सिविल न्यायालय में वाद/मुकदमा दायर करने की प्रक्रिया क्या है Procedure for filing a case/suit in a civil court
तो चलिए अब हम सिविल न्यायालय में सिविल वाद दायर करने से लेकर अंतिम निर्णय तक की प्रक्रिया के बारे में एक -एक करके जाने।
सिविल प्रक्रिया संहिता 1908 में सिविल वाद के दायर करने से लेकर अंतिम निर्णय और प्रथम अपील, द्वितीय अपील और पुनर्विलोकन तक की प्रक्रिया के बारे ने प्रावधान किया गया है।
- सिविल न्यायालय का नाम,
- वादी का नाम,
- प्रतिवादी का नाम,
- अधिवक्ता का नाम,
- अधिवक्ता के हस्ताक्षर,
- एक वादी हो या अधिक तो उन सबके हस्ताक्षर या अंगूठे का निशान लगेगा।
मुकदमा दायर करने के लिए वादपत्र में क्या क्या लिखा जाता है ?
- उस न्यायालय का नाम जिसमे वाद/मुकदमा दायर करना है,
- वादी का पूरा नाम, पिता के नाम के साथ निवास स्थान,
- प्रतिवादी का पूरा नाम पिता के नाम के साथ निवास स्थान,
- वाद दायर करने की आवश्यकता का विवरण,
- वाद वे तथ्य जिनसे वाद हेतुक गठित है और वाद की शुरुआत कब हुई, कहाँ उत्पन्न हुआ, कैसे उत्पन्न हुआ और किस स्थान पर उत्पन्न हुआ,
- उन तथ्यों को लिखा जाना जो की न्यायालय को अधिकारिता है कि वह उस अमुक वाद को सुन सके,
- न्यायालय शुल्क,
- उन अनुतोष का भी लिखा जाना जिनके लिए वादी दावा करता है,
- वाद तथ्यों के दावे के सत्यापन का विवरण।
- दिनांक,
- वादी/ वादीगण के नाम व् हस्ताक्षर या अंगूठे का निशान।
न्यायालय में मुकदमा दायर हो जाने के बाद प्रतिवादी को समन भेजा जाता है, जो की एक ऐसा लिखित दस्तावेज है जिसमे उसके खिलाफ मुकदमा दायर होने का विवरण और न्यायालय में हाजिर होने की निश्चित तारीख भी लिखी होती है। प्रतिवादी इस दिन न्यायालय में हाजिर होकर अपने खिलाफ दायर किये गए मुकदमे का उत्तर लिखित अभिकथन के माध्यम से दे।
आदेश 5 के तहत समन निकालें जाने के बाद प्रतिवादी का न्यायालय में हाजिर होकर दावे का जवाब देना होता है। यही से मुकदमे की प्रथम सुनाई शुरू हो जाती है।
आदेश 8 लिखित अभिकथन एक ऐसा दस्तावेज है, जो की प्रतिवादी की ओर से वादी द्वारा दाखिल किये गए वादपत्र के जरिये मांगे गए अनुतोष या दावों का बचाव प्रस्तुत करता है। दूसरे शब्दों में कहे तो वादपत्र में लिखित वादी के दावों का जो जवाब प्रतिवादी अपनी प्रतिरक्षा में न्यायालय के समक्ष दाखिल करता है, ऐसे लिखित दस्तावेज को लिखित अभिकथन कहाँ जाता है।
7. वाद से सम्बंधित दस्तावेजों को न्यायालय के समक्ष दाखिल करना।
न्यायालय दोनों पक्षकारों को उसके वाद से सम्बंधित आवश्यक दस्तावेजों को दाखिल करने का अवसर देती है कि वह नियत की गयी तारीख के भीतर अपने अपने वाद के पक्ष में उन दस्तावेजों को दाखिल करे जिन पर वे विश्वास रखते है ये दस्तावेज उसके दावें को सिद्ध करने के लिए आवश्यक है। इन दस्तावेजों को न्यायालय के समक्ष अंतिम सुनवाई से पहले ही दाखिल करने होते है।
