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नमस्कार दोस्तों,
आज के इस लेख में आप सभी को "परिसीमा अधिनियम की धारा 5 " के बारे में बताने जा रहा हु जिसमे इस बात का प्रावधान किया गया है कि यदि पक्षकार आवेदन या अपील समय सिमा के भीतर दाखिल नहीं कर पाया है, अगर न्यायालय यह उचित समझता है कि अपील या आवेदन समय सिमा पर दाखिल न करने के पक्षकार के पास पर्याप्त कारण थे तो न्यायालय विलंम्ब की अवधि को माफ़ कर देर से दाखिल किये गए आवेदन या अपील को स्वीकार कर सकती है। आवेदन या अपील दाखिल करने की समयसीमा प्रायः 3 माह या 90 दिनों की होती है लेकिन कभी क्या होता है की पक्षकारों के पास इस समय सिमा में आवेदन या अपील दाखिल न कर पाने का ऐसा कारण होता है , जो की वे कारण पक्षकारो के नियंत्रण से बाहर होते है तो आवेदन या अपील देर से दाखिल करने के लिए धारा 5 अधिनियमित की गयी ताकि इन दिक्कतों को दूर किया जा सके।
लेकिन ध्यान देने की यह बात है कि परिसीमा अधिनियम की धारा 5 वादों पर लागु नहीं होती है, क्योकि वाद लाये जाने की समयसीमा 3 वर्ष से 12 वर्ष की होती है।
जहाँ आवेदन या अपील दाखिल करने की समयसीमा विधि द्वारा निर्धारित की गयी है वहाँ आवेदन या अपील उसी निर्धारित समयसीमा के भीतर ही दाखिल करना चाहिए। लेकिन कभी ऐसा भी होता है कि आवेदन या अपील कुछ पर्याप्त कारण जो की पक्षकारो के नियंत्रण के बाहर होती है इनके कारण से आवेदन निर्धारित समय पर दाखिल नहीं नहीं हो पाते वहाँ अपीलीय न्यायालय को या विवेक प्राप्त है कि वह इस देरी को माफ़ कर सके।
लेकिन अपील करने वाले पक्षकारो को पर्याप्त कारण बता कर यह साबित करना होता है कि आवेदन या अपील करने में देरी क्यों हुई ?
एक कारण पर्याप्त कारण कब होगा ?
- कारण ऐसा था जो कि पक्षकारों के नियंत्रण से बाहर था।
- यदि पक्षकार सतर्क या सावधान भी रहता, तो भी आवेदन या अपील न दाखिल कर पाता।
- पक्षकार सतर्कता या उपेक्षा का दोषी न होना चाहिए।
- पक्षकार का आशय सदभावनापूर्ण होना चाहिए।
अब हम बात करेंगे पर्याप्त कारणों के बारे में।
परिसीमा अधिनियम की धारा 5 के तहत पर्याप्त कारणों के कुछ उदाहरण।
1. अस्वस्थता और बीमारी - अस्वस्थता और बीमारी पर्याप्त कारण हो सकते है या नहीं ये बीमारी की प्रकृति पर निर्भर करता है। यदि पक्षकार किसी ऐसे रोग से ग्रसित हो गया था जिसमे वह कही आने जाने में असमर्थ था और ऐसी बीमारी को पक्षकार साबित करने में सफल हो जाता है की वह अपनी इस बीमारी के चलते अस्वस्थ होने के कारण विधि द्वारा निर्धारित समयसीमा के भीतर आवेदन या अपील दाखिल करने में असमर्थ रहा तो, न्यायालय बीमारी के साबित होने पर विलम्ब से दिए गए आवेदन या अपील को स्वीकार कर सकती है।
यदि पक्षकार ने आवेदन या अपील दाखिल करने की जिम्मेदारी अपने वकील को दी है और आवेदन या अपील दाखिल करने की समयसीमा के भीतर वकील बीमार या अस्वस्थ हो जाता है और इस बात की जानकारी पक्षकार को नहीं, तो ऐसी स्तिथि में वकील की बीमारी भी एक पर्याप्त कारण होगा और विलम्ब माफ़ करने का एक पर्याप्त कारण माना जायेगा।
2. कारावास - कारावास एक पर्याप्त कर हो सकता है जिसमे पक्षकार को यह साबित करना होगा की कारावास के कारण कुछ ऐसी परिस्थिति उतपन्न हो गयी थी जिनके कारण विधि द्वारा निर्धारित समयसीमा के भीतर आवेदन या अपील दाखिल करने में देरी हो गयी। पक्षकार को कारावास के कारण के साथ साथ असमर्थता के कारण को भी साबित करना होगा।
3. दुःखद घटना - यदि पक्षकार के यहाँ कोई दुःखद घटना घटिति हो गयी थी जिसके कारण वह समयसीमा के भीतर आवेदन या अपील दाखिल न कर पाया, तो यह भी एक पर्याप्त कारण माना जायेगा की पक्षकार इस दुःखद परिस्तिथियों के कारण विधि द्वारा निर्धारित किये गए समयसीमा के भीतर आवेदन या अपील दाखिल करने में असमर्थ था।
4. वकील की भूल - यदि पक्षकार के वकील द्वारा आवेदन या अपील दाखिल करने की समयसीमा की गिनती करने में गलती हो गयी और पक्षकार को आवेदन या अपील करने की जो अंतिम तिथि जो बताई वह सही नहीं थी जिसके कारण विधि द्वारा निर्धारित की गयी समयसीमा के भीतर आवेदन या अपील दाखिल करने में विलम्ब हुआ था।
यदि पक्षकार के वकील को आवेदन या अपील दाखिल करने के लिए जरुरी दस्तावेज समयसीमा के भीतर दिए गए थे लेकिन जहा वकील अपनी व्यस्तता या भूल के कारण समयसीमा के भीतर दाखिल नहीं कर पाया। यदि वकील की यह भूल सदभावनापूर्ण है और पर्याप्त सावधानी बरतने और ध्यान देने के बावजूद देरीहुयी तो ऐसी देरी को माफ़ किया सकता है।
Apilarthi 5 sal wad civi apil pesh kiya ki use wad patr me pchkar nhi banaya gaya tha
ReplyDeleteApeel pesh karne ke 20 din pahle uske bhai dhara 4 sal purani dikree ki chhaya prati diya usi satprati photocopy aapil ke santh pesh kar diya dhara 5 ka avedan waps leliya
Ab bataye aapil kaise kharij ho