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आर्टिकल 360 के तहत वित्तीय आपातकाल क्या है ?

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नमस्कार मित्रो,
आज के इस लेख में आप सभी को " भारतीय संविधान के अनुच्छेद 360 के तहत वित्तीय आपातकाल " के बारे में बताने जा रहा हु।  

वित्तीय आपताकाल जैसे कि इसके नाम से ही आप लोगो ने थोड़ा सा अंदाज़ा तो लगा ही लिया होगी,  कि यह धन सम्बन्धी आपातकाल है। देश में जब भी ऐसी कोई विषम परिस्थिति आने का अंदेशा होता है या ऐसी परिस्ठित आ जाती है, जिसके परिणामस्वरूप देश की आर्थिक व्यवस्था कमजोर होने लगती है, तो सरकार द्वारा वित्तीय आपातकाल की घोषणा देश के हित के लिए की जाती है। आर्टिकल 360 के अंतर्गत वित्तीय आपातकाल की घोषणा किये जाने सम्बंधित प्रावधान दिया गया है।

Indian constitution article 360 financial emergency


अब आपके मन में कई तरह से सवाल आ रहे होंगे और आप इन सवालों के जवाब जानने के उत्सुक भी हो रहे होंगे जैसे कि :-
  1. वित्तीय आपात क्या है ?
  2. वित्तीय आपात उद्घोषणा करने के आधार क्या है ?
  3. क्या वित्तीय आपात उद्घोषणा संसद के प्रत्येक सदनों द्वारा अनुमोदित की जाएगी ?
  4. वित्तीय आपात की उद्घोषणा कब समाप्त होगी ?
  5. वित्तीय आपात उद्घोषणा का प्रभाव क्या पड़ता है ?
तो, चलिए अब हम आपके इन्ही सवालो के जवाब विस्तारपूर्वक देते है, ताकि आपके समझ में आसानी से आ जाये।

1. वित्तीय आपातकाल क्या है ?

भारतीय संविधान के अनुछेद 360 में वित्तीय आपात के बारे में उपबंध दिया गया है, यदि माननीय राष्ट्रपति जी को यह समाधान हो जाता है कि देश में ऐसी विषम स्थिति उत्पन्न हो गयी है कि जिसके परिणामस्वरूप भारत या उसके किसी राज्य्क्षेत्र के किसी भाग की वित्तीय स्थिरता या प्रत्यय संकट में है, तो राष्ट्रपति द्वारा वित्तय आपात की घोषणा की जाएगी। 

2. वित्तीय आपात की घोषणा करने के आधार क्या है ?

संविधान अनुछेद 360 के अंतर्गत राष्ट्रपति को वित्तीय आपात की घोषणा करने का पूर्ण अधिकार प्राप्त है, यदि राष्ट्रपति को यह समाधान हो जाता है कि देश की अर्थव्यवस्था चरमराने वाली है, तो वित्तीय आपात की घोषणा करेगा, जिसके निम्न आधार हो सकते है :-

  1.  यदि देश की या उसके किसी राज्य्क्षेत्र के किस भाग की वित्तीय स्थिरता या प्रत्यय संकट में है,
  2. यदि देश की सरकार के पास धन की कमी के कारण दिवालिया होने की स्थिति हो,
  3. यदि देश की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त होने की स्थिति पर हो ,
  4. यदि  देश में आर्थिक मंदी बहुत निचे पहुंच गयी हो ,
  5. अन्य कारण। 

3. वित्तीय आपात उद्घोषणा संसद के प्रय्तेक सदन द्वारा अनुमोदित की जाएगी ?