8 . मद्दों की विरचना/निर्धारण।
सिविल प्रक्रिया संहिता आदेश 14 नियम 1 में वाद से सम्बंधित मुद्दों के निर्धारण की बात की गयी है जो की न्यायालय के द्वारा उचित मुद्दों का निर्धारण किया जाता है। न्यायाधीश द्वारा वाद से सम्बंधित मुद्दों को तैयार जाता किया जाता है जिसके आधार पर बहस और गवाहों से पूछताछ की जाती है। मुद्दे दो प्रकार के होते है, पहला तथ्य सम्बन्धी मुद्दे और दूसरा कानून सम्बन्धी मुद्दे।
9. कमीशन रिपोर्ट।
यदि वाद में कमीशन जारी हुआ तो उसकी रिपोर्ट आने के बाद उस कमीशन रिपोर्ट का डिस्पोजल होगा। न्यायालय किसी भी वाद में कमीशन जारी करता है ताकि :-
- किसी व्यक्ति की परीक्षा के लिए,
- स्थानीय जाँच के लिए,
- लेखाओं की परीक्षा के लिए या उसका समायोजन करने के लिए,
- विभाजन करने के लिए,
- वैज्ञानिक, तकनिकी या विशेषज्ञ जाँच करने के लिए,
- ऐसी संपत्ति का विक्रय करने के लिए जो जल्द नष्ट होने वाली प्रकृति की हो,
- ऐसी संपत्ति जो वाद के लंबित रहने तक न्यायालय के अभिरक्षा में हो,'
- कोई अनुसचिवीय कार्य करने के लिए
10. न्यायालय द्वारा पक्षकारों (वादी और प्रतिवादी )की परीक्षा।
ऊपर बताई गयी कार्यवाही पूर्ण हो जाने पर न्यायालय द्वारा पक्षकारों की परीक्षा के लिए एक दिन निर्धारित किया जायेगा जिस दिन पक्षकारों को न्यायालय में हाजिर हो कर गवाही देनी होगी।
सिविल प्रक्रिया संहिता आदेश 10 न्यायालय द्वारा पक्षकारों की परीक्षा के बारे में प्रावधान करता है। इसमें दोनों पक्षकारों के अधिवक्ता एक दूसरे के गवाहों से सवाल जवाब करते है, अधिवक्ता द्वारा गवाहों से सवाल वादपत्र और लिखित अभिकथन में लिखित विवरण के आधार पर ही पूछे जाते है। पक्षकारों की परीक्षा का सार लिखा जायेगा और वह अभिलेख का भाग होगा। लिखित गवाही की तीन प्रतियाँ होंगी जो कि एक न्यायालय में दायर मुकदे की फाइल में दाखिल होगी, एक वादी के अधिवक्ता को दी जाएगी और एक प्रतिवादी के अधिवक्ता को दे जाएगी। न्यायालय के पास जो लिखित गवाही होगी उसमे बयानकर्ता के हस्ताक्षर होंगे।
जब दोनों पक्षकारों के गवाहों के लिखित बयान न्यायालय के समक्ष हो जाते है, शेष गवाह कोई नहीं बचता तो न्यायाधीश वाद की अंतिम सुनवाई के लिए एक तारीख निर्धारित करता है। उस अंतिम तारीख को दोनों पक्ष करों के साथ दोनों अधिवक्ताओं को न्यायालय में वाद की अंतिम सुनवाई के हाजिर होना होता है।
11. वाद की अंतिम सुनवाई/ अंतिम तर्क।
गवाहों के बयान हो जाने के बाद वाद की अंतिम सुनवाई के लिए निर्धारित की गयी तारीख को न्यायालय के समक्ष वादी और प्रतिवादी दोनों के अधिवक्ता वाद के सम्बन्ध में अपने अपने तर्क श्रीमान न्यायधीश के समक्ष रखते है।
12.वाद में निर्णय सुनाने की तारीख।
