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मेट्रो रेलवे से सम्बंधित अपराध व् इन अपराधों के लिए दी जानी वाली सजा

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नमस्कार मित्रों,
आज के इस लेख में आप अभी को "मेट्रो रेलवे से सम्बंधित अपराधों व् इन अपराधों के लिए दी जानी वाली सजा" के बारे में बताने जा रहा हु। 

मेट्रो रेलवे का इतिहास देखा जाये तो देश में सर्प्रथम मेट्रो का संचालन कोलकाता शहर से प्रारम्भ हुआ जिसका उद्घाटन पूर्व प्रधान मंत्री माननीय श्री इंदिरा गाँधी जी के द्वारा किया गया अब यह मेट्रो देश के कई शहरों में दौड़ रही है और लोगो के जीवन में अहम भूमिका निभा रही है। जैसे -जैसे मेट्रो रेल का विस्तार बढ़ता गया वैसे-वैसे इससे सम्बंधित अपराधों की संख्या भी बढ़ने लगी। अब मेट्रो रेलवे से सम्बंधित होने वाले अपराधों पर लगाम लगाने के लिए सरकार द्वारा " मेट्रो रेलवे (संचालन और रखरखाव ) अधिनियम 2002 " पारित किया गया। इस अधिनियम में मेट्रो रेलवे से सम्बंधित कई प्रावधान किये। उन्ही में से एक " मेट्रो रेलवे से सम्बंधित अपराधों पर नियंत्रण व् अपराधियों को दण्डित किये जाने का प्रावधान किया गया है। 

तो चलिए अब विस्तार से जाने क्या है मेट्रो से सम्बंधित अपराधों के दंड।

some important section and offence related to metro railway operation and maintenance act 2002 मेट्रो रेलवे से सम्बंधित अपराध व् इन अपराधों के लिए दी जानी वाली सजा क्या है ?

मेट्रो रेलवे से सम्बंधित अपराध व् इन अपराधों के लिए दी जानी वाली सजा क्या है ?

मेट्रो रेलवे (संचालन और रखरखाव ) अधिनियम 2002 के अध्याय 11 में मेट्रो रेलवे से सम्बंधित अपराधों और सजा का प्रावधान किया गया है। अधिनियम की धारा 59 से लेकर धारा 81 तक अपराध व् सजा के बारे में उपबंधित है। 

