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दंड प्रक्रिया संहिता की कुछ धाराओं में हुए संशोधन के बारे में Amendment in code of criminal procedure sec 26 sec154 sec 161 sec 164 sec173 sec309 sec327 sec357b sec 357c sec374 sec 377 se c438 sec 439

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नमस्कार दोस्तों,
आज के इस लेख में आप सभी को " दंड प्रक्रिया संहिता" के अधीन धाराओं में हुए संशोधन और जोड़ी गयी नई धाराओं के बारे में बताने जा रहा हु। 
जब कोई भी कानून बनता है तो वह देश में लागु हो जाता है, ताकि यदि कोई भी अमुक अपराध कारित करता है करने का प्रयास करते है, तो वह अधिनियम के अधीन धाराओं के अनुसार दण्डित किया जायेगा, दंड प्रक्रिया संहिता इन्ही दंड प्रक्रिया के बारे में बताती है। 

आज कल अपराध और भी गंभीर प्रकृति के होने लगे है अब इन्ही अपराधों की रोकथाम के लिए समय के अनुसार अधिनियम में संशोधन की आवश्यकता पड़ती है और समय के अनुसार अधिनियम में नई धाराओं का जोड़ा जाना और संशोधन करना अति आवश्यक हो जाता है। जो कोई भी अपराध कारित करेगा या करने की प्रयास करेगा, वह विधि के अनुसार अधिनियम के तहत दण्डित किया जायेगा। 

दंड प्रक्रिया संहिता की कुछ धाराओं में हुए संशोधन के बारे में  Amendment in code of criminal procedure sec 26 sec154 sec 161 sec 164 sec173  sec309 sec327 sec357b sec 347c sec374 sec 377 se c438 sec 439

तो चलिए "दंड प्रक्रिया संहिता" की धाराओं में होने वाले संशोधन और जोड़ी गयी नई धाराओं के बारे में जान ले। 

दंड प्रक्रिया संहिता की संशोधित धाराएं और जोड़ी गयी नई धाराएं 
दंड प्रक्रिया संहिता की कुछ धाराओं में हुए संशोधन के बारे में 

1. धारा 26 का संशोधन - न्यायालय, जिनके द्वारा अपराध विचारणीय है। 
भारतीय दंड संहिता के अधीन किसी अपराध का विचारण -
  1. उच्च न्यायालय द्वारा किया जा सकता है,
  2. सेशन न्यायालय द्वारा किया जा सकता है ,
  3. किसी अन्य ऐसे न्यायालय द्वारा किया जा सकता है, जिसके द्वारा उसका विचारणीय होना प्रथम अनुसूची में दर्शित  किया गया है, 
लेकिन, भारतीय दंड संहिता की धारा 376 , धारा 376 क, धारा 376 कख, धारा 376 ख, धारा 376 ग, धारा 376 घ, धारा 376 घक, धारा 376 घख व् धारा 376 ड के अधीन किये जाने वाले अपराधों का विचारण ऐसे न्यायालय द्वारा किया जायेगा जिसकी पीठासीन अधिकारी कोई स्त्री हो।

2. धारा 154 का संशोधन - संज्ञेय मामलो में इत्तिला। 
 संज्ञेय अपराध के किये जाने से सम्बंधित हर एक सूचना, यदि पुलिस थाने के भारसाधक अधिकारी को मौखिक रूप से दी गयी है, तो उस भारसाधक अधिकारी के द्वारा या उसके निदेशाधीन उस सूचना को लिखी जाएगी और सूचना देने वाले व्यक्ति पढ़कर सुनाई जाएगी और हर एक ऐसी सूचना पर चाहें वह मौखिक दी गयी हो या लिखित दी गयी हो उसका सार ऐसी पुस्तक म, जो अधिकारी द्वारा ऐसे रूप में रखी जाएगी जिसे राज्य सरकार द्वारा इस कार्य के लिए विहित करे, उसमे दर्ज किया जायेगा। 