श्रीमान न्यायाधीश द्वारा वादी और प्रतिवादी के अपने अपने पक्ष में प्रस्तुत किये गए तर्कों को सुनकर या लिख कर उस पर वाद से सम्बंधित तथ्यों पर विचार करते है। न्यायहित में वाद के तथ्यों के आधार पर श्रीमान न्यायाधीश अपना निर्णय आर्डर शीट पर लिखते है। आदेश सुनाने की एक तारीख निर्धारित की जाती है उस दिन वादी और
प्रतिवादी दोनों अपने अपने अधिवक्तओं के साथ न्यायालय के समक्ष उपस्थ्ति होते है। न्यायाधीश द्वारा जो निर्णय किया जाता है वह सुनाया जाता है। अब यह निर्णय वादी या प्रतिवादी के पक्ष या विरुद्ध भी हो सकता है।
13.आदेश की प्रमाणित प्रति।
जिस पक्ष के पक्ष में निर्णय सुनाया जाता है, उस पक्ष को न्यायालय द्वारा वाद में किये गए निर्णय के आदेश की एक प्रमाणित प्रति दी जाती है, जिसमे न्यायालय की मुहर लगी होती है। आदेश एक ऐसा महत्वपूर्ण दस्तावेज है जिसमे किसी सिविल न्यायालय के निर्णय औपचारिक अभिव्यक्ति होती है, जो की डिक्री नहीं है।
अगर कोई ज़मीन पर पुराना घर बना है जिसमें कोई नहीं रहता है तो क्या वह दूसरे की ज़मीन से रास्ता माँग सकता है
जवाब देंहटाएंअगर कोई ज़मीन खोली है उस जमीन लगा हुआ मुहल्ला रहता है और जमीन वाले रास्ता नहीं देना चाहता इस इस्ती में क्या कर चाहिए
हटाएंअगर मेरा वाद सच्चा है लेकिन मेरे पक्ष में कोई गवाही देने वाला व्यक्ति नही मिले तो क्या होगा ।
जवाब देंहटाएंआपकी गवाही लगेगी ।
हटाएंMene case krwaya h aur m mr gya to kya mera case koi aur ld skta h
जवाब देंहटाएंहाँ, आपके बाद आपके विधिक उत्तराधिकारी वाद मे पक्षकार बन वाद लड़ सकते ह । अधिक जानकारी के लिए इस लेख को पढे लिंक यह है। https://www.lawyerguruji.com/2019/08/22-order-22-of-cpc-death-marriage-and.html
हटाएंSir agar Papa ki jamin par fraudly koi aadmi stamp may likva lata hai ki inki jamin maynay karid liya hai to uskay liye Kya karna chaye
जवाब देंहटाएंस्टाम्प पेपर पर क्या तुम्हारे पिता जी के हस्ताक्षर हैं ?
हटाएंSir Mera papa hisha ni dunga bol Raha h ab me kya karu
हटाएंSir Mera papa or Mera cha-cha log hisha ni dunga bol Raha h ..ab me kya karu
जवाब देंहटाएंपूरा मामला क्या है ?
हटाएंसर जी हम सिविल केस में दावा अथवा कमीशन रिपोर्ट आनलाइन कैसे देख सकते हैं
जवाब देंहटाएंसिवल केस सम्बंधित जानकारी के लिए इस लिंक पर दिए गए लेख को पढ़े - https://www.lawyerguruji.com/2019/03/what-is-e-court-app-how-to-check-court.html?m=1
हटाएंकमीशन रिपोर्ट ऑनलाइन देखने की व्यवस्था नहीं है ।यह आपको न्यायालय स्वयं जाकर कर देखना होगा , जिसके लिए आप अपने वकील से सम्पर्क करे ।
Koi farji tarike se mukadama kara deta hai to kya kara chahiye or us pr nirmad kara sakta hai ki nhi
जवाब देंहटाएंपूरा मामला क्या है ?
