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पुलिस किसी भी व्यक्ति को बिना वारण्ट के कब गिरफ्तार कर सकती when police can arrest a person without warrant.

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नमस्कार दोस्तों,
आज  के इस लेख में आप सभी को "दंड प्रक्रिया संहिता-1973 की उन धाराओं के बारे में बताने जा रहा हु, जिसमे यह प्रावधान किया गया है कि  पुलिस को यह पूर्ण अधिकार है कि वह विश्वशनीय सूचना के आधार किसी भी व्यक्ति को बिना किसी वारण्ट के गिरफ्तार कर सकती है। जिसके लिए पुलिस को उस क्षेत्राधिकारिता के मजिस्ट्रेट की अनुमति के बिना उस व्यकित को गिरफ्तार करने पूरा अधिकार है। 

 पुलिस किसी भी व्यक्ति को बिना वारण्ट के कब गिरफ्तार कर सकती  when police can arrest a person without warrant.

दंड प्रक्रिया संहिता की किन धाराओं में प्रावधान किया गया है कि पुलिस बिना वारण्ट के किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार कर सकती है ?
दंड प्रक्रिया संहिता 1973 में कुछ ऐसी ही धाराएं है जिनके अंतर्गत पुलिस अधिकारी बिना मजिस्ट्रेट के आदेश या फिर बिना वारण्ट के व्यक्ति को गिरफ्तार कर सकते है। ऐसे सामान्य नियम तो यह है कि किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार करने से पहले पुलिस अधिकारी को उस क्षेत्राधिकारिता के मजिस्ट्रेट की अनुमति लेनी होगी उसके बाद ही उस अमुक व्यक्ति को गिरफ्तार कर सकती है।
बिना वारण्ट के गिरफ़्तारी के लिए संहिता की धारा:-
  1. धारा 41- पुलिस बिना वारंट के कब गिरफ्तार कर सकेगी-
  2. धारा 42 -नाम और निवास बताने से इंकार करने पर गिरफ़्तारी-
  3. धारा 123(6)- जब रिहा करने का सशर्त आदेश रद्द कर दिया गया हो -
  4. धारा 151 - संज्ञेय अपराध को किये जाने से रोकने के लिए -
  5. धारा 432 - दण्डादेश का निलंबन या परिहार रद्द होने पर गिरफ़्तारी -
इन सब धाराओं को विस्तार से जानने से पहले हम जान ले कि गिरफ़्तारी का अर्थ क्या है। 

गिरफ़्तारी का अर्थ क्या है ?
दंड प्रक्रिया संहिता 1973 में गिरफ़्तारी को परिभाषित नहीं किया गया है, साधारणतः गिरफ्तारी से मतलब यह है कि किसी व्यक्ति को विधि अनुसार उसकी निजी स्वतंत्रता से वंचित करना है, जिसमे किसी व्यक्ति को स्पर्श कर या उसके शरीर को रोक कर की जाती है। अधिनियम की धारा 46 में गिरफ़्तारी कैसे की जाएगी उसके बारे में बताया गया है।

धारा 46- गिरफ़्तारी कैसे की जाएगी। 
संहिता की धारा 46 में गिरफ़्तारी कैसे की जाएगी इसका प्रावधान किया गया है। किसी व्यक्ति की गिरफ़्तारी पुलिस अधिकारी या अन्य व्यक्ति द्वारा की जा रही है, गिरफ्तार किए जाने वाले व्यक्ति के शरीर को स्पर्श करके या रोककर की जाएगी। यदि गिरफ्तार किये जाने वाले व्यक्ति ने अपने आप अभिरक्षा के लिए आत्मसमर्पण कर  दिया है, तो ऐसा स्पर्श या रोकना आवश्यक नहीं है।

लेकिन जहाँ किसी स्त्री की गिरफ़्तारी की बात है वहाँ जब तक कि परिस्थितियों में इसके विपरीत उपदर्शित न हो गिरफ़्तारी की मौखिक सूचना पर अभिरक्षा  समपर्ण कर देने की उपधारणा की जाएगी और जब तक की परिस्थितयों में अन्यथा अपेक्षित न हो या जब तक महिला पुलिस अधिकारी उस गिरफ़्तारी में मौजूद न हो, तब तक पुलिस अधिकारी महिला को गिरफ्तार करने के लिए उसके शरीर को नहीं छुएगा।

