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सिविल प्रक्रिया संहिता की धारा 75 के तहत न्यायालय कमीशन कब और क्यों जारी करती है। when and why commission is issued by court

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नमस्कार दोस्तों,
आज के इस लेख में आप सभी को सिविल प्रक्रिया संहिता, की धारा 75 के बारे में बताने जा रहा हु जिसमे न्यायालय को यह शक्ति प्राप्त है की वह किसी भी वाद का संचालन सुचारु रूप से आगे बढ़ा सके उसके लिए  जैसा उचित समझे कमिशन जारी कर सकेगी।
सिविल प्रक्रिया संहिता की धारा 75 के तहत न्यायालय कमीशन कब और क्यों जारी करती है।  when and why commission is issued by court.


सिविल प्रक्रिया संहिता की धारा 75 के तहत न्यायालय कमीशन कब और क्यों जारी करती है। 
सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 की धारा 75 में वर्णित उद्देश्यों को पूरा करने के लिए न्यायालय को यह पूर्ण रूप से अधिकार प्राप्त है कि वह कमीशन जारी कर सकेगा जो न्यायालय की विवेकाधीन शक्ति है। किसी भी वाद का संचालन सुचारु रूप से आगे बढ़ाने के लिए सिविल प्रक्रिया संहिता के अंतर्गत अनुषांगिक  कार्यवाही का उपबंध किया गया जिसके तहत न्यायालय कको यह शक्ति प्रदान की गयी है कि वह वाद के संचालन को सुचारु रूप से आगे बढ़ा सके यदि न्यायालय जैसा ठीक समझे अधिनियम की धारा 75 में लिखित उद्देश्यों की पूर्ति के लिए कमीशन जारी कर सकेगा।

धारा 75 में वर्णित उद्देश्य क्या है ?
धारा 75 में वे उद्देश्य वर्णित है जिनके तहत न्यायालय अपने विवेकाधीन शक्ति का प्रयोग कर कमीशन जारी कर सकेगा :-
ऐसी शर्तो और परिसीमाओं के अधीन रहते हुए, जो विहित की जाये न्यायालय कमीशन जारी कर सकेगा जैसे कि :-

  1. किसी व्यक्ति की परीक्षा के लिए,
  2. स्थानीय अन्वेषण ( जाँच पड़ताल) करने के लिए,
  3. लेखाओं की परीक्षा या उसनका समायोजन करने के लिए,
  4. विभाजन करने के लिए ,
  5. कोई वैज्ञानिक, तकनिकी या विशेषज्ञ जाँच पड़ताल करने के लिए,
  6. कोई अनुसचिवीय कार्य के करने लिए,
  7. ऐसी संपत्ति की बिक्री करने के जो शीघ्र और प्रकृति क्षयशील है जो वाद के लंबित रहने तक न्यायालय की अभिरक्षा में है। 
1.किसी व्यक्ति के परीक्षा करने के लिए कमीशन जारी करना। किसी व्यक्ति की परीक्षा करने के लिए न्यायालय कमीशन ऐसी स्थित में जारी करेगा जहाँ किसी व्यक्ति को न्यायालय सदन में उपस्थित होने से छूट मिली हुई है जैसे  जो व्यक्ति बीमारी से ग्रसित है, विकलांग होने की दशा में न्यायालय सदन में उपस्थित नहीं हो सकता है, किसी व्यक्ति की परीक्षा करने के लिए न्यायालय कंश तभी जारी करेगा जब ऐसा करना आवश्यक समझे और परीक्षा करने के कारणों को लिखा जायेगा। 
न्यायालय स्वयं या किसी पक्षकार या उस साक्षी के आवेदन करने पर जिसका परिक्षण किया जाना है उन व्यक्तियों की परीक्षा करने का आदेश जारी कर सकेगा, लेकिन साक्षी के द्वारा आवेदन करने पर ऐसा आवेदन शपथ पत्र के साथ होना चाहिए। 