1. मेट्रो रेलवे (संचालन और रखरखाव ) अधिनयम 2002 की धारा 59 - मेट्रो रेलवे पर नशा या उपद्रव के लिए सजा। 
  1. यदि कोई भी व्यक्ति मेट्रो या मेट्रो गाडी के किसी भी हिस्से में नशा करते हुए या नशे की स्थिति में पाया जाता है या मेट्रो में किसी भी प्रकार की अशांति या उपद्रव बर्बरता या अभद्रता का कार्य करता है या अपमानजनक या अश्लील भाषा का प्रयोग करता है या जानबूझकर या किसी यात्री के साथ उसकी आराम दायक यात्रा में किसी तरह से हस्तक्षेप करता है, तो ऐसा करने वाले व्यक्ति को 500 रु -/ के जुर्माने के साथ दण्डित किया जायेगा और साथ उसके द्वारा खरीदे गए टिकट व् पास का किराया जब्त कर लिया जायेगा। मेट्रो रेलवे के अधिकृत कर्मचारियों द्वारा उस व्यक्ति को मेट्रो या मेट्रो किसी भी हिस्से से बहार निकाल दिया जायेगा।
  2. यदि कोई अधिकारी अपनी ड्यूटी के दौरान नशे की स्थिति में पाया जाता है, तो ऐसे अधिकारी को 250 रु / के जुर्माने के साथ दण्डित।
  3. जहाँ मेट्रो अधिकारी अपनी ड्यूटी का पालन पूर्ण रूप से करने में असफल रहता है उसके इस असफलता के कारण मेट्रो रेलवे या किसी यात्री का जीवन खतरे में पड़ता है तो ऐसे अधिकारी द्वारा ड्यूटी का पूर्ण रूप से पालन न करने पर 2 साल तक की कारावास की सजा और 500 रु / जुर्माने या दोनों के साथ दण्डित किया जा सकता है। 
2. मेट्रो रेलवे (संचालन और रखरखाव ) अधिनियम 2002 की धारा 60 - मेट्रो रेलवे पर आपत्तिजनक सामग्री ले जाने के लिए सजा।
  1. यदि अधिनयम धारा 30 उपधारा I के उल्लंघन करने पर जो कि यदि कोई भी व्यक्ति मेट्रो रेलवे में अपने साथ आपत्तिजनक सामग्री लेके आता है, तो ऐसा करने वाले व्यक्ति को 500 रु-/ जुर्माने के साथ दण्डित किया जायेगा। 
  2. दंड के अतिरिक्त,जो कोई व्यक्ति मेट्रो रेलवे में या किसी स्थान पर आपत्तिजनक सामग्री साथ ले के आता है, उस आपत्तिजनक सामग्री के परिणामस्वरूप होने वाली हानि, क्षति, दुर्घटना आदि का जिम्मेदार वह व्यक्ति होगा जिसके द्वारा यह आपत्तिजनक सामग्री साथ लाइ गयी थी। 
3. मेट्रो रेलवे (संचालन और रखरखाव ) अधिनियम 2002 की धारा 61 - मेट्रो रेलवे में खतरनाक सामग्री साथ ले जाने पर सजा। 
  1. यदि किसी भी व्यक्ति के द्वारा अधिनियम की धारा 30 की उपधारा I का उल्लंघन किया जाता है, जो की मेट्रो रेलवे में या मेट्रो के किसी भी हिस्से में किसी भी व्यक्ति द्वारा खतरनाक सामग्री लाई जाती है, तो ऐसा करने वाले व्यक्ति को 4 साल तक कारावास की सजा और 5000 रु -/ के जुर्माने के साथ दण्डित किया जायेगा। 
  2. दंड के अतिरिक्त ,जो कोई भी व्यक्ति मेट्रो रेलवे में खतरनाक सामग्री साथ लेकर आता है उस खतरनाक सामग्री के परिणामस्वरूप होने वाली हानि, क्षति, दुर्घटना का जिम्मेदार वही व्यक्ति होगा जिसके द्वारा यह खतरनाक सामग्री साथ लाइ गयी थी। 
4. मेट्रो रेलवे (संचालन और रखरखाव ) अधिनियम 2002 की धारा 62 - मेट्रो रेलवे पर प्रदर्शन करने पर प्रतिबन्ध। 
  1. मेट्रो रेलवे के परिसर में या परिसर के किसी भी अन्य हिस्से में किसी भी प्रकार का कोई भी प्रदर्शन नहीं किया जायेगा। मेट्रो रेलवे प्रशासन को यह छूट रहेगी कि ऐसे प्रदर्शन में भाग लेने वाले किसी भी व्यक्ति को मेट्रो परिसर से बहार निकाल सकता है चाहे उसके पास टिकट ही क्यों न हो जो उसको उस परिसर में रहने का अधिकार देता है। 
  2. मेट्रो रेलवे में विधिक अधिकारिता के बिना किसी भी व्यक्ति द्वारा मेट्रो परिसर में न तो पोस्टर लगाया जायेगा न ही चिपकाया जायेगा और न ही कोई चित्र बनाया जायेगा और न ही कुछ ऐसा लिखा जायेगा जो आकर्षित करता हो, ऐसा कोई भी कार्य करता हुआ कोई भी व्यक्ति पाया जाता है तो उस कार्य को मेट्रो परिसर, गाड़ी या डिब्बे से मेट्रो द्वारा अधिकृत अधिकारी द्वारा हटा दिया जायेगा। 
  3. मेट्रो रेलवे परिसर में प्रदर्शन या मेट्रो के डिब्बे में कोई पोस्टर चिपकाया जाता है, चित्र बनाया जाता है या लिखावट की जाती है और ऐसा करने से मेट्रो रेलवे अधिकारी द्वारा रोका जाता है, परिसर से बाहर निकलने को कहा जाता है या डिब्बे से बाहर निकलने को कहा जाता है, उनके ऐसे आदेश का पालन न करने पर 6 महीने तक कारावास की सजा और 1000 रु-/ जुर्माने के साथ या दोनों से दण्डित किया जा सकता है। 
5. मेट्रो रेलवे (संचालन और रखरखाव ) अधिनियम 2002 धारा 63 -मेट्रो रेल गाड़ी की छत पर या अन्य अनधिकृत जगह पर घूमने के लिए सजा। 

