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भारतीय दण्ड संहिता की धारा 312 से लेकर 318 क्या कहती है

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नमस्कार दोस्तों,
आज के इस पोस्ट में आप  सभी को भारतीय दण्ड संहिता की धारा 312 से लेकर 318 के बारे में बताने जा रहा हु जिसमे गर्भपात के बारे में बताया गया है और ऐसे अपराध में सजा का क्या प्रावधान किया गया  है।  यदि किसी भी गर्भवती महिला का उसकी मर्जी के  बिना गर्भपात किया जाता है तो यह अपराध होगा।  यदि ऐसा गर्भपात माँ की जान को बचाने के आशय से किया जाता है तो यह कार्य अपराध की श्रेणी में नहीं आता है।

भारतीय दण्ड  संहिता की धारा 312 से लेकर 318 क्या कहती है।

1.धारा 312 गर्भपात कारित करना - जो कोई भी व्यक्ति किसी गर्भवती महिला का उसकी मर्जी से गर्भपात करेगा, लेकिन जहाँ ऐसा गर्भपात यदि उस गर्भवती स्त्री के जीवन को बचाने के उद्देश्य से सद्भावपूर्वक किया जाता है यानी अच्छी नियत से जहाँ उस गर्भवती स्त्री की जान बचा सकने यही एक रास्ता है तो ऐसा किया गया गर्भपात अपराध की श्रेणी में नहीं आएगा। लेकिन यही गर्भपात यदि बिना किसी उचित कारण के किया जाता है जहाँ ऐसी कोई परिस्थिति नहीं है जिसके कारण गर्भवती स्त्री के जीवन को संकट है, तो ऐसा किया गया गर्भपात उस गर्भवती स्त्री की इच्छा से भी किया जाता है तो यह अपराध श्रेणी में आएगा और अधिनियम के तहत कार्य करने वाले और करवाने वाले को दण्डित किया जायेगा। 

गर्भपात करने वाले व्यक्ति को तीन साल तक की जेल की सजा और जुर्माना या दोनों सजा से दण्डित किया जायेगा।  
यदि गर्भवती महिला के गर्भ में पल रहा बच्चा भूर्ण है (स्पन्दनगर्भा) और ऐसे में उसका गर्भपात हो तो, ऐसे में अपराधी को सात साल की जेल की सजा और जुर्माना से दण्डित किया जायेगा।  

2.धारा 313 स्त्री की सम्मति के बिना गर्भपात करना -  यदि कोई भी व्यक्ति गर्भवती महिला की उसकी सहमति के बिना उसका गर्भपात करवाता है चाहे उस महिला के पेट में भूर्ण हो या नहीं, और धारा 312 के अंतर्गत यदि कोई व्यक्ति किसी गर्भवती महिला का गर्भपात करवाता है, जहाँ यदि यह गर्भपात उस महिला के जीवन बचाने के उद्देश्य से सद्भावपूर्वक  नहीं किया जाता है, तो ऐसे में यह अपराध माना  जायेगा जो की दण्डनीय  है।
दोषी व्यक्ति को आजीवन कारावास की सजा होगी या ऐसा कारावास जिसकी अवधि दस साल तक की होगी जुर्माने से भी दण्डनीय  होगा।
यह एक गैर जमानती अपराध है और यह संज्ञेय अपराध भी माना  गया है।  

3.धारा 314 गर्भपात कारित करने के आशय से किये गए कार्यों द्वारा मृत्यु -  यदि कोई व्यक्ति किसी गर्भवती महिला का गर्भपात करने के इरादे से कोई ऐसा कार्य करता है या करेगा, जिससे उस गर्भवती महिला की मृत्यु हो जाती है, तो ऐसा अपराध करने वाले व्यक्ति को दण्डित क्या जायेगा जिसकी अवधि दस साल तक की करवास की सजा और जुर्माने से दण्डित किया जायेगा।  

यदि गर्भपात उस गर्भवती महिला की उसकी सहमति के बिना किया जाता है और ऐसे में उसकी मृत्यु हो जाती है तो ऐसा करने वाले दोषी व्यक्ति को आजीवन कारावास की सजा से दण्डित किया जायेगा या 10 साल तक कारावास की सजा से और जुर्माने से दण्डित किया जायेगा। 