2. स्थानीय जाँच पड़ताल करने के लिए कमीशन जारी करना। जहाँ किसी वाद में न्यायालय जब यह उचित समझे की स्थानीय जाँच पड़ताल करना आवश्यक है ताकिनिम्न उद्देश्यों की पूर्ति हो सके, तो न्यायालय उस स्थान की जाँच करने के लिए कमीशन जारी कर सकेगा। 
  1. किसी विवादित विषय के स्पष्टीकरण के लिए,
  2. किसी संपत्ति का बाजार मूल्य सही जानने के लिए,
  3. अन्तः कालीन लाभ, वार्षिक शुद्ध लाभ या नुकसानी की पुष्टिकरण करने के लिए। 
3. लेखाओं के परिक्षण या उनका समायोजन करने के लिए कमीशन जारी करना। जहाँ न्यायालय ऐसे किसी भी वाद में आवशयक समझे जिमसे लेखाओं का परिक्षण या समायोजन करना है उसके लिए कमीशन जारी कर सकेगा। कमिश्नर की कार्यवाहियाँ और रिपोर्ट उस वाद में साक्ष्य होगी। लेकिन यदि न्यायालय के पास उन कार्यवाहियों और रिपोर्ट से असंतुष्ट होने के पर्याप्त कारण है,तो ऐसे में न्यायालय जैसे उचित समझे अतिरिक्त जाँच करने के आदेश जारी कर सकेगा। 

4. विभाजन करने के लिए कमीशन का जारी करना। जहाँ किसी वाद में न्यायालय द्वारा  विभाजन करने के लिए प्रारंभिक डिक्री पारित कर दी गयी है वहां न्यायालय किसी मामले में जिसके लिए अधिनियम की धारा 54 उपबंध नहीं किया गया है , ऐसी पारित की गई डिक्री में घोषित अधिकारों के तहत विभाजन करने के लिए ऐसे व्यक्ति के नाम जिसे न्यायालय उचित समझे कमीशन जारी कर सकेगा। 

5. किसी वैज्ञानिक , तकनीकी या विशेषज्ञ जाँच करने के लिए कमीशन जारी करना। 1976 में सिविल प्रक्रिया संहिता में संशोधन कर इस प्रकार की कमीशन जारी करने का अधिकार न्यायालय को दिया गया जिसके  अधीन, जहाँ किसी वाद में न्यायालय यह उचित समझता है की ऐसे वाद ऐसे सवाल उतपन्न हो सकते है जिसमे वैज्ञानिक जाँच पड़ताल की आवशयक है और जो न्यायालय द्वारा सुविधा पूर्वक नहीं किया किया जा सकेगा और ऐसी वैज्ञानिक जाँच जो न्याय हित में है उसके लिए कमीशन जारी कर सकेगा। उस वाद में कमिश्नर ऐसे वैज्ञानिक सवालो की जाँच करेगा और उस सवाल की रिपोर्ट न्यायालय सदन में पेश करेगा। 

6. कोई अनुसचिवीय कार्य करने के लिए कमीशन का जारी करना। जहा किसी वाद में ऐसे सवाल उतपन्न हो सकते है जिसमे ऐसा अनुसचिवीय कार्य करना आवश्यक है जो की न्यायालय की राय में न्यायालय के समक्ष सुविधापूर्वक नहीं किया जा सकता, तो  न्यायालय जैसा उचित समझे ऐसा कार्य करने के लिए कमीशन जारी कर सकेगा और न्यायालय कमिश्नर को ऐसा आदेश देगा कि जो रिपोर्ट आएगी वह न्यायालय में पेश करेगा। 

7.  ऐसी संपत्ति जो शीघ्र और प्रकृति क्षयशील है उसकी बिक्री के लिए कमीशन जारी करना। जहाँ वाद किसी ऐसी संपत्ति को लेकर है जो शीघ्र और प्रकृति क्षयशील है जिसे न्यायालय द्वारा सुविधापूर्वक संरक्षित नहीं किया जा सकता और क्षयशील प्रकृति होने के कारण उस संपत्ति की बिक्री होना आवश्यक है, तो ऐसे में न्यायालय उस संपत्ति की बिक्री हेतु कमीशन जारी कर सकेगा। 

1 comment:

  1. dhara 75 commission ki application kya evidence say pehlay laga sakte hain

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