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भारत में कर्मचारियों के मूल अधिकार ? What are the basic right of employee in India?

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नमस्कार मित्रों,

आज के इस लेख में हम भारत में कर्मचारियों के मूल अधिकारों के बारे में। प्रत्येक कंपनी, कारखाने, फैक्ट्री और प्रत्येक कार्यस्थल में कार्य करने वाले कर्मचारियों को अधिकार प्रदान किये गए, इन अधिकारों के प्राप्त होने पर उन्हें यह भरोसा है, कि जहाँ कार्यस्थल पर वे कार्य कर रहे है, यह जगह कार्य के लिए उचित व् सुरक्षित है।  

भारतीय संविधान के अनुछेद 14 के अंतर्गत सभी भारतीय नागरिकों को मूल अधिकार प्रदान किये गए है और वही अनुछेद 21 के अंतर्गत व्यक्तिगत जीवन और स्वतंत्रता का अधिकार प्रदान किया गया है। 

ऐसे ही कई अधिकार है, जो भारतीय विधि के अंतर्गत प्रत्येक कर्मचारी को प्राप्त है। प्रत्येक कर्मचारियों को अपने इन मूल अधिकारों की जानकारी होनी चाहिए। 


India mein employees ke adhikar ? ( What are the basic right of employee in India?)


भारत में कर्मचारियों के मूल अधिकार।  Right of Employees in India.
1. कर्मचारी संविदा / कर्मचारी  एग्रीमेंट /  employee  Agreement: 

कर्मचारी एग्रीमेंट एक ऐसा महत्वपूर्ण लिखित दस्तावेज है, जो की प्रत्येक कंपनी, फर्म, कारखाने, फैक्ट्री के नियोक्ता और उनके कर्मचारियों के मध्य होता है। इस एग्रीमेंट में कार्य को लेकर कुछ नियम व् शर्ते लिखी होती है , जिनपर कर्मचारी अपनी स्वतंत्र सहमती देता है। यानी इस एग्रीमेंट में नियोक्ता और कर्मचारी दोनों के हस्ताक्षर होते है।  यह एग्रीमेंट दोनों पक्षकारों की सुरक्षा की को लेकर बनते है। 

प्रत्येक कार्यस्थल के नियोक्ता द्वारा उस कार्यस्थल में काम करने वाले कर्मचारियों की नियुक्ति के समय यह एग्रीमेंट होता है। 

लिखित एग्रीमेंट दोनों पक्षकारों को सुरक्षा प्रदान करता है, जिसके तहत दोनों अपने कर्तव्यों का पालन बहुत अच्छे से करते है।   

यदि नियोक्ता और कर्मचारी के मध्य किसी बात  को लेकर विवाद उत्पन्न होता है, तो यह लिखित एग्रीमेंट दोनों के मध्य उत्पन्न हुए  विवाद का समाधान करने में मुख्य भूमिका निभाता है।   


2. लोक नियोजन के विषय में अवसर की समता।  

भारतीय संविधान के अनुछेद 16 लोक नियोजन के विषय में अवसर की समता का अधिकार प्रत्येक भारतीय नागिरकों प्रदान करता है, और यह सभी का मूल अधिकार है।  

अनुछेद 15 धर्म , मूल, जाति, लिंग या जन्म सतना के आधार पर भेदभाव पर प्रतिबन्ध लगाती है।  इस अनुच्छेद के तहत किसी भी कार्यस्थल पर किसी की नियुक्ति को लेकर कोई विरोध नहीं होगा।  

अनुच्छेद 16 के तहत राज्य के अधीन किसी पद पर नियोजन या नियुक्ति से सम्बंधित विषयों में सभी नागरिको के लिए अवसर समान होंगे।  


3.  बीमित होने का अधिकार।  Right to get Insurance:

राज्य कर्मचारी बीमा अधिनियम 1948 की धारा 3 के तहत राज्य कर्मचारी बीमा संगठन के गठन करने का प्रावधान किया गया है। जिसके तहत काम करने वाली सभी कर्मचारी बीमित होंगे।  कार्य अवधि के दौरान दुर्घटनाग्रस्त होने पर यह बीमा की राशि पीड़ित कर्मचारी व् उसके परिवारजनों की आर्थिक मदद होती है। 

राज्य कर्मचारी बीमा, कर्मचारी की मदद निम्न पपरिस्थितियों में करता है , जैसे कि बीमारी, महिलाओ की गर्भस्व्था के दौरान चिकित्सा मदद,कार्य के दौरान दुर्घटनाग्रस्त होने में स्थायी या अस्थायी शारीरिक निशक्तता होने पर आर्थिक मदद , मृत्यु पर आर्थिक मदद करती है।  

4.  वैध हड़ताल पर जाने का अधिकार।  Right to go on Legal Strike:

