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विवाह पंजीकरण करवाना अनिवार्य क्यों है ? Why marriage registration is compulsory in india

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नमस्कार दोस्तों,
आज के इस लेख में आप सभी को बताने जा रहा हु कि " विवाह पंजीकरण करवाना अनिवार्य क्यों है ? " अब विवाह पंजीकरण को लेकर आपके मन में कई सारे सवाल उठ रहे होंगे जैसे कि :-
विवाह पंजीकरण करवाना अनिवार्य क्यों है ? Why marriage registration is compulsory in india.

किस कानून में विवाह के रजिस्ट्रेशन की बात कही गयी है। 
हिंदी विवाह अधिनियम की धारा 8 के तहत विवाह का पंजीकृत होना अनिवार्य है, क्योकि यह एक विवाह का विधिक दस्तावेज है, जो कि दो विवाहित जोड़ो के मध्य हुए विवाह का विधिक प्रमाण पत्र है। 
उत्तर प्रदेश विवाह पंजीकरण नियम 1973 ,की धारा 4 में विवाह के पंजीकरण का प्रावधान किया गया है जिसके तहत राज्य में सभी विवाह का पंजीकरण होना अनिवार्य है और इस अधिनियम के तहत विवाह का पंजीकरण किया जा सकता है। जिसके लिए विवाहित जोड़े को अपने राज्य के जिले के पंजीयक/उप-पंजीयक के कार्यालय में जाना होगा और वह अपने क्षेत्राधिकार की सीमा के भीतर अपनी शक्तियों का प्रयोग कर अपने कर्त्तव्यों का पालन करेगा। अधिनियम के तहत विवाह के पंजीकरण पर विवाह पंजीकरण प्रमणपत्र जरी किया जायेगा। यह विवाह प्रमाण पत्र एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है क्योकि यह दो व्यक्तियों के मध्य विवाह का विधिक प्रमाण है। 

विवाह का पंजीकरण कराना क्यों अनिवार्य है ?
हिन्दू विवाह अधिनियम 1955 से पहले भारत में विवाह से सम्बंधित कोई कानून नहीं बने थे, कानून न बनने  विवाह से सम्बंधित कई सरे अपराध होते है जैसे:-बाल विवाह,कम उम्र में विवाह,विवाह की कोई विधिक शर्ते नहीं थी अन्य। अब इन्ही पर लगाम लगाने के लिए 1955 में हिन्दू विवाह अधिनयम पारित किया गया जिसमे, विवाह से संबंधित कई कानून बने जिनके अंतर्गत ही हिन्दुओं में विवाह सम्पन्न हो सकता है। इस अधिनियम में धारा 5 के अंतर्गत विवाह की विधिक शर्तों का प्रावधान किया गया। धारा 8 के अंर्गत विवाह के पंजीकरण का प्रावधान किया गया। 

केंद्र सरकार द्वारा उत्तर प्रदेश में विवाह के सम्बन्ध में नियम लागु किये गए जिसके तहत उत्तर प्रदेश सरकार ने मुस्लिम समुदाय सहित राज्य में विवाह का पंजीकरण अनिवार्य कर दिया है। निम्नलिखित उद्देश्यों से की पूर्ति के लिए विवाह का पंजीकृत किया जाना अनिवार्य है। 
  1. समाज में बाल विवाह समाप्त कर विवाह की न्यूनतम उम्र निर्धारित करने के लिए। 
  2. समाज में हो रहे द्विविवाह जैसे अपराध को रोकने के लिए। 
  3. महिलाओं को अपने पति से रखरखाव एवं भरण पोषण के अधिकार से वंचित न होना पड़े। 
  4. विवाह पंजीकरण प्रमाण पत्र एक विधिक दस्तावेज के साथ विवाह का प्रमाण है। 
1. समाज में बाल विवाह को समाप्त कर विवाह की न्यूनतम उम्र निर्धारित करने के लिए। 
विवाह पंजीकरण अनिवार्य करने का मुख्य उद्देश्य बाल विवाह को समाप्त करना है, ताकि समाज में हो रहे बाल विवाह पर रोक लगाई जा सके। बाल विवाह यानी बच्चो की शादी, जिसमे 18 वर्ष की आयु पूरी होने से पहले लड़कियों का विवाह हो जाता है। 