यदि कोई भी यात्री मेट्रो रेल गाड़ी की छत पर या मेट्रो रेल के किसी भी हिस्से में घूमता है जहाँ यात्रियों के आने - जाने पर प्रतिबन्ध है या अपने शरीर के किसी भी हिस्से को मेट्रो गाडी से बाहर निकालता है ऐसा न करने की चेतावनी किसी भी मेट्रो अधिकारी द्वारा दी जाती है फिर भी वह व्यक्ति नहीं मानता तो ऐसा करने वाले व्यक्ति को 1 महीने तक की कारावास की सजा और 50 रु -/ जुर्माने के साथ या दोनों से दण्डित किया जायेगा और मेट्रो अधिकारी द्वारा उस व्यक्ति को मेट्रो गाड़ी से बाहर निकाल दिया जायेगा। 

6. मेट्रो रेलवे (संचालन और रखरखाव ) अधिनियम 2002 धारा 64 विधिविरुद्ध प्रवेश या मेट्रो रेलवे में बने रहने या मेट्रो रेलवे ट्रैक पर चलने के लिए सजा।
  1. यदि कोई भी व्यक्ति मेट्रो रेलवे पर या परिसर के किसी भी स्थान में विधिक अधिकारिता के बिना प्रवेश करता है या विधिक अधिकारिता के साथ प्रवेश भी करता है तो भी विधिविरुद्ध वहाँ बना रहता है और मेट्रो अधिकारी के निवेदन करने पर भी वह व्यक्ति स्थान को छोड़ने से मना कर देता है तो ऐसा करने वाले व्यक्ति को 3 महीने तक की कारावास की सजा या 250 रु -/ जुर्माने के साथ या दोनों से दण्डित किया जा सकता है। 
  2. यदि कोई भी व्यक्ति विधिक अधिकार के बिना मेट्रो रेलवे ट्रैक पर चलता है तो ऐसा करने वाले व्यक्ति को 6 महीने तक की कारावास की सजा या 500 रु -/ जुर्माने के साथ या दोनों से दण्डित किया जा सकता है। 
7. मेट्रो रेलवे (संचालन और रखरखाव ) अधिनियम 2002 की धारा 65 मेट्रो रेलवे अधिकारी द्वारा यात्रियों की सुरक्षा को खतरे में डालने के लिए सजा। 

यदि कोई भी मेट्रो रेलवे अधिकारी ड्यूटी के दौरान किसी भी यात्रियों की सुरक्षा को खतरे में डालता है जैसे कि :-
  1. मेट्रो ररेलवे अधिकारी द्वारा जल्दबाजी या लापरवाही पूर्ण कार्य या चूक होती है,
  2. किसी नियम या आदेश का अनुपालन न करना जो उसके द्वारा पालन करना बाध्य था और जिस पर उसका ध्यान था ऐसा करने वाले अधिकारी को 5 साल तक कारावास की सजा या 6000 रु -/ के जुर्माने केसाथ या दोनों से दण्डित किया जा सकता है। 
8. मेट्रो रेलवे (संचालन और रखरखाव ) अधिनियम 2002 की धारा 66 अनधिकृत तरीके से मेट्रो रेल आदि का त्याग करने के लिए यानी छोड़ कर चले जाने के लिए सजा।  