औद्योगिक विवाद अधिनियम 1947 के अंतर्गत कार्यस्थल पर कार्य करने वाले कर्मचारियों को वैधानिक रूप से हड़ताल पर जाने का अधिकार दिया गया है। अधिनियम की धरा 22 उपधारा 1 के अनुसार वैध हड़ताल की शर्तों का उल्लेख किया गया है।  
  1. कर्मचारियों के समूह के द्वारा हड़ताल पर जाने से पहले , नियोक्ता को 6 हफ्ते पहले हड़ताल पर जाने के सम्बन्ध में लिखित नोटिस देनी होगी। 
  2. हड़ताल की नोटिस दिए जाने की तिथि से 14 दिनों के भीतर हड़ताल पर जाना होता है। 
  3. नोटिस पर लिखित तिथि से पहले की गयी हड़ताल अवैध मानी जाएगी, जो की कानून दाण्डीय है।
  4. नियम के अनुसार हड़ताल एक दिन से अधिक अवधि की नहीं मानी जाएगी।   
5.भविष्य निधि पाने का अधिकार।  Right to provident fund:

कर्मचारी भविष्य निधि और प्रकीर्ण उपबंध अधिनियम 1952 के तहत कर्मचारी भविष्य निधि जो की प्रत्येक वेतन भोगी कर्मचारी को उनके सेवाकाल समाप्त होने पर पर प्रदान की जाती है, क्योकि कर्मचारियों के सेवाकाल के दौरान उनके वेतन से 12 % राशि भविष्य निधि के नाम पर जमा की जाती है।  

कर्मचारी भविष्य निधि और उपबंध अधिनियम 1952 की धारा 5 में कर्मचारी भविष्य निधि स्कीम का उपबंध किया गया है, उपधारा 1 के तहत केंद्रीय सरकार राजपत्र में अधिसूचना द्वारा कर्मचारियों के लिए एयर कर्मचारियों के किसी वर्ग  इस अधिनियम के अधीन भविष्य निधियों की स्थापना के लिए कर्मचारी भविष्य निधि स्कीम कही जाने वाली स्कीम तैयार कर सकेगी।  और उन  स्थापनों और स्थापनों के वर्ग  को  विनिर्दिष्ट कर सकेगी जिनको उक्त स्कीम लागु होगी और स्कीम तैयार किये जाने के बाद तुरंत ही इस अधिनियम और स्कीम के उपबंधों के अनुसार निधि स्थापित की जाएगी।  



6. छुट्टी का अधिकार। Right to leave:

1. मजदूरी सहित छुट्टी - कारखाना अधिनियम 1948 की धारा 79 में मजदूरी सहित वार्षिक छुट्टी का प्रावधान किया गया है।  उपधारा 1 के  तहत प्रत्येक कर्मचारी को जिसने किसी क्लेंडेर वर्ष के दौरान कारखाने में 240 दिन या 240 दिनों से अधिक अवधि तक काम किया है, पिछले कैलेंडर वर्ष के दौरान इतने दिनों के लिए मजदूरी सहित छुट्टी प्रदान की जाएगी , जो कि निम्लिखित है :-
  1. यदि व्यस्क है, तो पिछले कैलेंडर वर्ष के दौरान उसके द्वारा किये गए काम के हर 20 दिन के लिए 1 दिन की मजदूरी सहित छुट्टी। 
  2. यदि बालक है , तो पिछले कैलेंडर वर्ष  के दौरान उसके द्वारा किये गए काम के हर 15 दिन के लिए 1 दिन की मजदूरी सहित छुट्टी। 
प्रत्येक कर्मचारी का यह अधिकार है कि उसको छुट्टी प्रदान की जाये, जिसके तहत प्रत्येक कर्मचारी को निम्नलिखित छुट्टी पाने का अधिकार है :-

1. आकस्मिक छुट्टी - आकस्मिक छुट्टी ऐसी छुट्टी होती है, जो कि कर्मचारी द्वारा अचानक मांगी जाती है, क्योकि ये छुट्टी परिस्थिजन्य आवश्यक होती है। ऐसी छुट्टी किसी भी कर्मचारी द्वारा तब मांगी जाती है जब :-
  1. कर्मचारी स्वयं अस्वस्थ होता है या किसी गंभीर रोग से ग्रस्त होने के कारण कार्य पर नहीं आ सकता। 
  2. कर्मचारी के परिवार में कोई अनहोनी या आकस्मिक घटना घटित हो जाने पर,
  3. कर्मचारी किसी अत्यंत आवश्यक कार्य के लिए आकस्मिक छुट्टी ले सकता है। 
2.बीमारी पर छुट्टी - बीमारी पर छुट्टी जैसा की नाम से ही ज्ञात हो रहा है कि ऐसी छुट्टी कर्मचारी बीमार होने पर प्राप्त कर सकता है। 
  