लेकिन संज्ञेय अपराध से सम्बंधित ऐसी सूचना स्त्री द्वारा दी जाती है, जिसके विरुद्ध भारतीय दंड संहिता की धारा 376, धारा 376 क, धारा 376 कख, धारा 376 ख, धारा 376ग, धारा 376 घ, धारा 376 घक, धारा 376 घख, धारा376 ड़ या धारा 509 के अधीन अपराध कारित किया गया है या करने का प्रयास किया गया अभिकथित किया जाता है ,तो ऐसी सूचना, महिला पुलिस अधिकारी या किसी महिला अधिकारी द्वारा लिखी जाएगी। 

खंड क - यदि वह व्यक्ति जिसके विरुद्ध भारतीय दंड संहिता के अधीन धारा 376, धारा 376 क, धारा 376 कख, धारा 376, धारा 376 ख, धारा 376 ग , धारा 376 घ, धारा 376 घक, धारा 376 घख, धारा 376 ड़, या धारा 509 के अधीन किसी अपराध का किये जाने का या किये जाने का प्रयास अभिकथित किया गया है, वहाँ पीड़िता अस्थायी या स्थायी रूप से मानसिक या शारीरक रूप से पीड़ित है, तो ऐसी सूचना पुलिस अधिकारी द्वार ऐसी अपराध की रिपोर्ट करने की इच्छा करने वाले व्यक्ति की निवस स्थान पर या ऐसे व्यक्ति के द्वारा चुने गए सुविधाजनक स्थान पर किसी भाषा के जानकर या किसी विशेष शिक्षक की हाजिरी में लिखी जाएगी। 

3. धारा 161 उपधारा (3) का संशोधन - पुलिस द्वारा साक्षियों का परिक्षण। 
किसी स्त्री के विरुद्ध भारतीय दंड संहिता के अधीन धारा 376, धारा 376 क, धारा 376 कख, धारा 376 ख, धारा 376 ग, धारा 376 घ, धारा 376 घक, धारा 376 घख,. धारा 376 ड़ या धारा 509 के अधीन अपराध कारित किये जाने का या कारित करने का प्रयास किये जाने का अभिकथित किया गया है, इन अपराध सम्बंधित पीड़ित का कथन महिला पुलिस अधिकारी या किसी महिला अधिकारी द्वारा लिखा जायेगा।

4. धारा 164  उपधारा 5( खंड 5 क )का संशोधन - संस्वीकृति और कथनों को अभिलिखित करना। 
भारतीय दंड संहिता की धारा 376, धारा 376क , धारा 376 कख, धारा 376 ख, धारा 376 ग, धारा 376 घ, धारा 376 घक, धारा 376 घख, धारा 376 ड़ या धारा 509 के अधीन दाण्डीय अपराध के मामले में, न्यायिक मजिस्ट्रेट उस व्यक्ति का, जिसके विरुद्ध उपधारा 5 में विहित रीती में ऐसा अपराध किया गया है, कथन जैसे ही अपराध  किया जाना पुलिस के संज्ञान (जानकारी) में लाया जाता है, अभिलिखित करेगा,
परन्तु, यदि कथन करने वाला व्यक्ति अस्थायी या स्थायी रूप से मानसिक या शारीरिक असमर्थ है, तो मजिस्ट्रेट कथन अभिलखित करने में अनुवादक या विशेष शिक्षक की मदद लेगा।
 परन्तु यह की यदि कथन करने वाला व्यक्ति अस्थायी या स्थायी रूप से मानसिक या शारीरक रूप से असमर्थ है,तो किसी अनुवादक या विशेष शिक्षक की सहायता से कथन करने वाले व्यक्ति के द्वारा किये गए कथन की वीडियो फ्लिम तैयार की जाएगी।