कोई भी मेट्रो अधिकारी जब अपनी ड्यूटी पर होता है तो उसको रेल गाड़ी के संचालन से जुडी जिम्मेदारी सौंपी जाती है कि वह उस चलाने वाली रेल गाड़ी को एक स्टेशन से दूसरे स्टेशन तक अपनी पूरी जिम्मेदारी के साथ पहुँचायेगा, यदि रेल गाडी चलाने वाले अधिकारी द्वारा सौपे गए स्टेशन में पहुंचने से पहले ही बिना किसी अधिकारिता के या पूर्ण रूप से स्टेशन तक पहुँचाये बिना या रेल स्टॉक को किसी अन्य मेट्रो अधिकारी को सौपे बिना उस गाड़ी को छोड़ देता है तो ऐसा करने वाले अधिकारी को 4 साल तक कारावास की सजा या 5000 -/ जुर्माने के साथ या दोनों से दण्डित किया जा सकता है।

9. मेट्रो रेलवे (संचालन और रखरखाव ) अधिनियम 2002 की धारा 67 -चलती हुई ट्रेन में बाधा पहुँचाने के   लिए सजा। 

यदि किसी भी व्यक्ति द्वारा चलती मेट्रो ट्रेन या ट्रेन के इंजन व् डिब्बे को बाधित करने या बाधित करने की कोशिश करने के लिए रेल की पटरी पर बैठा जाता है या पिकेटिंग की जाती है या बिना अधिकार के रेल पर कोई स्टॉक रखा जाता है या रेल सिग्नल के साथ छेड़खाड़ की जाती है  या रेलवे कर्मचरियों/ कार्य प्रणाली के साथ हस्तक्षेप की जाती है या अन्य किसी तरीके से बाधा पहुचायी जाती है तो ऐसा करने वाले व्यक्ति को मेट्रो रेलवे प्रशासन द्वारा प्राधिकृत किये गए किसी भी मेट्रो अधिकारी द्वारा हटाया जा सकता है और बाधा पहुंचाने वाले व्यक्ति को 4 साल तक कारावास की सजा या 5000 रु-/ जुर्माने के साथ या दोनों से दण्डित किया जा सकता है। 

10. मेट्रो रेलवे (संचालन और रखरखाव ) अधिनियम 2002 की धारा 68 -मेट्रो रेलवे अधिकारी के कर्तव्यों में बाधा डालने के लिए सजा । 

यदि कोई भी व्यक्ति जानबूझकर रेलवे अधिकारी को उसके कर्तव्यों को करने में बाधा डालता है या रेलवे अधिकारी द्वारा अपने कर्तव्यों के पालन से रोकता है तो करने वाले व्यक्ति को 1 साल तक कारावास तक की सजा और 1000 रु -/ जुर्माने के साथ या दोनों से दण्डित किया जायेगा। 