3.विशेषाधिकार या अर्जित छुट्टी : विशेषाधिकार या अर्जित छुट्टी ऐसी छुट्टी होती है, जो कि कर्मचारी  पिछले कैलेंडर वर्ष की छुट्टी अर्जित करता है, जिन्हे वह चालू कैलेंडर वर्ष में उन  छुट्टियों का उपयोग करता है।    

7. कार्यस्थल पर यौन-उत्पीड़न से सुरक्षा। Protection form Sexual Harassment at the work place:

प्रत्येक कार्यस्थल का यह एक कर्तव्य होगा कि वहाँ पर कार्य करने वाली प्रत्येक महिला कर्मचारी को कार्य करने के लिए एक सुरक्षित वातावरण प्रदान करे। कार्यस्थल के नियोक्ता का कर्तव्य होगा कि वहाँ कि किसी भी महिला कर्मचारी के साथ यौन उत्पीड़न जैसी घटना न घटे।  

कार्यस्थल पर महिलाओँ के साथ होने वाले यौन उत्पीड़न की रोकथाम के लिए कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न से महिलओं का संरक्षण ( रोकथाम, निषेध और निवारण ) अधिनियम 2013 पारित किया गया।  इस अधिनियम के तहत आंतरिक शिकायत समिति व् स्थानीय शिकायत समिति का घटन किया गया।  

 आंतरिक शिकायत समिति - प्रत्येक कार्यस्थल पर जिसमे कर्मचारियों की संख्या 10 या अधिक है, और प्रत्येक कार्यालय, चिकित्सालय, संस्थानों और स्थापनों पर एक आंतरिक शिकायत समिति का गठन किया जाना अनिवार्य है।  ऐसी आंतरिक शिकायत समिति कार्यस्थल पर महिलाओं के साथ होने वाले यौन  उत्पीड़न के खिलाफ प्राप्त शिकायत का समाधान करेगी।  
 
स्थानीय शिकायत समिति - जिला स्तर पर जिला अधिकारी  सामान्यतः कलेक्टर जो कि इस अधिनियम के उपबंधों के अधीन एक स्थानीय शिकायत समिति का गठन करेगा।  शिकायत प्राप्त करें के लिए प्रत्येक ब्लॉक, नगरपालिका और जनजातीय क्षेत्र के लिए जिलाधिकारी के द्वारा नोडल अधिकारी मनोनीत किया जायेगा। जो की यौन उत्पीड़न की घटना की शिकायत प्राप्त होने पर 7 दिनों के भीतर सम्बंधित स्थानीय शिकायत समिति को भेजेगा।  

कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न की शिकायत के लिए ऑनलाइन प्रणाली भी चालू की गयी जो कि शी -बॉक्स के नाम से जनि जाती है।  


8. Right to Maternity Benefit:
Maternity Benefit Act, 1961  ke anusar us har ek mahila karmchari ka yah adhikar hai, ki usko uske pregnancy ke time maternity benefit diya jaye.
  1. Is adhinyam ke anusar pregnant working women ko adhiktam 12 week ( 84day)  ki leave di jayegi. Isme 6 week pregnancy time ke pahle ki leave hai, aur baki 6 weeks ki leave delivery ke time ki hai.
  2. Yadi in 12 weeks ki leave ke baad bhi yadi us mahila ko jarurat hai leave ki to 1 month ki additional leave di jayegi.
  3. Maternity Benefit Act, 1961 ke new amendment ke anusar  Private sector mein kaam karne wali mahilao le liye paid maternity leave 12 weeks se badhakar 26 weeks kar di gayi hai.
  4. Kisi bhi company ka employer pregnant women ko job se nahi nikal sakta.

9. Right to Working hour: 

The Shop and Establishment Act, 1948 ke anusar har ek state mein working time ko fixed kiya gya hai.
  1. kisi bhi employee se ek din mein 9 hour  aur weeks mein 48 hour se jada kaam nahi liya jayega.
  2. Weeks mein 48 hour kaam karne ke time ko 54 hours tak increse kiya ja sakta hai, vo tab jab iski information notice ke dwara pahle inspector ko deni hoti hai, lekin aisa overtime mein condition hoti hai.
  3. One year mein 150 hour se jada ka overtime nahi hoga.
10. Gratuity:
Gratuity har ek employee ka statutory adhikar hai. is adhikar se kisi bhi employees ko yah kah kar mna nahi kiya ja sakta hai, ki usko Employee Provident Fund ya Pension di ja rahi hai. Gratuity ek statutory benefit hai, jo ki us har employees ko diya jata hai, jo ki kisi company mein kam se kam five year tak kaam kar raha ho.
Yah ekmust rashi hoti hai, jo ki kisi employes ko uski total service duration ke adhar par diya jata hai. Yah gratuity employees ke termination, death aur retirement ke time liya jata hai.
Yadi kisi employee ki mrityu ho jaati hai, ho uski gratuity uski family ko di jati hai. 


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