बाल विवाह के कई सारे दुष्परिणाम होते है। 
  1. जिसमे सबसे गंभीर परिणाम कम उम्र में माँ बनना जो कि शारीरक रुप से पूर्ण विकास न होने पर बच्चे व् माता की मृत्यु हो जाना। 
  2. शारीरिक और मानसिक रूप से पूर्ण विकास नहीं हो पाता है। 
  3. कम उम्र में विवाह हो जाने के कारण अपनी जिम्मेदारियों का पूरी तरह से निर्वहन नहीं हो पाता। 
  4. एच ,आई. वी जैसे यौन संक्रमण के शिकार होने का खतरा हमेशा बना रहता है। 
बल विवाह के कारण कई हो सकते है जैसे :-
  1. समाज में शिक्षा का आभाव। 
  2. रूढ़िवादिता प्रथा का होना। 
  3. आर्थिक रूप से कमजोर होना। 
  4. समाज में लोगो के मस्तिक में अंधविश्वास का कब्जा। 
बाल विवाह को रोकने के लिए कानून। 
  1. हिन्दू विवाह अधिनियम की धारा 5 उप धारा 3 के तहत विवाह के लिए एक उम्र निर्धारित की गयी है जिसके अनुसार लड़के की उम्र विवाह के समय 21 वर्ष और लड़की की उम्र विवाह के समय 18 वर्ष होगी। 
  2. बाल विवाह प्रतिबन्ध अधिनियम की धारा 3 के तहत जो कोई भी व्यक्ति बाल विवाह करेगा जिसकी उम्र 18 वर्ष से कम और 21 वर्ष सर अधिक है वह बाल विवाह के लिए दंडित किया जायेगा, जो कि साधारण कारावास से दण्डित किया जायेगा जो की 15 दिनों तक की जेल की सजा या 1000 रु जुर्माना या दोनों से दण्डित किया जायेगा। 
  3. बाल विवाह प्रतिबन्ध अधिनियम की धारा 4 के तहत जो कोई भी व्यक्ति बाल विवाह करेगा जिसकी उम्र 21 वर्ष से अधिक की है वह बाल विवाह के लिए दण्डित किया जायेगा जो कि  3 महीने तक की जेल की सजा और जुर्माने से दण्डित किया जायेगा। 
  4. बाल विवाह की धारा 5 के तहत बाल विवाह करवाने पर 3 महीने तक की जेल की सजा और जुर्माने से भी दण्डित किया जायेगा और इस विवाह को शून्य घोषित किया जायेगा। 
  5. बाल विवाह प्रतिबन्ध अधिनियम की धारा 6 के तहत बाल विवाह में सम्बंधित माता पिता या अभिभावक को दण्डित किया जायेगा जो की 3 महीने तक की जेल की सजा और जुर्माने से दण्डित किया जायेगा। 
2. समाज में हो रहे द्विविवाह को रोकने के लिए। द्विविवाह यानी पति या पत्नी के जीवित रहते उनके जीवनकाल के दौरान दुबारा विवाह करना। भारतीय दंड संहिता की धारा 494 के तहत कोई भी वो चाहे पति हो या पत्नी यदि एक दूसरे के जीवित रहते या एक दूसरे के साथ जीवन व्यापन करते दौरान दूसरा विवाह करते है तो, ऐसा होने वाला विवाह शून्य घोषित किया जायेगा और ऐसा करने वाले पति या पत्नी को दण्डित  किया जायेगा, जो कि 7 साल तक जेल की सजा और जुर्माने से भी दण्डित किया जायेगा। 

3.महिलाओ को अपने पति से  रख्रखाव और भरण पोषण के अधिकार से वंचित न होना पड़े। 
विवाह प्रमाण पत्र एक महत्वपूर्ण विधिक दस्तावेज है जो कि दूल्हे और दुल्हन के विवाह का प्रमाण पत्र होता है। विवाह हो जाने के बाद हिन्दू उत्तराधिकरी अधिनियम के तहत पति की संपत्ति में पत्नी का भी उतना ही हक़ होता है जितना की उसके पति का हक़ होता है। हर एक पति का यह एक कर्तव्य होता है कि वह अपनी पत्नी और बच्चो का रखरखाव और भरण-पोषण करे। यदि कोई पति अपने इस कर्तव्य का पालन करने से मना करता है, तो ऐसे में उसकी पत्नी अपने पति से भरण पोषण पाने के लिए न्यायालय में न्यायिक कार्यवाही कर भरण पोषण की राशि जो न्यायालय द्वारा उसके पति की आय को देख कर निर्धारित की जाये वह राशि प्राप्त कर सकती है। 
                                                                            न्यायालय में भरण पोषण के लिए कार्यवाही करने पर विवाह से सम्बंधित दस्तावेजों में विवाह प्रमाण पत्र की आवश्यकता पड़ सकती है। 

4. विवाह पंजीकरण प्रमाण पत्र विवाह का प्रमाण होता है। 
हिन्दू विवाह अधिनियम की धारा 8 के तहत विवाह का पंजीकृत होना अनिवार्य है जिसके लिए पति और पत्नी को विवाह के बाद अपने राज्य के जिले में रजिस्ट्रार के कार्यालय में जा कर अपने विवाह को पंजीकृत कराना होगा। जिसके लिए एक फॉर्म भरना होगा जिसमे पति एवं पत्नी का विवरण होगा, विवाह के स्थान का विवरण और दो गवाहों की आवश्यकता होगी। रजिस्ट्रार के द्वारा विवाह पंजीकरण की प्रक्रिया पूरी करने के बाद विवाह पंजीकृत हो जायेगा और विवाह पंजीकरण प्रमाण पत्र पति-पत्नी को दे दिया जायेगा। इस विवाह प्रमाण पत्र में पति और पत्नी के विवाह का वर्णन होता है। जो की एक विधिक महत्वपूर्ण दस्तावेज होता है। 

उत्तर प्रदेश विवाह पंजीकरण नियम के तहत उत्तर  प्रदेश सरकार ने मुस्लिम समुदायों सहित राज्य में होने वाले विवाहों का पंजीकरण अनिवार्य कर दिया है। 

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