गिरफ़्तारी के लिए बल प्रयोग- यदि पुलिस द्वारा गिरफ़्तारी किये जाने के लिए बल -प्रयोग करना आवश्यक हो जाए तो उतने ही बल का प्रयोग कियाज जायेगा जितने बल प्रयोग से उस व्यक्ति की गिरफ़्तारी हो सके।
यदि कोई व्यक्ति गिरफ़्तारी का विरोध करता है या भागता है, तो उसकी गिरफ़्तारी के लिए पुलिस समस्त साधनों का प्रयोग क्र सकती है जिसके अंतर्गत अन्य व्यक्तियों की सहायता भी शामिल है।

गिरफ़्तारी पर बल प्रयोग द्वारा मृत्यु कब की जा सकती है - किसी ऐसे व्यक्ति की गिरफ़्तारी करने के लिए बल प्रयोग द्वारा मृत्यु केवल तभी की जा सकती है जब उस व्यक्ति पर मृत्यु या आजीवन कारावास से दाण्डीय अपराध का आरोप लगा हो और वह बचकर भाग निकलने की कोसिस में हो।

पुलिस कब बिना वारण्ट के व्यक्ति को गिरफ्तार कर सकती है
संहिता की निम्न धाराओं के अंतर्गत पुलिस व्यक्ति को बिना वारण्ट के गिरफ्तार कर सकती है।

धारा 41 - कब पुलिस बिना वारण्ट के गिरफ्तार कर सकती है - दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 41 में निम्नलिखित परिस्थितयों का वर्णन किया गया है जिसमे पुलिस अधिकारी बिना वारण्ट के बिना मजिस्ट्रेट के आदेश किसी ऐसे व्यक्ति को गिरफ्तार कर सकता है -