11. मेट्रो रेलवे (संचालन और रखरखाव ) अधिनियम 2002 की धारा 69 उचित पास या टिकट के बिना यात्रा करने या नियत दूरी से आगे यात्रा करने के लिए सजा।
  1. उपधारा 1 के तहत यदि कोई भी व्यक्ति बिना उचित पास या टिकट के यात्रा करता है या,
  2. उपधारा 1 के तहत धारा 24 के तहत टिकट जांचने के लिए अधिकृत मेट्रो अधिकारी द्वारा यदि किसी भी यात्री से गाड़ी में चढ़ने और उतरने के दौरान पास या टिकट दिखाने की मांग करने पर वह पास या टिकट दिखाने में असफल रहता है या दिखाने से मना कर देता है या धारा 25 का उल्लंघन कर जिसके तहत पास या टिकट देने से मना कर देता है, तो ऐसा करने वाले यात्री को मेट्रो प्रशासन द्वारा नियुक्त किये गए अधिकारी की मांग पर पास या टिकट का शुल्क का भुगतान करना होगा और उपधारा 3 के तहत उसके द्वारा तय की गयी दूरी का एकल किराय के साथ 50 रु -/ अतिरिक्त शुल्क भी का भुगतान भी उसको  करना होगा। यदि यह संदेह है कि वह किस स्टेशन से बैठा है तो ऐसे में जिस स्टेशन से गाडी चली थी उस स्टेशन से एकल साधरण किराये का भुगतान करना होगा। 
  3. उपधारा 2 के तहत यदि कोई यात्री सवारी डिब्बे में अपने पास या टिकट द्वारा प्राधिकृत स्थान से आगे का सफर तय करता है या सफर तय करने की कोशिश करता है तो ऐसे में मेट्रो प्रशासन द्वारा अधिकृत किये गए किसी अधिकारी द्वारा भगुतान मांगे जाने पर उसके द्वारा की गयी यात्रा के सम्बन्ध में भुगतान किये गए किराये के बीच के अंतर् और उपधारा 3 के तहत अतिरिक्त 50 रु -/ का भुगतान उस व्यक्ति को करना होगा। 
  4. उपधारा 3 में उस अतिरिक्त शुल्क के बारे में बताया गया है जो उपधारा 1 उपधारा 2 के उल्लंघन पर लिया जायेगा जो की 50 र-/ है। 
  5. उपधारा 4 के तहत टिकट जाँच अधिकारी द्वारा टिकट मांगे जाने पर न दिखाने या दिखाने से इंकार करने पर या प्राधिकृत दूरी से आगे सफर करता है तो उपधारा 3 के तहत अतिरिक्त 50 रु-/ शुल्क और तय की गयी दूरी से अंतर् के शुल्क मांगे जाने पर नहीं देता है या देने से इंकार करता है तो रेलवे प्रशासन द्वारा अधिकृत मेट्रो अधिकारी द्वारा ऐसी शुल्क की वसूली के लिए तुरंत किसी महानगर मजिस्ट्रेट या प्रथम या द्वितीय वर्ग के मजिस्ट्रेट से आवेदन कर सकेगा और यदि मजिस्ट्रेट को यह समाधान हो जाता है की ऐसी राशि का भगुतान किया जाना है तो वसूल किये जाने का आदेश दे सकता है यदि ऐसी जुर्माने की राशि देने में व्यक्ति असफल रहता है या इंकार करता है तो उस व्यक्ति को 1 महीने की कारावास की सजा से दण्डित किया जा सकता है। 
  6. उपधारा 4 के उल्लंघन पर वसूली गयी राशि को भारत के समेकित कोष में जमा की जाएगी। 
12. मेट्रो रेलवे (संचालन और रखरखाव ) अधिनियम 2002 की धारा 70- अनावश्यक रूप से ट्रेन में संचार के साधनों के साथ हस्तक्षेप करने के लिए सजा।  

यदि किसी यात्री या किसी व्यक्ति या किन्ही यात्रियों द्वारा अनावश्यक रूप से बिना किसी उचित कारण के रेलगाड़ी के भारसाधक (पायलट ) से संचार के लिए ट्रेन में व्यवस्थ्ति किन्ही सांधनो का उपयोग करता है या उनमे हस्तक्षेप करता है तो ऐसा करने वाले यात्री को 1 साल तक कारावास की सजा या 1000 रु -/ जुर्माने से या दोनों से दण्डित किया जायेगा।

लेकिन विशेष और पर्यात्प कारणों के न होने का उल्लेख न्यायालय के निर्णय में किया जायेगा, यदि कोई यात्री ट्रेन की खतरे की जंजीर का उपयोग युक्तियुक्त और पर्याप्त कारण के बिना करेगा जिसकी व्यवस्था रेल प्रशासन द्वारा की गयी है तो ऐसा करने वाले व्यक्ति को प्रथम बार दोषसिद्ध होने पर 500 रु -/ जुर्माने से दण्डित किया जायेगा व् द्वितीय या बार बार अपराध किये जाने की दोषसिद्धि की दशा में 3 महीने तक कारावास की सजा से दण्डित किया जायेगा।

13. मेट्रो रेलवे (संचालन और रखरखाव ) अधिनियम 2002 की धारा 71 - पास या टिकट के साथ फेरफार या कूट रचना करना या जालसाजी के लिए सजा। 