4.द्वारा 315 शिशु का जीवित पैदा होने से रोकने या जन्म के पश्चात उसकी मृत्यु कारित करने के आशय से किया गया कार्य - यदि कोई व्यक्ति किसी शिशु के जन्म से पहले ऐसा कोई कार्य इस इरादे से करता है की वह पैदा होने वाला शिशु जीवित पैदा न हो सके या उस शिशु के जन्म के बाद ऐसा कोई कार्य करता है जिसकी वजह से उस शिशु की मृत्यु हो जाती है,या ऐसा कोई कार्य जो कि उस पैदा होने वाले शिशु को पैदा होने से रोकता है या ऐसा कार्य जो सद्भावपूर्वक नहीं किया जाता है जिसमे वह कार्य माता की जान बचाने के उद्देश्य से नहीं है यानी गर्भपात नहीं किया गया तो माँ की जान को संकट है, तो ऐसा किया गया प्रत्येक कार्य अपराध होगा और अधिनियम के तहत दंडनीय है जो की दस साल की कारावास की सजा और जुर्माने से दण्डित किया जाएगा।
  
5.धारा 316 ऐसे  कार्य द्वारा जो आपराधिक मानव वध की कोटि में आता  है , किसी सजीव अज्ञात शिशु की मृत्यु कारित करना -  यदि कोई व्यक्ति किसी जीवित शिशु या अजन्मे शिशु की मृत्यु करता है ,तो वह एक आपराधिक मानव वध का दोषी माना जायेगा और वह दंडनीय होगा जो की उस दोषी व्यक्ति को दस साल का कारावास और जुर्माने से दण्डित किया जायेगा।

क, यह जानते हुए भी ऐसा कार्य करता है जिसके कारण से गर्भवती महिला की मृत्यु हो सकती है और यदि उस कार्य से उस गर्भवती महिला की मृत्यु हो जाती है, तो ऐसा किया गया अपराध मानव वध की श्रेणी में आएगा।  यदि व्यक्ति के द्वारा किये गए कार्य से उस गर्भवती महिला की मृत्यु न होकर उसको क्षति पहुँचती है लेकिन उस कार्य के द्वारा उस महिला के  गर्भ में पल रहे अजन्मे शिशु की मृत्यु हो जाती है, तो मानव वध अपराध का दोषी होगा। 

6.धारा 317 शिशु के पिता य माता या उसकी देख रेख रखने वाले व्यक्ति द्वारा बारह वर्ष से काम आयु के शिशु का आरक्षित स्थान में दाल दिया जाना और परित्याग -  यदि कोई माता पित्य अपने बारह वर्ष से काम आयु वाले शिशु या उस शिशु की देख रेख रखने वाले व्यक्ति के द्वारा उस शिशु को पूर्णतः परित्याग करने के आशय से उस शिशु को किसी ऐसे आरक्षित स्थान में दाल दिया जाता है या वहाँ छोड़ दिया जाता है , तो ऐस में उस व्यक्ति को दस साल की अवधि तक कारावास की सजा और जुर्माने से दण्डित किया जायेगा।

7.धारा  318 मृत शरीर के गुप्त अंग व्ययन द्वारा जन्म छिपाना -  यदि कोई व्यक्ति किसी शिशु के मृत शरीर को गुप्त रूप से कही किसी स्थान में गाड़ देता है या व्ययन करता है, उस शिशु की मृत्यु जन्म से पहले, जन्म के बाद या जन्म के दौरान होती है या हुई है  और ऐसे जन्म को छिपाने का प्रयास करेगा या  करता,तो ऐसे में दोषी व्यक्ति को दण्डित किया जाएगा, जो की दो साल की अवधि तक कारावास की सजा या जुर्माने से दण्डित किया जायेगा। 

अधिक जानकारी के लिए वीडियो देखे :-👇👇👇👇👇👇👇👇👇👇👇👇👇

2 comments:

  1. meri wife ne mayeke me jaker apna 5 mahine ka abortion krwa lya h or uska blame mere upar dalker crpc 125 kr dya h, mai ye puchna chahta hu ki supreme court ka order h ki husband ki bina consent ki or bina koi reason k wife apna abortion krwa sakti h jabki ye hamara pehle baby tha, plz ph krke saggest kare mai bahot parsaan hu
    9213975826 wtsapp

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    1. क्या आपने इस घटना को लेकर एफ़॰आई॰आर॰ दर्ज कराई ?

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