हटाएंजैसे कीहमारी जमीन में कोई मुकदमा करना चाहता दीवानी दायर करना चाहता है तो था उसकी आसपास कोई जमीन नहीं होती तब उसके लिए क्या करना होता है क्या यह मुकदमा संभव है दायर हो जाएगा 56/20
जवाब देंहटाएंSir Jai Hind
जवाब देंहटाएंKisi ne meri jamin per kabja kar rakha hai aur use nahi release kar raha hai pichle ek sall se jhut bhol raha hai ki mai hi aapki jamin purchase kar lunga abhi keh raha hai ki kisi ke bap me dum hai to laker dikhaye chahe aap hai ya fir sarkar, sir meri help kare
Thanks
Prince
थाने मे शिकायत करो ।
जवाब देंहटाएंSir
जवाब देंहटाएंMeri sagai ek ladki se hui thi
Pr us ladki se baat karne ke baad mujhe us ladki ki aadate sahi nahi lagi to mene shadi ke liye mna kr diya h ab ladkiwale mujhe pr mukadma karne ja rahe h me kya karu
Meri help kijiye plea.
किस आधार पर मुक़दमा दायर करने को कह रहे है ?
हटाएंDear sir,
जवाब देंहटाएंAgar kisi ladki ke sadi me uske pitaji ne 20 dismil zamin bech kar uski sadi kar di , toh kya baad me woh ladki pitaji ke bache hue zameen par suit kar sakta hai .{{ Maan lijie us ladki ka uske baap ke sampati me 18 dismil ka hissa tha }}
Plz sir ans me.
उत्तराधिकारी क्रम मे ही मेलगी । यदि पिता की मृत्यु के बाद उसकी पत्नी और विवाहित पुत्र या अविवाहित पुत्री जीवित है तो उनको मिलेगी । यदि केवल विवाहित पुत्री है तो उसको मिलेगी ।
हटाएंEk jamin jis par 3 sons aur ma ka nam hai . 3 sons apna apna share bech diye lekin sell deed me 3 sons alag alag 1/3 Share darj hai . It means mother ka share bhi bhech patra me darj ho gaya hai jabki ma ka signature and photo nahi hai(2006).
जवाब देंहटाएं2017 me ma mar jati hai
3 sons ka nam barasat me chadh jata hai.
2019 me kharij dakhil ho gaya.
Kya ma ka Share 3sons ko mil sakta hai.kayami me dikhaya gaya hai ki jamin k 4 shareholders hain to har ek ka apna apna share 1/4 hoga. Is adhar par kya nyay mil payega.means 3sons ko ma ka share mil payega.please sir jarur reply karen
तीनों बच्चो को बराबर मिलेगी ।
हटाएंप्रणाम सर, मैं अपना पैत्रिक अचल सम्पति में हक अधिकार पाने के सम्बन्ध में कुछ सवालों का जवाब जानना चाहता हूँ ,क्रुप्या मुझे मार्ग दर्शन कराने के लिए सहायता प्रदान करें, मैं एक अनाथ हूं! परन्तु मेरे पुर्बजों के नाम रयति खतियान में खाता नम्बर-1+2+3कुलरकबा-48,17क्रुषिभूमि है ,पंजी 2में32.17ऐकड मेरे पिताजी के नाम दर्ज है! परन्तु लगान तय नहीं है! मामला उच्च न्यायलय रॉंची झारखंड में चल रहा है !???
जवाब देंहटाएंवकील किया है ?
हटाएंMere papa k nam se civil court me case chalrha hai aur wo last stage me hai kya mai unko gavahi k liye pese kr sakta hu
जवाब देंहटाएंअपने वकील से पूछो क्या मुकदमा गवाही पर लगा है ?
हटाएंHa laga hai pr waqil bol rahe hai ki abhi peshi date nhi diya ja raha hai kya karun sir plz help me.
हटाएंतुम एक काम करो कि जिस कोर्ट न0. मे मुकदमा चल रहा है, उस कोर्ट के कार्यालय मे जाकर वहाँ से अपनी फ़ाइल मे लगी अगली सुनवाई कि तिथि देखों।
हटाएंSir mere chak ka rasta sijra me nahi h or na hi lekhpal bta rah h jo rasta h wo kuch logo ne kabja Liya or jaha unke plot h waha nahi dusre chak me bna liye ab main kya karu civil case ya crpc 135 please Sir batao
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