यदि कोई यात्री अपने पास या टिकट में जानभूझकर फेरफार करेगा या उसमे इस तरह से छेड़खाड़ करेगा कि उस पास या टिकट में लिखी वैधता तिथि या संख्या या कोई आवश्यक भाग पढ़ने योग्य नहीं रहता या जालसाजी करेगा या सुरक्षा कोड को तोड़ता है जिसके परिणामस्वरूप मेट्रो रेलवे को राजस्व नुकसान होता है तो ऐसा करने वाले व्यक्ति को 6 महीने तक कारावास की सजा से दण्डित किया जायेगा। 

14. मेट्रो रेलवे (संचालन और रखरखाव ) अधिनियम 2002 की धारा 72 - सार्वजानिक सूचना को बिगाड़ना, हटाना या फाड़ने के लिए सजा। 
  1. यदि कोई व्यक्ति विधिक अधिकार के बिना मेट्रो रेलवे प्रशासन के आदेश द्वारा मेट्रो ट्रेन या स्टॉक रेल पर लगाई गयी किसी सूचना, दस्तावेज या बोर्ड को जानबूझकर कर उतारता है, हानि पहुँचाता है या,
  2. मेट्रो ट्रेन या स्टॉक रोल में लगे किसी ऐसे किसी बोर्ड, दस्तावेज या चित्र, अक्षर आकृति को काटता  बिगाड़ता या हानि पहुँचाता है तो ऐसा करने वाले व्यक्ति को 2 महीने तक कारावास की सजा या 250 रु -/ जुर्माने से या  दोनों से दंडित किया जायेगा। 
15. मेट्रो रेलवे (संचालन और रखरखाव ) अधिनियम 2002 की धारा 73 - अनधिकृत व्यक्ति द्वारा मेट्रो रेलवे पर लेखो की बिक्री के लिए सजा। 

यदि कोई व्यक्ति किसी लेख को जो भी हो मेट्रो रेल के डिब्बे या मेट्रो रेलवे परिसर के किसी भी स्थान में बिक्री या उजागर करता है, जो कि ऐसा करने के लिए वह मेट्रो रेलवे प्रशासन द्वारा अधिकृत नहीं किया गया है तो ऐसा करने वाले व्यक्ति को 500 रु -/ जुर्माने से दण्डित किया जायेगा। यदि ऐसी जुर्माने की राशि के भुगतान में असफल रहता है तो 6 महीने तक की कारावास की सजा से दण्डित किया जायेगा।

लेकिन विशेष और पर्याप्त कारण न होने का उल्लेख न्यायालय के निर्णय में किया जायेगा, ऐसा जुर्माना 100 -/ रु से कम नहीं होगा।

16. मेट्रो रेलवे (संचालन और रखरखाव ) अधिनियम 2002 की धारा 74 - दुर्भावनापूर्ण रूप से ट्रेन को रोकने या तोड़फोड़ करने के लिए सजा।
  1. यदि कोई भी व्यक्ति मेट्रो रेलवे से सम्बंधित किसी चीज या किसी रेल या किसी अन्य चीज को ढीला करता है या उस उसकी जगह से उसको अलग हटा देता है या,
  2. किसी रेल के किन्ही पॉइंटो या अन्य मशीनरी को घुमाता है, चलाता है या खोलता है या उसकी दिशा बदलता है या,
  3. मेट्रो रेलवे के सम्बन्ध में जानभूझकर कोई भी तोड़फोड़ का कार्य करता है जिसको वह सम्भव जनता है कि उसके इस कार्य से मेट्रो रेलवे के किसी भी व्यक्ति की सुरक्षा संकटमय हो जाएगी। 
ऐसा करने वाले व्यक्ति को आजीवन कारावास की सजा से या 10 साल की कठोर कारावास की सजा से दण्डित  किया जाएगा। 