5. धारा 173 का संशोधन - अन्वेषण के समाप्त हो जाने पर पुलिस अधिकारी की रिपोर्ट। 
1. अधिनियम की धारा  173 की उपधारा 1 के अधीन किया जाने वाला हर एक अन्वेषण (जाँच) बिना किसी देरी के पूरा किया जायेगा।
उपधारा 1 क के अधीन किसी शिशु के बलात्कार के सम्बन्ध में अन्वेषण  उस तारीख से तीन माह के भीतर अन्वेषण पूरा किया जायेगा , भारतीय दंड संहिता की धारा 376, धारा 376 क, धारा 376 कख, धारा 376 ख, धारा 376 ग, धारा 376 घ, धारा 376 घक, धारा 376 घख, या धारा 376 ड़ के सम्बन्ध में अन्वेषण उस तारीख से, जिस तारीख को पुलिस थाने के भारसाधक अधिकारी के द्वारा जानकारी लिखी गयी थी, दो माह के भीतर अन्वेषण पूरा किया जा सकेगा।

 2. उपधारा 2 के खंड i के उपखण्ड ज के अधीन क्या स्त्री के चिकित्सीय परिक्षण की रिपोर्ट सम्बद्ध (जोड़ी) गयी है,  जहाँ भारतीय दंड संहिता की धारा 376,  धारा 376 क, धारा 376 कख, धारा 376 ग, धारा 376 घ, धारा 376 घक, धारा 376 घख, धारा 376 ड़ के अंतर्गत किये गए अपराध के सम्बन्ध में अन्वेषण किया गया है।

6. धारा 197 का संशोधन - न्यायाधीशों और लोक सेवकों का अभियोजन। 
धारा 197 की उपधारा 1 के स्पष्टीकरण- संदेहों का निराकरण करने के लिए एतद्द्वारा यह घोषित किया है,जाता है कि ऐसे लोक सेवक के मामले में, जिसके बारे में यह अभिकथित किया गया है कि उसने भारतीय दंड संहिता की धारा 166 क , धारा 166 ख, धारा 354, धारा 354 क, धारा 354 ख, धारा 354 ग, धारा 354 घ, धारा 370 धारा 375, धारा 376, धारा 376 क, धारा ख, धारा 376 ग, धारा 376 घ, धारा 376 घक, धारा 376 घख, या धारा 509 के अधीन अपराध किया,  किसी पूर्व मंजूरी की अपेक्षा नहीं की जाएगी।

7. धारा 309  संशोधन - कार्यवाही को मुल्तवी या स्थगित करने की शक्ति। 
धारा 309 की उपधारा 1 के परन्तुक में , जब जाँच या विचारण भारतीय दंड संहिता की धारा 376, धारा 376 क, धारा 376 ख, धारा 376 कख, धारा 376 ग, धारा 376घ  , धारा 376 घक, धारा 376घख के अधीन किसी अपराध के सम्बन्ध में तब जाँच या विचारण आरोप पत्र दाखिल किये जाने की तारीख से दो माह की अवधि के भीतर पूरा किया जायेगा।

8. धारा 327 का संशोधन - न्यायालयों का खुला होना।  
धारा 327 की उपधारा 2 में भारतीय दंड संहिता की धारा 376, धारा 376 क, धारा कख , धारा 376 ख, धारा 376 ग, धारा 376 घ, धारा 376 घक, धारा 376 घख, धारा 376ड़  के अधीन बलात्संग या किसी अपराध के सम्बन्ध में उसकी जाँच व् उसका विचारण बंद कमरे में किया जायेगा।

9. धारा 357 ख -जुर्माने के अतिरिक्त प्रतिकर।  
धारा 357 क अधीन  राज्य सरकार द्वारा दिए जाने वाला प्रतिकर, भारतीय दंड संहिता धारा 326 क, धारा 376 कख, धारा 376 घ, धारा 376 घक, धारा 376 घख, के अधीन पीड़िता को जुर्माने के भुगतान के अतिरिक्त होगा।

