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NPA क्या होता है ?- नॉन पैरफोर्मिंग असेट

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नमस्कार मित्रों ,

आज के इस लेख में हम जानेंगे कि " बैंक लोन में NPA - नॉन पैरफोर्मिंग असेट क्या होता है ? इसका लोन लेने वाले पर क्या प्रभाव पड़ता है ? " 

हम आप सभी के जीवन में ऐसी परिस्थिति आ जाती है कि हमे बैंक या किसी अन्य वित्तय संस्था से लोन लेना पड़ता है। इस लोन के लिए लोन देने वाले संस्था  कुछ औपचरितकाएँ होती है , उन्हें पूरी करनी होती है , लोन के एवज में मूलयवान संपत्ति को प्रतिभूति के रुप में गिरवी रखनी पढ़ती है।  जितना लोन का अमाउंट  होता है , ब्याज  की दर से तय हुई मास्क किश्तों को तय हुई तारीख में जमा करना होता है। यदि तय की गयी तारीख में किश्तों का भुगतान नहीं होता तो बैंक लोन को NPA घोषित कर देती है। 

NPA को लेकर आपके मन में कई सवाल उठ रहें होंगे जैसे कि :-
  1. NPA क्या होता है ?
  2. बैंक लोन NPA घोषित होने पर क्या होता है ?
  3. बैंक NPA की वसूली कैसे करती है ?
इन सभी को विस्तार से जाने। 

what is npa - non performing assets



 1. NPA क्या होता है ?

NPA जिसका संबंध लोन से है , ये लोन बैंक या किसी अन्य वित्तीय संस्था से है। NPA का फुल फॉर्म है - नॉन परफार्मिंग एसेट्स ( non performing assets ), हिंदी में अर्थ है गैर निष्पादित परिसंपत्तियां। ऐसा एसेट्स जो परफॉर्म नहीं हो रहा है , यानी बैंक या वित्तीय संस्था से लिए गए लोन की तय मासिक किश्त ब्याज सहित मूलधन देय है , 3 मासिक किश्तों यानी 90 दिनों तक या उससे अधिक अवधि तक तय किश्तों के भुगतान न होने पर बैंक ऐसे लोन को स्पेशल मेंशन अकाउंट में ट्रांसफर कर NPA यानी नॉन परफार्मिंग एसेट्स घोषित कर देती है। 

भारतीय रिज़र्व बैंक की दिशा निर्देशानुसार यदि तय अवधि लोन के सम्बन्ध में मूलधन / ब्याज की किश्तों में तय किश्तों  के भुगतान में 90 दिनों  से या इससे अधिक की देरी होती है , बैंक ऐसे लोन को NPA घोषित कर सकेगी। 

  उदहारण :-

ऑटोरिक्शा लेने के लिए बैंक से एक अमुक राशि में लोन लिया गया और उक्त लोन की धनराशि के सम्बन्ध में लोजन के भुगतान की एक निर्धारित तिथि तय हुई। उक्त तिथि तक निर्धारित मूलधन की आदायगी हेतु निर्धारित किश्त ब्याज सहित महीने की तय तिथि तक भुगतान करते रहना होगा , जब तक लोन की धनराशि का पूर्णरूपेण भुगतान नहीं हो जाता है। 

यदि किसी कारणवश लगातार 3 महीने यानी 90 दिनों तक या इससे अधिक की अवधि तक किश्तों का भुगतान नहीं किया जाता है , तो बैंक ऐसे लोन खाते को NPA लोन की श्रेणी में दर्ज करेगा। 


NPA की कितनी श्रेणी है ?

भारतीय रिज़र्व बैंक के अनुसार NPA को 3 श्रेणी में विभाजित किया गया है। 

1. सबस्टैंडर्ड एसेट्स :- जब कोई लोन खाता एक वर्ष की अवधि तक या 1 वर्ष की काम अवधि तक नॉन परफार्मिंग एसेट्स की श्रेणी में रहता है ,तो ऐसे लोन को सबस्टैंडर्ड एसेट्स घोषित कर देते है 

2. डाउटफुल एसेट्स :- जब कोई लोन खाता 1 वर्ष अवधि तक या 1 वर्ष की कम अवधि तक सबस्टैंडर्ड एसेट्स की श्रेणी में रहता है , तो ऐसे लोन खाते को डाउटफुल एसेट्स घोषित कर दिया जाता है। 

3. लॉस एसेट्स :- लोन की वसूली न होने पर ऐसे लोन खाते को लॉस एसेट्स घोसित कर दिया जाता है। भारतीय रिज़र्व बैंक के द्वारा किये गए निरीक्षण के अनुसार  बैंक या वित्तीय संस्था को हुए नुकसान के रूप में नॉन परफार्मिंग एसेट्स को लोस्स एसेट्स के रूप में चिन्हित किया जाता है।  

2. बैंक लोन NPA घोषित होने के बाद क्या है ? 

जब लोन की किश्तों क लगातार 3 माह तक या अधिक अवधि  तक भुगतान नहीं किया जाता है , तो बैंक लोन को  NPA घोषित कर देती है।  लोन को NPA घोषित करने के बाद बैंक ऐसे लोन की वसूली के लिए नोटिस भेजती है। 

3. बैंक लोन की वसूली कैसे करते है ? 

बैंक लोन की वसूली के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक के नियमानुसार कार्यवाही करते है। 
  1. लोन वसूली के नोटिस। 
  2. लोक अदालत। 
  3. DRT - debt recovery tribunal - ऋण वसूली प्राधिकरण। 
  4. सरफेसी अधिनियम । 
  5. दिवालिया और दीवालियांपन संहिता 2016 । 


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