लेकिन विशेष और पर्याप्त कारणों के न होने पर कारणों का उल्लेख न्यायालय के निर्णय में लिखा जाएगा, वहाँ  उस व्यक्ति को कठोर कारावास की सजा से दण्डित किया जायेगा जो कि :-
  1. प्रथम अपराध की दोषसिद्ध में 3 साल तक कारावास की सजा,
  2. द्वितीय या बार बार अपराध की दोषसिद्धि में 7 साल तक कारावास की सजा से दण्डित किया जायेगा। 
2. यदि कोई भी व्यक्ति विधिविरुद्ध जानभूझकर कर ऐसा कोई भी संकटपूर्ण कार्य करता है जिससे वह यह जनता है कि किसी भी व्यक्ति की मृत्यु हो सकती है या किसी व्यक्ति को ऐसी शारीरिक क्षति हो सकती है जिसके परिणामस्वरूप उसकी मृत्यु होना सम्भव है तो ऐसा करने वाले व्यक्ति को मृत्यु दंड या आजीवन कारावास की सजा से दण्डित किया जायेगा। 

17. मेट्रो रेलवे ( संचालन और रखरखाव ) अधिनियम 2002 की धारा 75 टिकटों की अनधिकृत बिक्री के लिए सजा। 

यदि कोई व्यक्यि जो मेट्रो रेलवे अधिकारी नहीं है और मेट्रो रेलवे प्रशासन द्वारा अधिकृत एजेंट नहीं है इनके द्वारा किसी व्यक्ति भी अन्य व्यक्ति को यात्रा करने के लिए सक्षम बनाने के लिए रेल टिकेट की बिक्री की जाती है या बिक्री करने का प्रयास किया जाता है तो ऐसा करने वाले व्यक्ति को 3 महीने तक कारावास की सजा या 500 रु तक जुर्माने से या दोनों से दण्डित किया जा सकता है। उन टिकटों को भी जब्त कर लिया जायेगा जो उसके द्वारा बेचे गए है या बेचे जाने का प्रयास किया गया है।

18. मेट्रो रेलवे ( संचालन और रखरखव ) अधिनियम 2002 की धारा 76 - मेट्रो ट्रेन में यात्रा करने वाले व्यक्ति को बुरी तरह से चोट पहुँचाने या चोट पहुँचाने का प्रयास करने के लिए सजा। 

यदि कोई भी व्यक्ति विधिविरुद्ध रेलगाड़ी के डिब्बे, चल स्टॉक या रेलगाड़ी के किसी भी भाग में या उसमे या उसके ऊपर जानभूझकर काष्ठ पत्थर या अन्य कोई चीज फेकता है जिससे वह यह संभव जनता है कि ऐसे रेल डिब्ब्बे,चल स्टॉक या रेल गाड़ी के किस अन्य भाग में या उसपर उपस्थित किसी व्यक्ति की सुरक्षा संकट में पड़ सकती है तो ऐसा करने वाले व्यक्ति को आजीवन कारावास की सजा या 10 साल तक कारावास की सजा से दण्डित किया जायेगा। 

19. मेट्रो रेलवे ( संचालन और रखरखाव ) अधिनियम 2002 की धारा 77 -जल्दबाजी, लापरवाही या चूक से किये गए कार्य से मेट्रो ट्रेन से यात्रा करने वाले व्यक्तियों की सुरक्षा को खतरे में डालने के लिए सजा । 

यदि कोई भी व्यक्ति जल्दबाजी, लापरवाही तरीके से कोई कार्य या कोई चूक करता है जिससे मेट्रो रेलवे में या मेट्रो ट्रेन में यात्रा कर रहे व्यक्ति की सुरक्षा संकट में पड़ सकती है तो ऐसा करने वाले व्यक्ति को 1 साल तक कारावास की सजा या जुर्माने से या दोनों से दण्डित किया जायेगा। 

