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जाने भारतीय दंड संहिता के तहत संक्रमक/संक्रमण रोग फ़ैलाने पर सजा व् जुर्माने का प्रावधान

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नमस्कार मित्रों,
आज के इस लेख में आप सभी को "भारतीय दंड संहिता के तहत संक्रमक/संक्रमण रोग फ़ैलाने पर सजा व् जुर्माने का प्रावधान" के बारे में बताने जा रहे है। 

भारतीय दंड दंहिता 1860, के अध्याय 14 में लोक स्वास्थ्य, क्षेम, सुविधा, शिष्टता और सदाचार पर प्रभाव डालने वाले अपराधों के विषय में प्रावधान करता है, कोई भी ऐसा कार्य, जो जन साधारण को, जो आप पास में रहते है या आस पास की संपत्ति का अधिभोग करता है, ऐसे में कोई समान्य क्षति, संकट या क्षोभ कारित हो, या ऐसा कोई लापरवाही वाला कार्य जिसके परिणामस्वरूप जीवन के लिए संकट पूर्ण रोग का संक्रमण फैलना सम्भव हो, या ऐसा कोई हानिकारक कार्य जिसके परिणामस्वरूप जीवन के लिए संकट पूर्ण रोग का संकर्म फैलना संभव हो, ऐसे लापरवाही या द्वेषभाव से कार्यों को कारित करने वाले व्यक्ति को दण्डित किया जायेगा,जो कि कारावास से, या जुर्माने से या दोनों से दण्डित जायेगा।

जाने भारतीय दंड संहिता के तहत संक्रमक/संक्रमण रोग फ़ैलाने पर सजा व् जुर्माने का प्रावधान


भारतीय दंड संहिता कि उन धाराओं के बारे में जो की संक्रमण रोगो के फैलने पर सजा का प्रावधान करती है  जानने से पहले जान ले कि संक्रमण रोग किसे कहते है। 

संक्रमण रोग किसे कहते है ?

रोगो को मुख्यतः चार भागों में विभाजित किया है जो कि:-
  1. संक्रमक रोग। 
  2. वंशागुत रोग। 
  3. शारीरिक रोग। 
  4. कमी से होने वाले रोग। 
उपरोक्त रोगो मे से हम जानेगे संक्रमण रोग के बारे में। 

संक्रमण रोग वे रोग होते है, जो संक्रमण रोग से पीड़ित व्यक्तियों के प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष सम्पर्क आने से या उनके रोगोत्पादक तत्वों से दूषित पदार्थों के सेवन करने से,पास जाने से, हाथ मिलाने से , गले लगने से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्तियों पर संक्रमित हो जाता है। 
संक्रमण रोग को छुवाछुत का रोग कहा जाता है, ऐसा इसलिए क्योकि यह रोग एक संक्रमित व्यक्ति के छूने से अन्य व्यक्ति पर फैलता है जो कि फैलता जाता है। कभी कभी ये रोग महामारी का रूप ले लेती है और ये रोग ऐसे फैलते है कि एक देश से अन्य देश में इसका असर देखने को मिलता है। 

संक्रमण रोग का उदाहरण :-

हाल ही में एक देश से फैला संक्रमण रोग जिसको "कोरोना कोविद 19 "नाम से जाना जा रहा है, जो कि अब तक अधिकतर देशों में फ़ैल चूका है। यह रोग  संक्रमण रोग है जो कि संक्रमित रोगी के संपर्क में आने से फैलता है। 

क्या कहती है, भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 269 धारा 270  संक्रमण रोगो के विषय में।

1. भारतीय दंड सहिता धारा 269, उपेक्षापूर्ण कार्य जिससे जीवन के लिए संकटपूर्ण रोग का संक्रमण फैलना सम्भव हो।
भारतीय दंड संहिता कि धारा 269, के तहत जो कोई भी विधि के विरुद्ध या लापरवाहीपूर्ण ऐसा कोई कार्य करेगा, जिससे वह जनता था, या विश्वास रखने का कारण रखता है, कि उसके उस कार्य से व्यक्ति के जीवन के लिए संकटपूर्ण किसी रोग का संक्रमण फैलना सम्भव है, तो वह दोनों में से किसी भी भांति की सजा से दण्डित किया जायेगा, जो की 6 महीने कारावास तक की सजा होगी या जुर्माने से या दोनों में से दण्डित किया जाएगा।

  1. दंड - भारतीय दंड संहिता की धारा 269 के तहत किये गए अपराध में 6 महीने तक कारावास की सजा या जुर्माना या दोनों से दण्डित किया जायेगा। 
  2. संज्ञेय या असंज्ञेय - भारतीय दंड संहिता कि धारा 269 के तहत जिया गया अपराध संज्ञेय अपराध होगा।  
  3. जमानतीय या अजमानतीय - भारतीय दंड संहिता कि धारा 269  के तहत किया गया अपराध जमानतीय होगा।
  4. किस न्यायालय द्वारा विचारणीय होगा - भारतीय दंड संहिता कि धारा 269 के तहत किये गए अपराध पर विचारण कोई मजिस्ट्रेट की न्यायालय द्वारा किया जायेगा। 
2. भारतीय दंड संहिता की धारा 270, परिद्वेषपूर्ण कार्य जिससे जीवन के लिए संकटपूर्ण रोग का संक्रमण फैलना संभव हो। 
भारतीय दंड संहिता कि धारा 270, के तहत जो कोई भी द्वेषभाव से ऐसा कोई कार्य करेगा जिससे कि, वह जानता हो या विश्वास करने का कारण रक्खता हो कि , उसके द्वारा किये गए कार्य से व्यक्ति के जीवन के लिए संकटपूर्ण किसी रोग का संक्रमण फैलना संभव है, तो वह व्यक्ति दोनों में से किसी भी भांति की सजा से दण्डित किया जायेगा, जो कि 2 वर्ष तक कारावास की सजा या जुर्माने से या दोनों में से दण्डित किया जायेगा।
  1. दंड- भारतीय दंड संहिता की धारा 270 के तहत किये गए अपराध में 2 वर्ष तक कारावास या जुर्माना या दोनों से दण्डित किया जायेगा। 
  2. संज्ञेय या असंज्ञेय - भारतीय दंड संहिता की धारा 270 के तहत किया गया अपराध संज्ञेय अपराध होगा। 
  3. जमानतीय या अजमानतीय - भारतीय दंड संहिता की धारा 270 के तहत किया गया अपराध जमानतीय अपराध होगा।
  4. किस न्यायालय द्वारा विचारणीय होगा - भारतीय दंड संहिता की धारा 270 के तहत किया गए अपराध पर विचारण कोई मजिस्ट्रेट की न्यायालय द्वारा किया जायेगा। 

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