1. जो पुलिस अधिकारी की उपस्थिति / मौजूद्गी / सामने कोई संज्ञेय अपराध करता है।

2. ऐसा व्यक्ति जिसके के खिलाफ उचित शिकायत की जा चुकी है या विश्वास करने योग्य कोई सूचना प्राप्त हो चुकी है या उचित संदेश विद्यमान है की उस व्यक्ति ने ऐसी अवधि के कारावास से दंडनीय संज्ञेय अपराध किया है, जो की 7 साल से कम या 7 साल से अधिक तक कारावास हो सकती है, यह चाहे जुर्माना सहित हो या नहीं, यदि निम्न शर्तों का समाधान कर दिया जाता है, जो कि-
  1. पुलिस अधिकारी के पास ऐसे परिवाद की सूचना के आधार पर यह विश्वास करने का कारण है की उस व्यक्ति ने उक्त अपराध किया है। पुलिस अधिकारी समाधान हो गया है की ऐसी गिरफ़्तारी ऐसी व्यक्ति को कोई अपराध करने से रोकने के लिए आवश्यक है,
  2. अपराध की उचित जाँच के लिए,
  3. ऐसे व्यक्ति को ऐसे अपराध से सम्बंधित साक्ष्य को गायब करने से या ऐसे साक्ष्य के साथ किसी भी तरह से छेड़खाड़ करने से रोकने के लिए,
  4. उस व्यक्ति को किसी ऐसे व्यक्ति को, जो मामले के तथ्यों से परिचित है, उत्प्रेरित करने या धमकी देने या उससे ऐसा वादा करने के लिए जिसमे उसे न्यायालय या पुलिस अधिकारी को ऐसे तथ्यों को प्रकट  मनाया जा सके रोका जा सके,
  5. क्योकि जब तक ऐसा व्यक्ति गिरफ्तार नहीं किया जाता है , उसकी न्यायालय में हाजिर होना जब कबि भी आवश्यकता हो, सुनिश्चित नहीं की जा सकती है और पुलिस अधिकारी ऐसी गिरफ़्तारी करने के दौरान ऐसे करने को लिखेगा,
  6. जो या तो संहिता के अधीन या राज्य सरकार के आदेश द्वारा अपराधी घोषित कर दिया गया है,
  7. जिस व्यक्ति के कब्जे में कोई ऐसी चीज पाई जाती है जिसके चुराई हुई समपत्ति होने का उचित रूप से सन्देश किया जा सकता है और जिस पर ऐसी चीज के बारे में अपराध करने का उचित रूप से संदेह किया जा सकता है,
  8. कोई ऐसा व्यक्ति जो पुलिस अधिकारी को उसके कर्तव्य के पालन करने में बाधा पहुँचाता है, जो विधि पूर्ण अभिरक्षा में से निकल भागा है या निकल भागने की कोसिस करता है,
  9. जिस पर संध सशस्त्र बलों में से किसी को छोड़कर कर भागने का उचित संदेह है,
  10. कोई ऐसा व्यक्ति जो कि भारत से बाहर किसी स्थान में ऐसी किसी कार्य किये जाने से, जो की यदि भारत में किया गया होता तो अपराध के रूप में दंडनीय होता, और जिसके लिए वह प्रत्यर्पण विधि के अधीन है या जो ऐसे अपराध के सम्बन्ध में गिरफ्तार किये जाने के दायित्वधीन या भारत में पकडे जाने का या अभिरक्षा में निरुद्ध किए जाने का भागी है, संबद्ध रह चुका है या जिसके खिलाफ  उचित परिवाद चुका है या विश्वसनीय सूचना प्राप्त हो चुकी है या उचित संदेह विद्यामन है कि  वह ऐसे सम्बद्ध रह चूका है। 
  11. कोई ऐसा छोड़ा गया सिद्धदोष व्यक्ति जो किन्ही ऐसे नियमो को भंग करता है, जो की 356 की उपधारा (5 )  के अधीन बनाई गयी है। 
  12. कोई ऐसा व्यक्ति जिसकी गिरफ़्तारी के लिए किसी अन्य पुलिस अधिकारी से लिखित या मौखिक मांग की गयी है। लेकिन यह जब तक कि मांग में उस व्यक्ति का जिसे गिरफ्तार किया जाना है, और उस अपराध का या अन्य कारणों का जिसके लिए गिरफ़्तारी की जानी है, विनिर्देश है और उसमे यह दर्शित होता है कि मांग करने वाले अधिकारी द्वारा वारण्ट के बिना वह व्यक्ति विधिपूर्वक गिरफ्तार किया जा सकता है। 
धारा 42 नाम और निवास बताने से इंकार करने पर गिरफ़्तारी- दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 42 नाम और निवास बताने से मना करने पर गिरफ्तार करने का प्रावधान करती है कि जब कोई व्यक्ति पुलिस की उपस्थिति में असंज्ञेय अपराध करता है या जिस पर पुलिस अधिकारी की उपस्थिति में असंज्ञेय अपराध करने का आरोप लगाया गया है उस अधिकारी की मांग पर अपना नाम और निवास बताने पर मना करता है या ऐसा नाम और निवास बताता है जिसके बारे में उस अधिकारी को यह विश्वास है की उसके द्वारा बताया गया नाम और निवास गलत है, तब वह ऐसे अधिकारी द्वारा इसलिए गिरफ्तार किया जा सकता है कि  उसका नाम और निवास सही मालूम किया जा सके।

धारा 123 (6)-  जब रिहा करने का सशर्त आदेश रद्द कर दिया गया है- जब किसी व्यक्ति को किसी शर्त पर रिहा किया गया हो और वह व्यक्ति ऐसी शर्तो को पूरा नहीं करता तो पुलिस अधिकारी बिना वारण्ट के उस व्यक्ति को गिरफ्तार कर सकता है। धारा 117 के अधीन किसी कार्यपालिक मजिस्ट्रेट द्वारा पारित आदेश की दशा में जिला मजिस्ट्रेट मामलो में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ऐसे रिहाई के आदेश को रद्द कर सकेगी।

धारा 151- संज्ञेय अपराध को रोकने के लिए गिरफ़्तारी-  जब किसी पुलिस अधिकारी जिसे किसी संज्ञेय अपराध किये जाने के बारे में जनता है, ऐसे अपराध करने वाले व्यक्ति को मजिस्ट्रेट के आदेश के बिना और वारण्ट के बिना उस दशा में गिरफ्तार कर सकता है जिसमे ऐसे अधिकारी को प्रतीत होता है कि अपराध का किया जाना किसी अन्य तरीके से नहीं रोका जा सकता।

धारा 432- दण्डादेश का निलंबन या परिहार रद्द होने पर गिरफ़्तारी- ऐसे व्यक्ति जिसके दण्डादेश का निलंबन या परिहार किया गया था सरकार  ने रद्द कर दिया है तो उस व्यक्ति को पुलिस अधिकारी द्वारा बिना वारण्ट के उस व्यक्ति को गिरफ्तार कर सकती है। 

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