20. मेट्रो रेलवे (संचालन और रखरखाव ) अधिनियम 2002 की धारा 78 - मेट्रो रेलवे की संपत्ति को नुकसान पहुँचाने या विनाश करने के लिए सजा। 
  1. जो कोई भी व्यक्ति जानभूझकर यह जानते हुए मेट्रो रेलवे की किसी भी ऐसी संपत्ति को आग, फिस्फोट या किसी अन्य तरीके से नुकसान पहुँचाता है या उस संपत्ति का विनाश करता है तो ऐसा  करने वाले व्यक्ति को 10 साल तक कारावास की सजा से दण्डित किया जायेगा। 
  2.  मेट्रो रेलवे से सम्बंधित संपत्ति जैसे कि रेल की पटरी, सुरंग, उप-मार्ग , बॉक्स-संरचनाओं, स्टेशन के भवन और प्रतिष्ठानों, गाडी और वैगनों, रोलिंग स्टॉक, सिग्नल, दूरसंचार, एयर कंडीशनिंग और वेंटिलेशन उपकरण, विद्युत् उप-स्टेशन, ड्रेनेज पंप, एस्केलेटर, लिफ्ट, लाइटिंग इंस्टॉलेशन, टिकट वेंडिंग मशीन, टिकट बैरियर, इलेट्रॉनिक ट्रैक्शन और ब्लॉक उपकरण और ऐसी अन्य सम्पत्तियाँ जिन्हे केंद्रीय सरकार अधिसूचना द्वारा उल्लिखित करे। 
21. मेट्रो रेलवे ( संचालन और रखरखाव ) अधिनियम 2002 की धारा 79 - जानभूझकर किये गए कार्य या चूक से मेट्रो ट्रेन में यात्रा करने वाले व्यक्तियों की सुरक्षा को संकट में डालने के लिए सजा। 

यदि कोई व्यक्ति विधिविरुद्ध जानभूझकर कोई चूक, लापरवाही या किसी सुरक्षा उपकरण से छेड़खाड़ करता है जिससे किसी मेट्रो रेल में यात्रा कर रहे यात्रियों की सुरक्षा संकट में पड़ सकती है या किसी मेट्रो रेलवे पर किसी रोलिंग स्टॉक में बाधा डालेगा या बाधा डलवाएगा या बाधा डालने का प्रयास करेगा तो ऐसा करने वाले व्यक्ति को 7 साल तक कारावास की सजा से दण्डित किया जायेगा।

लेकिन विशेष और पर्याप्त कारणों के न होने का उल्लेख न्यायालय के निर्णय में लिखा जायेगा, वहाँ उस व्यक्ति को ऐसे अवधि के कारावास से जो कि :-
  1. प्रथम अपराध के दोषसिद्धि में 6 महीने तक कारावास की सजा से दण्डित किया जायेगा,
  2. द्वितीय या बार बार अपराध दोषसिद्धि के मामले में 2 साल तक कारावास की सजा से दण्डित किया जायेगा। 
22. मेट्रो रेलवे (संचालन और रखरखाव ) अधिनयम 2002 की धारा 80 - मुआवजे का झूठा दावा करने के लिए सजा। 

अधिनियम के अध्याय 10 धारा 58 के तहत यदि किसी व्यक्ति की मेट्रो रेलवे या रेल में क्षति, दुर्घटना या मृत्यु हो जाती है जिसका मुआवजा पाने के लिए आवेदन मेट्रो रेलवे प्रशासन के समक्ष किया जाता है जो कि झूठा दावा है या दावा करने वाला व्यक्ति यह जानता और विश्वास रखता है कि ऐसा दावा झूठा है या ऐसे दावे का सही होने का उसे विश्वास नहीं है तो ऐसा झूठा दावा करने वाले व्यक्ति को 3 साल तक कारावास की सजा या जुर्माने से या दोनों से दण्डित।

23. मेट्रो रेलवे (संचालन और रखरखाव ) अधिनियम 2002 की धारा 81 - कंपनी द्वारा किये अपराध के लिए सजा। 

इस अधिनियम के तहत उपबंधित अपराध यदि कंपनी के द्वारा किया जाता है, तो वे प्रत्येक व्यक्ति जो चार्ज में  थे कंपनी के व्यस्वसाय के संचालन के साथ ही कंपनी के लिए जिम्मेदार होंगे जब ऐसा अपराध किया गया था और अपराध के लिए दोषी माने जायेंगे उनके खिलाफ कार्यवाही की जाएगी और इसके अनुसार दण्डित किया जायेगा।

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