10. धारा 357 ग का संशोधन - पीड़िता का उपचार। 
सभी अस्पताल, वह चाहे सार्वजानिक या निजी हो, चाहे केंद्रीय सरकार या राज्य सरकार,स्थानीय निकायों या किसी अन्य व्यक्ति द्वारा संचालित हो, भारतीय दंड संहिता की धारा 326, धारा 376, धारा 376 क, धारा 376 कख , धारा 376 ग, धारा 376 घ, धारा 376 घक, धारा 376 घख, धारा376 ड़ के अधीन आने वाले किसी अपराध की पीड़िता को तुरंत निशुल्क प्राथमिकी या चिकित्सीय उपचार उपलब्ध कराया जायेगा और ऐसी घटना की सूचना पुलिस को तुरंत दी जाएगी।

11. धारा 374 का संशोधन- दोषसिद्धि से अपील।  
दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 374 की उपधारा 3 के बाद उपधारा 4 अन्तःस्थापित की जाएगी, अर्थात
उपधारा 4 जब भारतीय दंड संहिता की धारा 376, धारा 376क , धारा 376 कख , धारा 376 ख, धारा 376 ग, धारा 376 घ, धारा 376 घक, धारा 376 घख या धारा 376 ड़ के अधीन पारित किसी दण्डेश के खिलाफ अपील दाखिल की गयी है, तो अपील का निपटारा ऐसी अपील दाखिल किये जाने की तारीख से छह महीने की अवधि के भीतर किया जायेगा।

12. धारा 377 का संशोधन - राज्य सरकार द्वारा दंडादेश के खिलाफ अपील। 
दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 377 की उपधारा 3 के बाद उपधारा 4 अन्तः स्थापित की जाएगी, अर्थात
उपधारा 4 जब भारतीय दंड संहिता की धारा 376, धारा 376 क, धारा 376कख, धारा 376 ग, धारा 376 घक, धारा 376 घख, या धारा 376 ड़ के अधीन पारित किये गए दंडादेश के खिलाफ अपील दाखिल की गयी है, तो अपील का निपटारा, ऐसी अपील दाखिल किये जाने की तारीख से छह माह के भीतर किया जायेगा।

13. धारा 438 का संशोधन - गिरफ़्तारी की आशंका करने वाले व्यक्ति की जमानत की मंजूरी के लिए निदेश।
दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 438 की उपधारा 3 के बाद एक नई उपधारा 3 अन्तः स्थापित की जाएग, अर्थात
उपधारा 4 के अधीन भारतीय दंड संहिता की धारा 376 की उपधारा 3 या धारा 376 कख, धारा 376 घक, धारा 376 घख के अधीन किये गए अपराध के अभियोग पर किसी व्यक्ति की गिरफ़्तारी की दशा में धारा 438 की कोई बात लागु नहीं होगी।

14. धारा 439- जमानत के बारे में उच्च न्यायालय या सेशन न्यायालय की विशेष शक्तियां। 
1. दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 439 की उपधारा 1 में पहले परन्तुक के बाद एक निम्लिखित परन्तुक अन्तः स्तापित किया जायेगा अर्थात,
परन्तुक यह है कि उच्च न्यायालय या सेशन न्यायालय किसी ऐसे व्यक्ति की,जो  भारतीय दंड दंड संहिता की धारा 376 या धारा 376 कख , धारा 376 घक या धारा 376 घख के अधीन विचारणीय किसी अपराध का  अभ्युक्त है, जमानत लेने से पहले जमानत के आवेदन की सूचना,  जमानत के आवेदन की सूचना की प्राप्ति की तारीख से 15 दिन की अवधि के भीतर लोक अभियोजक को देगा।

2. दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 439 की उपधारा 1 के बाद उपधारा 1 क अन्तः स्थापित की जाएगी अर्थात,
उपधारा 1 क के अधीन भारतीय दंड संहिता की धारा 376 की उपधारा 3 या धारा 376 क या धारा 376 घक या धारा 376 घख के अधीन व्यक्ति को जमानत के लिए आवेदन की सुनवाई के समय सूचना देने वाले या उसकी तरफ से प्राधिकृति किसी व्यक्ति की उपस्थिति अनिवार्य होगी।

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