property must be written and registered किन संपत्ति के अंतरण पर उसका लिखित और पंजीकृत होना आवश्यक है ?




 किन संपत्ति के अंतरण का लिखित और पंजीकृत होना आवश्यक है ?

संपत्ति अंतरण अधिनियम 1872 की धारा 9 के अनुसार मौखिक अंतरण  प्रावधान करती हिअ , उस हर एक दशा में , जिसमे विधि द्वारा कोई लेख अभिव्यकक्त अपेक्षित नहीं है , संपत्ति का अंतरण मौखिक किया जा सकेगा। 

धारा 9 संपत्ति अंतरण के ढंग को बताती है , इस के धारा के अनुसार सम्पति का अंतरण  के दो प्रकार है :-
  1. कब्जे का परिदान द्वारा अंतरण । 
  2. पंजीकृत द्वारा अनंतरण। 
जहाँ सम्पति का पंजीकरण आवश्यक है , वहां संपत्ति अंतरण लेखबद्ध यानी लिखित होना चाहिए। 

 ये वे सम्पति है जिनका अंतरण लिखित रूप में उचित रूप में पंजीकृत होना चाहिए। 
  1. धारा 54 के अधीन 100 रूपये से अधिक मूल्य की अचल संपत्ति का विक्रय होने पर। 
  2. धारा  54 के अधीन प्रत्यावर्तन का विक्रय अथवा अन्य अमूर्त संपत्ति का विक्रय , बिना उसके मूल्य पर ध्यान दिए हुए। 
  3. धारा 59 के अधीन सादा बंधक , प्रतिभूत धनराशि पर ध्यान दिए बिना। 
  4. धारा 59 के अधीन अन्य प्रकार के बंधक जहाँ प्रतिभूति धनराशि 100 रुपए से अधिक है। 
  5. धारा 107 के अधीन 100 रूपये अधिक मूल्य की संपत्ति का विनियम। 
  6. धारा 123 के अधीन अचल संपत्ति का दान। 
  7. धारा 130 के अधीन अनुयोज्य दावों के अंतरण पर। 

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