देश में जब ऐसी कोई विषम परिस्थित आने के आशंका होगी, कि देश की अर्थव्यवस्था डगमगाने वाली है, तो  राष्ट्रपति द्वारा वित्तीय आपात की उद्घोषणा की जाएगी जो कि :-
  1. ऐसी उद्घोषणा संसद के प्रत्येक सदनों राज्य सभा व् लोक सभा के समक्ष रखी जाएगी। 
  2. ऐसी वित्तीय आपात की उद्घोषणा किये जाने  तिथि से  2 महीने के महीने के भीतर संसद द्वारा अनुमोदित किया जाना अनिवार्य है। 
  3. यदि वित्तीय आपात की उद्घोषणा के उस अवधि में की जाती है, जब लोक सभा का विघटन हो गया है, या उद्घोषणा होने के 2 माह के भीतर इसे अनुमोदित करने से पहले लोक सभा का विघटन हो जाता है, और,
  4. यदि उद्घोषणा का अनुमोदन करने वाला संकल्प राज्य सभा द्वारा पारित कर दिया गया है, लेकिन ऐसी उद्घोषणा के सम्बन्ध में कोई संकल्प लोक सभा द्वारा वित्तीय उद्घोषणा के 2 माह की अवधि की समाप्ति के भीतर पारित नहीं किया जाता है, तो वित्तीय उद्घोषणा उस तारीख से, जब लोक सभा अपने पुनर्गठन के बाद प्रथम बार बैठती है, तीस दिनों तक प्रभावी रहेगा, यदि इन तीस दिनों के समाप्त होने से पहले  उद्घोषणा का अनुमोदन करने वाले संकल्प पर लोक सभा द्वारा भी पारित किया जाना होगा। 
  5. राज्य सभा व् लोक सभा दोनों सदनों द्वारा इस वित्तीय उद्घोषणा को अनुमोदित कर दिया जाता है, तो वित्तीय आपात अनिश्चित काल तक प्रभावी रहेगा जब तक कि इसे वापस न ले लिया जाये। 
  6. वित्तीय आपात की उद्घोषणा को अनुमोदित करने वाला संकल्प, संसद के किसी भी सदन राज्य सभा व् लोक सभा द्वारा सामान्य बहुमत द्वारा पारित किया जा सकता है। 

4. वित्तीय आपात की उद्घोषणा कब समाप्त होगी ?

आर्टिकल 360 के तहत राष्ट्रपति को वित्तीय आपात की उद्घोषणा करने की शक्ति प्राप्त है, तो उसी प्रकार ऐसी उद्घोषणा राष्ट्रपति द्वारा किसी भी समय एक घोषणा के द्वारा वापस ले ली जाएगी, परन्तु ऐसी घोषणा के लिए संसद के प्रय्तेक सदनों की मंजूरी की आवश्यकता नहीं है। 

5. वित्तीय आपात की उद्घोषणा का प्रभाव क्या पड़ता है ?

आर्टिकल 360 के तहत राष्ट्रपति द्वारा वित्तीय उद्घोषणा करने की तिथि से उस अवधि के दौरान तक जब तक यह उद्घोषणा प्रभावी रहती है, संघ की कार्यपालिका की शक्ति का विस्तार किसी राज्य को वित्तीय औचित्य सम्बन्धी ऐसे सिद्धांत का पालन करने के लिए निर्देश देने तक, जो निर्देशों में उल्लिखित किये जाए और ऐसे अन्य निदेश देने तक होगा जिन्हे राष्ट्रपति उस वित्तीय उद्घोषणा के लिए देना आवश्यक और पर्याप्त समझे।

ऐसे किसी निदेश के अंतर्गत निम्न निदेश होंगे :-
  1. किसी राज्य के कार्यकलाप के सम्बन्ध में सेवा करने वाले सभी व् किसी वर्ग के व्यक्तियों के वेतनों और भत्तों में कमी की जा सकती है। 
  2. धन विधयेक या अन्य विधेयकों को, जिनमे अनुछेद 207 के प्रावधान लागु होते है, राज्य विधानमंडल द्वारा पारित किये जाने से पहले राष्ट्रपति के विचार के लिए आरक्षित रखे जायेंगे व् प्रत्येक धन बिल पर राष्ट्रपति जी की मुहर लगना आवश्यक है। 
  3. राष्ट्रपति, वित्तीय उद्घोषणा की अवधि के दौरान जब तक यह उद्घोषणा प्रभावी रहती है, संघ के कार्यकलाप के सम्बन्ध में सेवा करने वाले सभी या किसी वर्ग के व्यक्तियों के, जिनके अंतर्गत उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय के न्यायधीश है, इनके वेतनों और भत्तों में कमी करने के लिए निदेश देने के लिए सक्षम होगा। 

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